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पुथुपल्ली विधान सभा : चुनावी लड़ाई में कौन होगा फेल कौन होगा पास

केरल विधान सभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. केरल में 6 अप्रैल को होने वाले चुनावों में कोट्टायम जिले में विधानसभा क्षेत्र पुथुपल्ली राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय लिख सकता है. पुथुपल्ली विधान सभा कई मायनों में खास है. पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने इस विधान सभा सीट से हाल ही में 50 साल पूरे कर लिए हैं. अब इस बार केरल के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 77 वर्षीय ओमन चांड़ी इस बार यहां से चुनाव जीत कर केएम मणि के बनाए हुए रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे, पढ़िए...

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Published : Mar 26, 2021, 11:49 AM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल के कोट्टायम जिले में विधानसभा क्षेत्र पुथुपल्ली पिछले कई दशकों से केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी का पर्याय बन गया है. केरल विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने इस विधान सभा सीट से हाल ही में 50 साल पूरे कर लिए हैं और इसी के साथ विधान सभा क्षेत्र पुथुपल्ली को केरल के राजनीतिक इतिहास में भी जगह मिल गई है. क्योंकि यह विधान सभा सीट कई मायनों में केरल की राजनीति में बेहद खास है.

पुथुपल्ली विधान सभा क्षेत्र ने ओमन को दक्षिण भारत के नेता करुणानिधि, केआर, गौरी अम्मा, केएम मणि जैसे राजनीतिक दिग्गजों की सूची में नाम हासिल करने में मददगार साबित हुई. इस विधान सभा सीट से चांडी 11 बार विजेता रह चुके हैं. अब इस बार केरल के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 77 वर्षीय ओमन चांडी इस बार यहां से चुनाव जीत कर केएम मणि के बनाए हुए रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय केएम मणि के नाम 12 बार पुथुपल्ली विधान सभा सीट जीतने का रिकॉर्ड कायम है.

पुथुपल्ली से काफी लोकप्रिय नेता हैं चांडी

इस विधान सभा के वोटर्स पूर्व सीएम ओमान चांड़ी को काफी पसंद करते हैं. लोगों के बीच जब यह अफवाह फैली कि ओमान चांडी पुथुपल्ली के बजाय तिरुवनंतपुरम के नेमोम से चुनाव लड़ सकते हैं. तब उनके समर्थकों ने कहीं और से चुनाव लड़ने पर रोष प्रकट किया और भारी संख्या में जोरदार प्रदर्शन किया. वह इस बात के खिलाफ थें कि उनके नेता चांडी कही और से चुनाव लड़े.

जल्द ही अफवाहों के बाद चांडी ने पुथुपल्ली में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी और कहा कि वह पुथुपल्ली को नहीं छोड़ेंगे. उन्होने 16 मार्च मंगलवार को नामांकन दाखिल किया. इसी के साथ इस सीट से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने युवा नेता जैक सी थॉमस को ओमन चांडी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा.

पढ़ें : केरल में गरजे अमित शाह, बोले- एलडीएफ और यूडीएफ सरकारों ने राज्य को बना दिया भ्रष्टाचार का अड्डा

हाल ही में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने जैक थॉमस के नेतृत्व में नगर निकाय चुनावों में अच्छी पकड़ बना ली. जबकि स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान पिछली बार कांग्रेस के नेता चांडी को अपने ही पंचायत क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा. निकाय चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए वामदल ये उम्मीद कर रही है कि विधान सभा चुनाव में भी यही रिजल्ट होगा. पुथुपल्ली से भाजपा ने बीजेपी राज्य समिति के सदस्य, एन. हरि को अपना उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने भी इस बार के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

क्या है पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास

पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अट्टालकुन्नम, अयान कुणम, कूरोपाड़ा, मनारकौड, मीनादाम, पंबड़ी, और कोट्टायम तालुक के पुट्टुप्पल्ली पंचायत और चंगनास्सेरी तालुक में वाक्थनम पंचायत क्षेत्र हैं. 2018 में निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना से पहले अयुतकुन्नम, कूरोप्पदा, मीनादाम, पंबडी, पुथुपल्ली, पल्लिक्कथोडु और पंचिकाडु पंचायत पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र में थे. पुथुपल्ली में वर्तमान समय में कुल 17599 मतदाता हैं, जिनमें 89914 महिलाएं, 86042 पुरुष और 3 ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

1957 में कांग्रेस उम्मीदवार पीसी चेरियन पुथुपल्ली से पहले विधायक के रूप में चुने गए थे. दूसरी बार 1960 के चुनाव में पीसी चेरियन ने फिर से जीत हासिल की. फिर 1967 में पहली बार माकपा के उम्मीदवार ईएम जॉर्ज को लोगों ने अपना उम्मीदवार चुना. जॉर्ज पुथुपल्ली से अब तक चुने गए एकमात्र वाम विधायक बने.

