नई दिल्ली: सरकार एक तरफ तवांग पर लगातार विपक्ष की तरफ से घिरी नजर आ रही है, वहीं दूसरी तरफ वह इस मसले पर विपक्ष की तरफ से उठाए जा रहे, सवालों को सीधे-सीधे सेना की जांबाजी पर उंगलियां उठाए जाने का नाम दे रही है. लेकिन विपक्ष जिस तरह अपने तेवर आक्रामक करता जा रहा, उसे देखकर लगता है कि आने वाले दिन भी संसद के हंगामे में ही धुलने वाले हैं. यही नहीं सूत्रों की माने तो संसद सत्र खत्म होने के बाद भी विपक्ष इस मामले पर जवाब मांगते हुए, सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर सकता है.
इन्हीं वजहों से सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यदि विपक्ष इसी तरह आक्रामक रुख अख्तियार करता रहा तो सरकार 29 की जगह 23 दिसंबर तक भी ये सत्र समाप्त कर सकती है. विपक्ष 1962 के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के काल में सांसद में हुई चर्चा का हवाला दे रहा है. वहीं दूसरी तरफ सरकार 1962 छोड़ उसके बाद के तमाम उदाहरण विपक्ष के सामने रख रही है, लेकिन प्रतिदिन बढ़ते विपक्ष के आक्रामक रवैये ने सरकार के लिए इस पर सहमति बनाने और संसद की कारवाही को शांतिपूर्वक चलाने में मुसीबत खड़ी कर दी है.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी और इसके घटक दल भी अब मंगलवार से विपक्ष जिसमें खासतौर पर कांग्रेस से पार्टी के लिए चीन से लिए गए चंदे और जाकिर नायक की संस्था को दी गईं राहतों और संस्था की ओर से कांग्रेस से जुड़े संगठनों को दिए गए चंदे पर सवाल उठाते हुए, कांग्रेस को ही कटघरे में खड़े करने के लिए रणनीति तैयार करेगी. यही नहीं सीआईए की तरफ से न्यूक्लियर वार नहीं होने की मुख्य वजह नरेंद्र मोदी की तारीफ को भी अब सरकार और केंद्रीय मंत्री जोर शोर से उठाएंगे.
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यही वजह है की बीजेपी के नेताओं ने सोमवार को कांग्रेस और राहुल गांधी के तवांग पर ऊठाए गए सवालों पर भी जमकर बौछार की. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो सीआईए की तरफ से किए गए तारीफ को भी सरकार की सफलता से जोड़ा. बहरहाल तवांग का मुद्दा भले ही सरकार की गले की हड्डी बन गया है, लेकिन सरकार की रणनीति भी इस मुद्दे पर विपक्ष को कटघरे में खड़े करने की है. बहरहाल वार पलटवार की इस लड़ाई में ये मुद्दा दूर तक जाता नजर आ रहा है.