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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: ओवैसी की पार्टी को मिले नोटा से भी कम वोट

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक विजय दर्ज की है. वहीं समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली सीटों से अधिक सीटें पाने में भी सफलता हासिल की है. लेकिन इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव में कोई चमत्कार नहीं कर पाये.

owaisi party got less votes than nota
नोटा से भी कम मिले ओवैसी की पार्टी को वोट
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Published : Mar 12, 2022, 3:48 PM IST

लखनऊः यूपी के विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक विजय दर्ज की है. वहीं समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली सीटों से अधिक सीटें पाने में भी सफलता हासिल की है. लेकिन इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कोई चमत्कार नहीं कर पाये.

विधानसभा चुनाव में ओवैसी आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे. इस गठबंधन में बीएसपी सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, वामन मेश्राम के भारत मुक्ति मोर्चा शामिल रहा. ओवैसी ने यूपी में 99 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी एक सीट पर भी प्रत्याशी जीतने में सफल नहीं हो पाया.

खास बात ये है कि विधानसभा चुनाव में जितने वोट नोटा में पड़े हैं. उससे कम वोट फीसदी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को मिले. जनता को जब किसी राजनीतिक दल या निर्दल प्रत्याशी पसंद नहीं आया तब जाकर नोटा विकल्प को चुनने का काम किया. वहीं मुस्लिम समाज के वोट बैंक पर अपना दावा ठोंकने और मुसलमानों की पसंद वाले ओवैसी यूपी में कोई चमत्कार नहीं कर पाए.

इसे भी पढ़ें- UP Election 2022: बाहुबलियों के लिए खास रहा विधानसभा चुनाव, 5 जीते और 2 हारे

मुसलमान समाज के लोगों ने बिना बंटे हुए समाजवादी पार्टी को अपना वोट देने का काम किया. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को 0.49 फीसदी वोट मिले हैं, तो नोटा में 0.69 फीसदी वोट पड़े, जो ओवैसी की पार्टी से ज्यादा हैं. ऐसे में ओवैसी की स्वीकार्यता यूपी में नहीं हो पाई है.

लखनऊः यूपी के विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक विजय दर्ज की है. वहीं समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली सीटों से अधिक सीटें पाने में भी सफलता हासिल की है. लेकिन इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कोई चमत्कार नहीं कर पाये.

विधानसभा चुनाव में ओवैसी आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे. इस गठबंधन में बीएसपी सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, वामन मेश्राम के भारत मुक्ति मोर्चा शामिल रहा. ओवैसी ने यूपी में 99 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी एक सीट पर भी प्रत्याशी जीतने में सफल नहीं हो पाया.

खास बात ये है कि विधानसभा चुनाव में जितने वोट नोटा में पड़े हैं. उससे कम वोट फीसदी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को मिले. जनता को जब किसी राजनीतिक दल या निर्दल प्रत्याशी पसंद नहीं आया तब जाकर नोटा विकल्प को चुनने का काम किया. वहीं मुस्लिम समाज के वोट बैंक पर अपना दावा ठोंकने और मुसलमानों की पसंद वाले ओवैसी यूपी में कोई चमत्कार नहीं कर पाए.

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मुसलमान समाज के लोगों ने बिना बंटे हुए समाजवादी पार्टी को अपना वोट देने का काम किया. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को 0.49 फीसदी वोट मिले हैं, तो नोटा में 0.69 फीसदी वोट पड़े, जो ओवैसी की पार्टी से ज्यादा हैं. ऐसे में ओवैसी की स्वीकार्यता यूपी में नहीं हो पाई है.

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