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जम्मू ड्रोन हमले में पाकिस्तान के आतंकी समूहों का हाथ : डीजीपी - Lashkar-e-Taiba Latest News

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह (Jammu and Kashmir Director General of Police (DGP) Dilbag Singh) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में ड्रोन के जरिए हथियार, विस्फोटक तथा मादक पदार्थ गिराने के पीछे पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का हाथ है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास लाने के लिए आतंकवाद को अस्वीकार किया जाए और इसे हराया जाए.

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Published : Jul 2, 2021, 7:27 PM IST

जम्मू : डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकवाद के सफाए के लिए आतंकवाद निरोधी अभियानों की गति और भी तेज की जाएगी, वहीं दूसरी ओर ड्रोन जैसे खतरों से निबटने के लिए सुरक्षा इंतजामों को और भी मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जम्मू में उच्च सुरक्षा वाले हवाई अड्डा परिसर में स्थित वायुसेना स्टेशन पर हाल में हुए ड्रोन हमले की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह कहा.

कठुआ जिले में 27वें बेसिक रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग कोर्स (बीआरटीसी) की 'पासिंग आउट परेड' ('Passing Out Parade') के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा कि रविवार को तड़के जम्मू में वायुसेना स्टेशन पर दो ड्रोन हमलों के पीछे लश्कर का हाथ होने का संदेह है.

उन्होंने कहा कि जांच (वायुसेना स्टेशन पर विस्फोटक से लदे दो ड्रोन गिरने के मामले में) चल रही है. हम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं जहां पर यह कह सकें कि वास्तव में इसके पीछे कौन है लेकिन लश्कर भारतीय क्षेत्र में पहले भी हथियार, मादक पदार्थ गिराने और विभिन्न स्थानों पर विस्फोटक (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस या आईईडी) लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि लश्कर का हाथ होने का संदेह है तथा जांच आगे बढ़ने के साथ ही मैं और कुछ कह पाउंगा.

जम्मू में साढ़े पांच किलो आईईडी के साथ एक आतंकवादी के पकड़े जाने के बारे में डीजीपी ने कहा कि एक ऐसे मॉड्यूल का खुलासा हुआ है जो भीड़भाड़े वाले स्थान पर उसी दिन आईईडी विस्फोट करने की साजिश रच रहा था जिस दिन वायुसेना स्टेशन पर दो ड्रोन से हमला हुआ था. डीजीपी ने कहा कि उस तरफ (पाकिस्तान की ओर से) से लश्कर के आतंकवादी ने आईईडी भेजा. जिसे आईईडी प्राप्त करना था उस व्यक्ति को पुलिस ने पकड़ लिया और उससे पूछताछ चल रही है. आईईडी भीड़भाड़ वाले स्थान पर लगाया जाना था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मारे जा सकें. उन्होंने आतंकवादियों की साजिश को नाकाम करने के लिए जम्मू पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सराहना की.

सिंह ने कहा कि जम्मू में हमले से पहले, लश्कर द्वारा ड्रोन की मदद से हथियार गिराने की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी थीं. उन्होंने कहा कि जो आईईडी मिला है उसमें आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था.सिंह ने कहा कि इसे कुछ इस तरह बनाया गया कि इसे ड्रोन के जरिए ले जाया जा सके और गिराया जा सके. ड्रोन को सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए सिंह ने कहा कि राष्ट्र विरोधी तत्वों, आतंकवादियों द्वारा हथियार तथा आईईडी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल एक खतरा है और हम इससे निबटने के लिए (उनके नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए) कदम उठा रहे हैं.
डीजीपी ने कहा कि आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर बेहिसाब मौत और तबाही देख चुका है. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए मेरा संदेश है कि आतंकवादियों ने बेगुनाहों का बहुत खून बहा लिया और अब समय आ गया है कि आतंकवाद को हर मोर्चे पर अस्वीकार किया जाए और हराया जाए. शांति, समृद्धि और विकास में युवा बराबर के साझेदार होने चाहिए और उन्हें स्वयं को ऐसी गतिविधियों से बचाना चाहिए जो उनके लिए लाभदायक नहीं हैं, उनके परिवारों और समाज के हित में नहीं हैं.

