इस्लामाबाद : भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तानी की एक शीर्ष अदालत ने भारत से मामले में कानूनी कार्यवाही में सहयोग करने के लिए कहा है. साथ ही उसने कहा कि अदालत में पेश होने का मतलब संप्रभुत्ता में छूट नहीं है.
इस्लामाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई शुरू की जिसमें जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग की गई है.
'डॉन' में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने पीठ को बताया कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने पिछले साल सीजे (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 लागू किया, ताकि जाधव वैधानिक उपाय पा सकें.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार जानबूझ कर अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हुई और पाकिस्तान की एक अदालत के समक्ष मुकदमे पर आपत्ति जता रही है तथा उसने हाईकोर्ट की सुनवाई के लिए वकील नियुक्त करने से भी इनकार करते हुए कहा कि यह 'संप्रभु अधिकारों का आत्मसमर्पण करने के समान है.'
मामले की सुनवाई को 15 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (51) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवादी के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.