नई दिल्ली: बार-बार हंगामे की वजह से लोकसभा और राज्यसभा को सोमवार को भी पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा. विपक्ष लगातार अडाणी मामले में जेपीसी की मांग कर रहा है या फिर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी बिठाए जाने की मांग पर अड़ा है. जबकि सरकार ने पहले ही यह साफ कह दिया है कि अडाणी मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को आधार बनाकर विपक्षी सांसद लगातार सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं.
सोमवार को अलग-अलग राज्यों में सड़क से लेकर सीबीआई के दफ्तर और एलआईसी के दफ्तरों के सामने भी कांग्रेस के नेताओं ने धरना प्रदर्शन किया. वहीं दूसरी तरफ सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री समेत तमाम वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री इस पर लगातार विचार और मंथन कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि अडाणी की तरफ से सफाई देने की मनाही पार्टी के नेताओं को दी गई है, लेकिन सरकार और सत्ताधारी पार्टी की नीति यह है कि जिस अभिभाषण को पहली बार अनुसूचित जनजाति से आई पहली महिला राष्ट्रपति ने प्रस्तुत किया, उस पर चर्चा कराने को लेकर विपक्ष की घेराबंदी जरूर की जाए.
इससे कहीं ना कहीं यह मामला राष्ट्रपति के अवमानना से भी जुड़ता हुआ नजर आ रहा है. यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टी के तमाम नेता इस बात पर ज्यादा तूल दे रहे हैं कि विपक्ष संसद सत्र में बजट अभिभाषण पर चर्चा ना कराने देने की वजह से सीधे-सीधे राष्ट्रपति की अवमानना कर रहा है. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल का कहना है कि विपक्ष की यह नीति ना सिर्फ महिला विरोधी है, बल्कि एक आदिवासी क्षेत्र से आई महिला राष्ट्रपति की अवमानना भी है. उन्होंने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हो सके.
उन्होंने कहा कि हमारे देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर चर्चा ना हो सके, इसलिए विपक्ष सदन चलने नहीं दे रहा. यदि विपक्ष सदन चलने देता तो बजट में जो लोक कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा हुई है और तमाम पिछड़े और सभी वर्गों के लिए जो लोग कल्याणकारी योजनाएं दी गई हैं उस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं चाहता है कि इन बिंदुओं पर चर्चा हो सके.
उन्होंने कहा कि जो बजट है, उसमें हम आगे क्या करने जा रहे इन बातों का जिक्र है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 के एक नए भारत की नींव रखी है, लेकिन विपक्ष इसमें भागीदार नहीं बनना चाहता है और यही वजह है कि लगातार हंगामा कर रहा है. उन्होंने कहा कि संसद में बजट पर अभिभाषण एक ऐसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जिसमें विपक्ष को जो भी कुछ कहना हो वह किसी भी मुद्दे पर आकर चर्चा कर सकता है, लेकिन उस बात को ना अपनाते हुए विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है.
वहीं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का कहना है कि राष्ट्रपति जो एक ऐसे वर्ग से आई हैं, एक आदिवासी महिला, एक दबे कुचले समाज से निकल कर राष्ट्रपति बनी हैं और उनके पहले अभिभाषण पर विपक्ष इस तरह के हंगामे कर रहा है, यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है. वह सिर्फ महिला विरोधी नहीं बल्कि वह अनुसूचित जाति जनजाति विरोधी भी है. अगर विपक्ष को अपनी बात रखनी है तो वह अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ही अपनी बात रखे, लेकिन यह सीधे-सीधे राष्ट्रपति महोदया का अनादर है.
सूत्रों की माने तो सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी इस बात को ज्यादा उजागर करना चाहती है कि विपक्ष एक दबे कुचले समाज से आई महिला राष्ट्रपति की अवमानना कर रहा है. सूत्रों की माने तो पार्टी की तरफ से यह भी माहौल बनाने की कोशिश की गई है कि विपक्ष एक ऐसे रिसर्च की कंपनी हिडेनबर्ग की रिपोर्ट को आधार बना रहा है, जिसे खुद अमेरिका में वहां की सरकार ने उसे बैन कर रखा है. वह एक भारतीय कारोबारी जिनके रैंकिंग में भारत का कहीं गर्व भी छुपा है, उसके खिलाफ आवाज उठा रहा है जो देश के खिलाफ है.
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हालांकि अडाणी समूह के खिलाफ इस मामले को विपक्ष की तरफ से उठाते ही अडाणी की रैंकिंग में गिरावट आई थी, लेकिन सोमवार को फोर्ब्स की दुनिया के 20 अमीरों की रैंकिंग लिस्ट में अदानी का नाम 18वें नंबर में शुमार हो गया और ये बात कहीं ना कहीं कारोबारी अडाणी के शुभचिंतकों के लिए एक शुभ संकेत माना जा रहा है. मगर सरकार का कहना है की अडाणी अभी नहीं बल्कि कांग्रेस के समय से ही कारोबार कर रहे और सरकार का उनसे कोई लेना देना नहीं है.