घाटी में आतंकवादियों द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती करने से जुड़े सवाल पर सिंह ने कहा कि भर्तियां अब भी जारी हैं लेकिन पहले के मुकाबले इनमें बहुत कमी आई है. उन्होंने बताया कि हम युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं और यह (आतंकवादियों द्वारा भर्ती) पहले के वर्षों के मुकाबले लगभग नहीं के बराबर है. हमारा विश्वास है कि भविष्य में इसमें और कमी आएगी.

उन्होंने बताया कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कायम है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच फरवरी में समझौते के बाद से संघर्षविराम उल्लंघन की कोई घटना सामने नहीं आई है. हालांकि सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार गिराने की घटनाएं हो रही हैं जो लश्कर और जैश के इशारों पर हो रही हैं, ये आतंकवादी संगठन वास्तव में पाकिस्तान से काम कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला, जम्मू के टेक्निकल एयरपोर्ट में 5 मिनट के अंदर 2 ब्लास्ट


डीजीपी से पूछा गया कि वायुसेना स्टेशन (air force station) पर विस्फोट करने के लिए जिस ड्रोन का इस्तेमाल हुआ वह पाकिस्तान से आया था या फिर स्टेशन के परिसर से ही किसी ने इसे चलाया था? इस पर उन्होंने कहा कि जांचकर्ताओं को ऐसा संदेह है कि ड्रोन सीमा पार से आया लेकिन फिलहाल दूसरे पहलू को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि ड्रोन हमले के बाद सभी सुरक्षा एजेंसियां एक साथ आ गई हैं और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों तथा स्थानों पर सुरक्षा बंदोबस्त की समीक्षा के लिए उनके बीच कई बैठकें हुई हैं ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को विफल किया जा सके.

इसे भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : अनंतनाग में सुरक्षाबलों पर आतंकी हमला, पुलिसकर्मी घायल


पुलिस महानिदेशक ने कहा कि कुछ अतिरिक्त कदम भी उठाए गए हैं जिनके बारे में मीडिया में चर्चा नहीं की जा सकती है. कुछ कदम उठाए गए हैं और कुछ की तैयारी है। कुछ नई प्रौद्योगिकी (ड्रोन के कारण उत्पन्न खतरे से निबटने के लिए) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
(पीटीआई-भाषा)

जम्मू : डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकवाद के सफाए के लिए आतंकवाद निरोधी अभियानों की गति और भी तेज की जाएगी, वहीं दूसरी ओर ड्रोन जैसे खतरों से निबटने के लिए सुरक्षा इंतजामों को और भी मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जम्मू में उच्च सुरक्षा वाले हवाई अड्डा परिसर में स्थित वायुसेना स्टेशन पर हाल में हुए ड्रोन हमले की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह कहा.

कठुआ जिले में 27वें बेसिक रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग कोर्स (बीआरटीसी) की 'पासिंग आउट परेड' ('Passing Out Parade') के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा कि रविवार को तड़के जम्मू में वायुसेना स्टेशन पर दो ड्रोन हमलों के पीछे लश्कर का हाथ होने का संदेह है.

उन्होंने कहा कि जांच (वायुसेना स्टेशन पर विस्फोटक से लदे दो ड्रोन गिरने के मामले में) चल रही है. हम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं जहां पर यह कह सकें कि वास्तव में इसके पीछे कौन है लेकिन लश्कर भारतीय क्षेत्र में पहले भी हथियार, मादक पदार्थ गिराने और विभिन्न स्थानों पर विस्फोटक (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस या आईईडी) लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि लश्कर का हाथ होने का संदेह है तथा जांच आगे बढ़ने के साथ ही मैं और कुछ कह पाउंगा.

