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ललित कला अकादमी में पेंटिंग्स प्रदर्शनी, उकेरी गई महिलाओं की भूमिका

ललित कला अकादमी के घड़ी रीजनल सेंटर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ' वुमेन्स इन लीडरशिप: अचिविंग इन इक्वल फ्यूचर इन अ कोविड-19 वर्ल्ड' नाम के विषय पर की पेंटिंग वर्कशॉप और एग्जिबिशन आयोजित किया गया.

ललित कला अकादमी
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Published : Mar 8, 2021, 9:39 AM IST

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में ललित कला अकादेमी द्वारा पेंटिंग एग्जिबिशन और वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

ललित कला अकादमी के घड़ी रीजनल सेंटर में 5 मार्च से 7 मार्च तक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ' Women's in Leadership: Achieving in Equal Future in a Covid-19 World' नाम के विषय पर की पेंटिंग वर्कशॉप और एग्जिबिशन आयोजित किया गया.

ललित कला अकादमी में पेंटिंग्स प्रदर्शनी

महिलाओं के कठिन परिश्रम को लेकर बनाई पेंटिंग्स
इस एग्जिबिशन में देश के अलग-अलग राज्यों से 29 महिला कलाकारों ने भाग लिया. जिसमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत तमाम राज्यों से महिला कलाकार शामिल है.

यह सभी कलाकार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम पर शानदार पेंटिंग बना रही हैं, जिसने कोई महिलाओं की अलग-अलग भूमिका को दिखा रहा है, तो कोई जीवन भर महिलाओं के कठिन परिश्रम को अपनी पेंटिंग के जरिए बयां कर रहा है.

एक मां अपने बच्चों के लिए सहती है सभी दुख
पिछले 10 सालों से पेंटिंग कर रही गुजरात की मनीषा सोलंकी ने कहा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम पर उन्होंने अपनी आंतरिक भावनाओं को लेकर पेंटिंग बनाई है, जिसमें वह अपनी अलग-अलग भावनाओं को दर्शा रही हैं.

वहीं राजस्थान से आई शिवांगी ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी मां के जीवन भर के संघर्ष को लेकर पेंटिंग तैयार की है, जिसमें उन्होंने यह बताया है कि किस प्रकार से एक मां जमाने भर से अपनी बेटियों को छुपा कर रखती है, उन्हें हर परेशानियों से बचाती है. खुद तकलीफ में होने के बावजूद हमेशा हंसती मुस्कुराती रहती हैं.

पेंटिंग में उत्तराखंड की महिलाएं और संस्कृति
इसके साथ ही उत्तराखंड नैनीताल से आई कलाकार कुसुम पांडे ने बताया कि वह पिछले करीब 12 सालों से पेंटिंग कर रही हैं और हमेशा पेंटिंग में हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करती हैं.

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्होंने उत्तराखंड की महिलाएं और वहां के एक बेहद खूबसूरत पक्षी मृणाल का वर्णन किया है, मृणाल एक ऐसा पक्षी है, जो दिन भर खूब मेहनत करता है, लेकिन बावजूद इसके बेहद सुंदरता से वह अपने काम को अंजाम देता है, इसके जैसे ही उत्तराखंड में महिलाएं ना केवल मेहनत और लगन के साथ हर परिस्थिति में काम करती हैं, बल्कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को को भी आगे बढ़ाते हैं.

उड़ीसा की आदिवासी महिलाओं की स्थिति पर बनाई पेंटिंग
प्रदर्शनी में 29 महिला कलाकारों ने भाग लिया है, जिसमें से कई सीनियर कलाकार भी अपनी शानदार पेंटिंग से चार चांद लगा रही हैं, इसी कड़ी में आगरा से आई प्रोफेसर ममता बंसल ने बताया उन्होंने अपनी पेंटिंग में आगरा के मुगल और हिंदू स्मारकों को दर्शाने की कोशिश की है.

इसके अलावा मेरठ से आई कलाकार मृदुला वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी पेंटिंग के जरिए उड़ीसा की आदिवासी महिलाओं की स्थिति दर्शाने की कोशिश की है, क्योंकि जिस प्रकार से लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है, ऐसे में उन आदिवासी लोगों का जीवन संकट में रहकर अपना गुजर-बसर करते हैं.
हर एक समाज में महिलाओं का साक्षर होना आवश्यक
मध्यप्रदेश के ग्वालियर से आई कलाकार नीता ने कहा कि पिछले 42 साल से वह पेंटिंग कर रही हैं. नीता ने उस जमाने में चित्रकारी करना शुरू किया था, जब ऐसे कोई महत्व नहीं देता था.

उन्होंने चित्रकारी की कला अपनी मां से सीखी, जो बेहद खूबसूरत चित्रकारी करती थी और वह उस जमाने में कपड़ों पर चित्रकारी किया करती थी. मां को देख-देखकर ही नीता ने चित्रकारी करना शुरू किया.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: लोग क्या कहेंगे इस मानसिकता को बदलने की जरूरत

उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाओं को अभी भी आगे पढ़ने नहीं दिया जाता, उनके भविष्य को कोई अहमियत नहीं दी जाती. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं साक्षर हो अगर महिलाएं पड़ेंगे तभी वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो पाएंगी.

