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2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कैद 4.83 लाख भारतीय: NCRB डाटा - 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कैद

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा (number of prisoners convicted in UP is more) 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे. रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे.

NCRB डाटा
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Published : Feb 3, 2022, 6:09 PM IST

नई दिल्ली : साल 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कम से कम 4.83 लाख भारतीय नागरिक कैद थे. इनमें 76 फीसदी से अधिक विचाराधीन आरोपी, जबकि 23 प्रतिशत दोषी करार दिए गए लोग शामिल हैं. सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक 'जेल स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020' रिपोर्ट (NCRB Annual Prison Statistics India 2020 Report) से पता चला है कि देशभर की जेलों में 3,549 (या एक प्रतिशत से भी कम) अन्य ऐसे कैदी भी मौजूद थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी भी बंद थे.

NCRB के मुताबिक, भारतीय जेलों में बंद ज्यादातर विचाराधीन कैदी जहां 18 से 30 साल के आयुवर्ग में (age of most of the undertrials in Indian jails) थे, वहीं दोषी करार दिए गए अधिकतर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच थी. रिपोर्ट के अनुसार, कुल कैदियों में 1.11 लाख (23.04 फीसदी) दोषी करार दिए जा चुके अपराधी, जबकि 3.68 लाख (76.17 फीसदी) विचाराधीन आरोपी और 3,549 (0.76 फीसदी) हिरासत में रखे गए लोग शामिल थे. गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, कुल 4.83 लाख कैदियों में 96 फीसदी पुरुष, 3.98 फीसदी महिलाएं और 0.01 फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

NCRB ने बताया कि राज्यों में सबसे ज्यादा 22.1 प्रतिशत यानी लगभग 1.06 लाख कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. एजेंसी के मुताबिक, बिहार सर्वाधिक कैदियों वाले राज्यों की सूची में दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर था. दोनों राज्यों की जेलों में क्रमश: 10.7 फीसदी (51,849) और 9.4 प्रतिशत (45,456) कैदी बंद थे.

पढ़ें : दिल्ली की तिहाड़ जेल में पांच साल में 800 नाबालिग बच्चे क़ैद हुए

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा (number of prisoners convicted in UP is more) 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे. रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे. इससे पता चला है कि 31,935 कैदियों (28.7 प्रतिशत) की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी, जबकि 23,856 कैदी (21.4 फीसदी) 50 साल से ज्यादा उम्र थे.

विचाराधीन कैदियों की बात करें तो NCRB के मुताबिक, सबसे ज्यादा 21.8 फीसदी यानी 80,267 कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में कैद थे. एजेंसी ने बताया कि विचाराधीन कैदियों के मामले में बिहार 12 फीसदी (44,113 कैदी) और मध्य प्रदेश 8.6 प्रतिशत (31,695) क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर थे. रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक विचाराधीन कैदी (48.8 फसदी, 1.79 लाख) 18 से 30 साल के आयुवर्ग में थे. इसमें बताया गया है कि देशभर की जेलों में बंद 40.6 फीसदी कैदियों (1.49 लाख) की उम्र 30 से 50 साल के बीच थी, जबकि 10.6 प्रतिशत यानी 39,196 कैदी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : साल 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कम से कम 4.83 लाख भारतीय नागरिक कैद थे. इनमें 76 फीसदी से अधिक विचाराधीन आरोपी, जबकि 23 प्रतिशत दोषी करार दिए गए लोग शामिल हैं. सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक 'जेल स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020' रिपोर्ट (NCRB Annual Prison Statistics India 2020 Report) से पता चला है कि देशभर की जेलों में 3,549 (या एक प्रतिशत से भी कम) अन्य ऐसे कैदी भी मौजूद थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी भी बंद थे.

NCRB के मुताबिक, भारतीय जेलों में बंद ज्यादातर विचाराधीन कैदी जहां 18 से 30 साल के आयुवर्ग में (age of most of the undertrials in Indian jails) थे, वहीं दोषी करार दिए गए अधिकतर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच थी. रिपोर्ट के अनुसार, कुल कैदियों में 1.11 लाख (23.04 फीसदी) दोषी करार दिए जा चुके अपराधी, जबकि 3.68 लाख (76.17 फीसदी) विचाराधीन आरोपी और 3,549 (0.76 फीसदी) हिरासत में रखे गए लोग शामिल थे. गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, कुल 4.83 लाख कैदियों में 96 फीसदी पुरुष, 3.98 फीसदी महिलाएं और 0.01 फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

NCRB ने बताया कि राज्यों में सबसे ज्यादा 22.1 प्रतिशत यानी लगभग 1.06 लाख कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. एजेंसी के मुताबिक, बिहार सर्वाधिक कैदियों वाले राज्यों की सूची में दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर था. दोनों राज्यों की जेलों में क्रमश: 10.7 फीसदी (51,849) और 9.4 प्रतिशत (45,456) कैदी बंद थे.

पढ़ें : दिल्ली की तिहाड़ जेल में पांच साल में 800 नाबालिग बच्चे क़ैद हुए

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा (number of prisoners convicted in UP is more) 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे. रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे. इससे पता चला है कि 31,935 कैदियों (28.7 प्रतिशत) की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी, जबकि 23,856 कैदी (21.4 फीसदी) 50 साल से ज्यादा उम्र थे.

विचाराधीन कैदियों की बात करें तो NCRB के मुताबिक, सबसे ज्यादा 21.8 फीसदी यानी 80,267 कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में कैद थे. एजेंसी ने बताया कि विचाराधीन कैदियों के मामले में बिहार 12 फीसदी (44,113 कैदी) और मध्य प्रदेश 8.6 प्रतिशत (31,695) क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर थे. रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक विचाराधीन कैदी (48.8 फसदी, 1.79 लाख) 18 से 30 साल के आयुवर्ग में थे. इसमें बताया गया है कि देशभर की जेलों में बंद 40.6 फीसदी कैदियों (1.49 लाख) की उम्र 30 से 50 साल के बीच थी, जबकि 10.6 प्रतिशत यानी 39,196 कैदी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे.

(पीटीआई-भाषा)

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