नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी क्या विपक्ष एकता का नया अवसर साबित होगा. इस सवाल का जवाब तो खैर भविष्य के गर्भ में है. लेकिन वर्तमान में जो हो रहा है वह भी कम रोचक नहीं है. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को विपक्ष के कई नेताओं और पार्टियों का समर्थन मिल रहा है. भारत राष्ट्र समिति प्रमुख तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव, जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्लाह, तृणमुल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के चेयरपर्सन तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव उन नेताओं में प्रमुख है जो इस मुश्किल घड़ी में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े दिख रहे हैं.
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Nine Opposition leaders including Arvind Kejriwal have written to PM Modi on the arrest of former Delhi deputy CM Manish Sisodia in the excise policy case. They have stated that the action appears to suggest that "we have transitioned from being a democracy to an autocracy". pic.twitter.com/ohXn3rNuxI
— ANI (@ANI) March 5, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) March 5, 2023Nine Opposition leaders including Arvind Kejriwal have written to PM Modi on the arrest of former Delhi deputy CM Manish Sisodia in the excise policy case. They have stated that the action appears to suggest that "we have transitioned from being a democracy to an autocracy". pic.twitter.com/ohXn3rNuxI
— ANI (@ANI) March 5, 2023
रविवार को अरविंद केजरीवाल के साथ तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव और भगवंत मान के साथ, एक उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने शरद पवार, फारूक अब्दुल्लाह, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा. पत्र में केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई गई है. पत्र में लगभग तंजिया लहजे में लिखा गया है कि हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है.
नेताओं ने लिखा कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां जिस तरह से कार्रवाई कर रही हैं वह राजनीति से प्रेरित लगता है. एजेंसियों के दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र में नहीं बल्कि निरंकुश शासन के अधीन रह रहे हैं. विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि लंबे समय तक जांच के नाम पर परेशान करने के बाद मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया. आंकड़ों का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है कि 2014 के बाद से जांच एजेंसियों की कार्रवाई के सबसे अधिक शिकार विपक्ष के नेता ही रहे हैं.
किसी नेता के भाजपा में शामिल होने के बाद जांच एजेंसियों के बदलते रूख पर पत्र में टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि ऐसे नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियां धीमी गति से चलती हैं. पत्र में ऐसे कई उदाहरण भी दिये गये हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जो 2014 और 2015 कांग्रेस में थे शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में थे. पत्र में नेताओं ने लिखा है कि सरमा के भाजपा में शामिल होते ही जांच ठहर सी गई. पत्र में कहा गया है कि ऐसे ही रूझान हमें टीएमसी के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय के मामले में भी नजर आते हैं. दोनों नेताओं का नाम नारदा स्टिंग ऑपरेशन में नाम आया था.
दोनों ही ईडी और सीबीआई जांच के दायरे में थे. जैसे ही इन दोनों नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली और जांच एक बार फिर ठहर गई. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि 2014 के बाद से, विपक्षी नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई में हुई वृद्धि उल्लेखनीय है. पत्र में लालू प्रसाद यादव, संजय राउत, आजम खान, नवाब मलिक और अनिल देशमुख, अभिषेक बनर्जी के नामों का उल्लेख किया गया है. साथ ही आरोप लगाया गया कि ऐसे कई दर्ज मामलों में गिरफ्तारियां चुनावों के समय हुईं हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये गिरफ्तारियां राजनीति से प्रेरित थीं.