नई दिल्ली : राहुल गांधी ने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री और हावर्ड के प्रोफेसर निकोलस बर्न के साथ एक ऑनलाइन इंटरव्यू में भारत की विदेश नीति से लेकर घरेलू राजनीति ईवीएम मामला चीन पर तनाव और किसान आंदोलन से संबंधित बातों पर विचार व्यक्त किया. साथ ही राहुल गांधी ने अमेरिका से यह भी सवाल किया कि लोकतंत्र पर भरोसा रखने वाला अमेरिका भारत के मामले में चुप क्यों है.
राहुल गांधी के बयान को लेकर एक बार फिर से भारतीय राजनीति में हलचल है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के निकोलस बर्न्स को दिए ऑनलाइन इंटरव्यू को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है.
भाजपा के कुछ नेताओं ने राहुल गांधी की तुलना उन्हीं की पार्टी के नेता मणिशंकर अय्यर से कर दी है. साथ ही भाजपा ने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जब बंगाल में हारेगी तो इसकी शिकायत भी राहुल गांधी अमेरिका से करेंगे.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी कभी भी अपने आप को भारतीय राजनीति से जोड़ नहीं पाए क्योंकि उन्होंने कभी भी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता बनकर काम नहीं किया. यही वजह है कि वह भारत की पूरी राजनीति को समझ ही नहीं पाए.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पांच राज्यों में महत्वपूर्ण चुनाव होने हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री हैं जो 23 रैलियां कर चुके हैं और अगले हफ्ते में भी 10 -15 और रैलियां करने वाले हैं. राहुल को चुनाव प्रचार करना चाहिए.
'भारतीय राजनीति में जनता से जुड़ना आवश्यक'
गोपाल अग्रवाल का कहना है कि 'राहुल गांधी इस बात पर भी विचार करें कि क्या उन्होंने अपनी पार्टी में प्रजातांत्रिक परिस्थितियां अपने नेताओं को दी हैं.'
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस के पास कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है, जो सोनियाजी हैं वह कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं और कोई गांधी परिवार के अलावा अध्यक्ष नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जो राहुल गांधी ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर यह सारी बातें करना चाहते हैं इनका शब्दों के अलावा कोई बहुत मूल्य नहीं है. भारतीय राजनीति में जनता से जुड़ना आवश्यक है और राहुल गांधी पॉलिटिकल टूरिज्म के रूप में राजनीति करना चाहते हैं. यह उन्हें आगे बढ़ाने में सहायक नहीं होगी.
2024 के चुनाव पर फोकस करें राहुल : अय्यर
इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शेखर अय्यर से भी 'ईटीवी भारत' ने बात की. अय्यर का कहना है कि राहुल गांधी इस प्रतिक्रिया से अपना दुख प्रकट कर रहे हैं.राहुल को एक विपक्षी नेता के रूप में जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए और 2024 के चुनाव के लिए अपना फोकस करना चाहिए, ऐसे समय में राहुल नासमझी भरा बयान दे रहे हैं.
शेखर अय्यर का कहना है कि अमेरिका को अगर इस जगह पर रखकर देखा जाए तो चाहे उनका कोई भी राष्ट्रपति हो वह पहले अपने देश का हित सोचेगा, अपनी व्यापार नीति पर, अपनी विदेश नीति पर सोंचेगा. अपने देश हित में ही किसी दूसरे देश के साथ बात करेंगे अपनी सुरक्षा अपने स्ट्रेटजी अपनी चाइना पॉलिसी को लेकर वह पहले सोचेंगे लेकिन हमारे यहां यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी जैसे नेता जिन्होंने राजनीति में 17 साल बिता दिए, ऐसे बयान दे रहे हैं.
'ऐसी बातें इंदिरा गांधी भी स्वाकार नहीं करतीं'
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी भी होतीं तो ऐसी बातें स्वाकार नहीं करतीं. उन्होंने कहा कि इंदिरा भी अमेरिका के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करती थीं. उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया था और यही वजह है कि आज अमेरिका का इतना ज्यादा हस्तक्षेप बंद हो चुका है. भारत एक सशक्त देश है, इसीलिए हमारा मानना है कि राहुल गांधी को ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए.
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शेखर अय्यर ने कहा कि राहुल गांधी केरल गए असम गए मगर बंगाल नहीं गए क्योंकि केरल में वामपंथियों का विरोध कर रहे हैं और बंगाल में वामपंथियों का साथ दे रहे हैं. इस तरह की अंतर्विरोध को लेकर कांग्रेस जूझ रही है और जिस तरह वह कभी चाइना पर कभी अमेरिका पर बार-बार बयान बाजी कर रहे हैं.
विदेश नीति मामले में उन्हें बहुत ही संवेदनशीलता से काम लेते हुए सोच समझकर बयान देना चाहिए. यह लोकतंत्र है चुनाव में कई जगह कांग्रेस भी जीत रही है और आगे भी जीतेगी ऐसे में यह कहना कि भारत में क्या हो रहा है ठीक नहीं है. उन्हें स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि यह भारत है बर्मा नहीं है, जहां नेताओं को जेल में डाल दिया गया है और आपको दूसरे देश से मदद लेनी पड़ रही है.
उन्होंने कहा कि 'आपको याद होगा कि बराक ओबामा जैसे राष्ट्रपति और नेता जिन्हें निजी तौर पर भारत से ज्यादा कोई लेना देना नहीं था उन्होंने भी अपने संस्मरण में लिखा था कि राहुल गांधी से बात की तो ऐसा लगा कि राहुल अभी स्कूल से बाहर ही नहीं आए हैं. ऐसी टिप्पणी कहीं ना कहीं राहुल गांधी पर सवाल उठाती है.'