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में ललित कला अकादेमी द्वारा पेंटिंग एग्जिबिशन और वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

ललित कला अकादमी के घड़ी रीजनल सेंटर में 5 मार्च से 7 मार्च तक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ' Women's in Leadership: Achieving in Equal Future in a Covid-19 World' नाम के विषय पर की पेंटिंग वर्कशॉप और एग्जिबिशन आयोजित किया गया.

ललित कला अकादमी में पेंटिंग्स प्रदर्शनी

महिलाओं के कठिन परिश्रम को लेकर बनाई पेंटिंग्स
इस एग्जिबिशन में देश के अलग-अलग राज्यों से 29 महिला कलाकारों ने भाग लिया. जिसमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत तमाम राज्यों से महिला कलाकार शामिल है.

यह सभी कलाकार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम पर शानदार पेंटिंग बना रही हैं, जिसने कोई महिलाओं की अलग-अलग भूमिका को दिखा रहा है, तो कोई जीवन भर महिलाओं के कठिन परिश्रम को अपनी पेंटिंग के जरिए बयां कर रहा है.

एक मां अपने बच्चों के लिए सहती है सभी दुख
पिछले 10 सालों से पेंटिंग कर रही गुजरात की मनीषा सोलंकी ने कहा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम पर उन्होंने अपनी आंतरिक भावनाओं को लेकर पेंटिंग बनाई है, जिसमें वह अपनी अलग-अलग भावनाओं को दर्शा रही हैं.

वहीं राजस्थान से आई शिवांगी ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी मां के जीवन भर के संघर्ष को लेकर पेंटिंग तैयार की है, जिसमें उन्होंने यह बताया है कि किस प्रकार से एक मां जमाने भर से अपनी बेटियों को छुपा कर रखती है, उन्हें हर परेशानियों से बचाती है. खुद तकलीफ में होने के बावजूद हमेशा हंसती मुस्कुराती रहती हैं.

पेंटिंग में उत्तराखंड की महिलाएं और संस्कृति
इसके साथ ही उत्तराखंड नैनीताल से आई कलाकार कुसुम पांडे ने बताया कि वह पिछले करीब 12 सालों से पेंटिंग कर रही हैं और हमेशा पेंटिंग में हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करती हैं.

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्होंने उत्तराखंड की महिलाएं और वहां के एक बेहद खूबसूरत पक्षी मृणाल का वर्णन किया है, मृणाल एक ऐसा पक्षी है, जो दिन भर खूब मेहनत करता है, लेकिन बावजूद इसके बेहद सुंदरता से वह अपने काम को अंजाम देता है, इसके जैसे ही उत्तराखंड में महिलाएं ना केवल मेहनत और लगन के साथ हर परिस्थिति में काम करती हैं, बल्कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को को भी आगे बढ़ाते हैं.

उड़ीसा की आदिवासी महिलाओं की स्थिति पर बनाई पेंटिंग
प्रदर्शनी में 29 महिला कलाकारों ने भाग लिया है, जिसमें से कई सीनियर कलाकार भी अपनी शानदार पेंटिंग से चार चांद लगा रही हैं, इसी कड़ी में आगरा से आई प्रोफेसर ममता बंसल ने बताया उन्होंने अपनी पेंटिंग में आगरा के मुगल और हिंदू स्मारकों को दर्शाने की कोशिश की है.

इसके अलावा मेरठ से आई कलाकार मृदुला वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी पेंटिंग के जरिए उड़ीसा की आदिवासी महिलाओं की स्थिति दर्शाने की कोशिश की है, क्योंकि जिस प्रकार से लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है, ऐसे में उन आदिवासी लोगों का जीवन संकट में रहकर अपना गुजर-बसर करते हैं.
हर एक समाज में महिलाओं का साक्षर होना आवश्यक
मध्यप्रदेश के ग्वालियर से आई कलाकार नीता ने कहा कि पिछले 42 साल से वह पेंटिंग कर रही हैं. नीता ने उस जमाने में चित्रकारी करना शुरू किया था, जब ऐसे कोई महत्व नहीं देता था.

उन्होंने चित्रकारी की कला अपनी मां से सीखी, जो बेहद खूबसूरत चित्रकारी करती थी और वह उस जमाने में कपड़ों पर चित्रकारी किया करती थी. मां को देख-देखकर ही नीता ने चित्रकारी करना शुरू किया.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: लोग क्या कहेंगे इस मानसिकता को बदलने की जरूरत

उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाओं को अभी भी आगे पढ़ने नहीं दिया जाता, उनके भविष्य को कोई अहमियत नहीं दी जाती. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं साक्षर हो अगर महिलाएं पड़ेंगे तभी वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो पाएंगी.

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