जम्मू में साढ़े पांच किलो आईईडी के साथ एक आतंकवादी के पकड़े जाने के बारे में डीजीपी ने कहा कि एक ऐसे मॉड्यूल का खुलासा हुआ है जो भीड़भाड़े वाले स्थान पर उसी दिन आईईडी विस्फोट करने की साजिश रच रहा था जिस दिन वायुसेना स्टेशन पर दो ड्रोन से हमला हुआ था. डीजीपी ने कहा कि उस तरफ (पाकिस्तान की ओर से) से लश्कर के आतंकवादी ने आईईडी भेजा. जिसे आईईडी प्राप्त करना था उस व्यक्ति को पुलिस ने पकड़ लिया और उससे पूछताछ चल रही है. आईईडी भीड़भाड़ वाले स्थान पर लगाया जाना था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मारे जा सकें. उन्होंने आतंकवादियों की साजिश को नाकाम करने के लिए जम्मू पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सराहना की.

सिंह ने कहा कि जम्मू में हमले से पहले, लश्कर द्वारा ड्रोन की मदद से हथियार गिराने की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी थीं. उन्होंने कहा कि जो आईईडी मिला है उसमें आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था.सिंह ने कहा कि इसे कुछ इस तरह बनाया गया कि इसे ड्रोन के जरिए ले जाया जा सके और गिराया जा सके. ड्रोन को सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए सिंह ने कहा कि राष्ट्र विरोधी तत्वों, आतंकवादियों द्वारा हथियार तथा आईईडी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल एक खतरा है और हम इससे निबटने के लिए (उनके नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए) कदम उठा रहे हैं.
डीजीपी ने कहा कि आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर बेहिसाब मौत और तबाही देख चुका है. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए मेरा संदेश है कि आतंकवादियों ने बेगुनाहों का बहुत खून बहा लिया और अब समय आ गया है कि आतंकवाद को हर मोर्चे पर अस्वीकार किया जाए और हराया जाए. शांति, समृद्धि और विकास में युवा बराबर के साझेदार होने चाहिए और उन्हें स्वयं को ऐसी गतिविधियों से बचाना चाहिए जो उनके लिए लाभदायक नहीं हैं, उनके परिवारों और समाज के हित में नहीं हैं.

घाटी में आतंकवादियों द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती करने से जुड़े सवाल पर सिंह ने कहा कि भर्तियां अब भी जारी हैं लेकिन पहले के मुकाबले इनमें बहुत कमी आई है. उन्होंने बताया कि हम युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं और यह (आतंकवादियों द्वारा भर्ती) पहले के वर्षों के मुकाबले लगभग नहीं के बराबर है. हमारा विश्वास है कि भविष्य में इसमें और कमी आएगी.

उन्होंने बताया कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कायम है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच फरवरी में समझौते के बाद से संघर्षविराम उल्लंघन की कोई घटना सामने नहीं आई है. हालांकि सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार गिराने की घटनाएं हो रही हैं जो लश्कर और जैश के इशारों पर हो रही हैं, ये आतंकवादी संगठन वास्तव में पाकिस्तान से काम कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला, जम्मू के टेक्निकल एयरपोर्ट में 5 मिनट के अंदर 2 ब्लास्ट


डीजीपी से पूछा गया कि वायुसेना स्टेशन (air force station) पर विस्फोट करने के लिए जिस ड्रोन का इस्तेमाल हुआ वह पाकिस्तान से आया था या फिर स्टेशन के परिसर से ही किसी ने इसे चलाया था? इस पर उन्होंने कहा कि जांचकर्ताओं को ऐसा संदेह है कि ड्रोन सीमा पार से आया लेकिन फिलहाल दूसरे पहलू को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि ड्रोन हमले के बाद सभी सुरक्षा एजेंसियां एक साथ आ गई हैं और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों तथा स्थानों पर सुरक्षा बंदोबस्त की समीक्षा के लिए उनके बीच कई बैठकें हुई हैं ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को विफल किया जा सके.

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पुलिस महानिदेशक ने कहा कि कुछ अतिरिक्त कदम भी उठाए गए हैं जिनके बारे में मीडिया में चर्चा नहीं की जा सकती है. कुछ कदम उठाए गए हैं और कुछ की तैयारी है। कुछ नई प्रौद्योगिकी (ड्रोन के कारण उत्पन्न खतरे से निबटने के लिए) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
(पीटीआई-भाषा)

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