27 साल की उम्र में ओमान चांडी पहली बार पुथुपल्ली से विधानसभा सदस्य चुने गए थे. यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चांडी ने जॉर्ज को 7288 मतों के बहुमत से हराया था. लगभग 27 साल की उम्र में ओमान चांडी ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की थी और तब से वो अबतक हर विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करते आए हैं, जो लगभग लगातार 50 साल से बरकरार है.

पढ़ें : केरल में बोले राहुल, सरकार बनने के बाद लागू करेंगे 'न्याय योजना'

1987 का चुनाव एकमात्र ऐसा चुनाव था, जिसमें चांडी का बहुमत अपने पहले चुनावों के बाद से 10000 अंकों से नीचे चला गया था.

2016 के चुनावों में केरल में वामपंथी लहर ने भी पुथुपल्ली में ओमन चांडी के प्रभाव को कम नहीं कर पाया. वामदल स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के युवा नेता उम्मीदवार जैक सी. थॉमस को चांडी ने 27092 मतों के भारी बहुमत से हराया था. और यह सीट एक बार फिर यूडीएफ के पास रही. जहां चांडी को 53.42 वोट मिला, वहीं जैक को केवल 33.2 फीसदी वोट मिले. वही इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार का वोट शेयर पुथुपल्ली में पहली बार 10 प्रतिशत से अधिक हो गया.

2020 के निकाय चुनाव में लेफ्ट ने दिखाया दम

हाल ही में नगर निकाय चुनावों में डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 2020 पुथुपल्ली पंचायत में अच्छी पकड़ बना ली, इस चुनाव में यूडीएफ, चांडी के वार्ड में भी काफी पीछड़ गया, जोकि यूडीएफ के लिए एक बड़ा झटका था. पंचायत चुनावों का नेतृत्व खुद एक लंबा अनुभव रखने वाले कांगेस के सबसे बुजुर्ग नेताओं में से एक ओमन चांडी ने किया था.

पढ़ें : केरल : चुनावी रंग में रंगे लोग, पार्टियों के चुनाव चिन्ह वाले डोसे की बढ़ी डिमांड

एलडीएफ ने आठ में से 6 पंचायतों में जीत दर्ज की थी. अकालकुन्नम, मनारकौड, पंबडी, वकथनम, कुरुप्पदा और चांडी का पुथुपल्ली सीट लेफ्ट फ्रंट की ओर झुक गया. इस बीच, यूडीएफ केवल अयारककुन्नम और मीनादाम में ही जीत हासिल कर पाई.

अप्रैल में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुथुपल्ली के ओमन चांडी एक बार फिर जीत हासिल कर पायेंगे या नहीं. अगर वह इस बार भी चुनाव जीत गए तो वह सबसे ज्यादा सीट जीतने वाले स्वर्गीय केएम मणि की बराबरी कर लेंगे.

तिरुवनंतपुरम : केरल के कोट्टायम जिले में विधानसभा क्षेत्र पुथुपल्ली पिछले कई दशकों से केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी का पर्याय बन गया है. केरल विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने इस विधान सभा सीट से हाल ही में 50 साल पूरे कर लिए हैं और इसी के साथ विधान सभा क्षेत्र पुथुपल्ली को केरल के राजनीतिक इतिहास में भी जगह मिल गई है. क्योंकि यह विधान सभा सीट कई मायनों में केरल की राजनीति में बेहद खास है.

पुथुपल्ली विधान सभा क्षेत्र ने ओमन को दक्षिण भारत के नेता करुणानिधि, केआर, गौरी अम्मा, केएम मणि जैसे राजनीतिक दिग्गजों की सूची में नाम हासिल करने में मददगार साबित हुई. इस विधान सभा सीट से चांडी 11 बार विजेता रह चुके हैं. अब इस बार केरल के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 77 वर्षीय ओमन चांडी इस बार यहां से चुनाव जीत कर केएम मणि के बनाए हुए रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय केएम मणि के नाम 12 बार पुथुपल्ली विधान सभा सीट जीतने का रिकॉर्ड कायम है.

पुथुपल्ली से काफी लोकप्रिय नेता हैं चांडी

इस विधान सभा के वोटर्स पूर्व सीएम ओमान चांड़ी को काफी पसंद करते हैं. लोगों के बीच जब यह अफवाह फैली कि ओमान चांडी पुथुपल्ली के बजाय तिरुवनंतपुरम के नेमोम से चुनाव लड़ सकते हैं. तब उनके समर्थकों ने कहीं और से चुनाव लड़ने पर रोष प्रकट किया और भारी संख्या में जोरदार प्रदर्शन किया. वह इस बात के खिलाफ थें कि उनके नेता चांडी कही और से चुनाव लड़े.

जल्द ही अफवाहों के बाद चांडी ने पुथुपल्ली में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी और कहा कि वह पुथुपल्ली को नहीं छोड़ेंगे. उन्होने 16 मार्च मंगलवार को नामांकन दाखिल किया. इसी के साथ इस सीट से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने युवा नेता जैक सी थॉमस को ओमन चांडी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा.

पढ़ें : केरल में गरजे अमित शाह, बोले- एलडीएफ और यूडीएफ सरकारों ने राज्य को बना दिया भ्रष्टाचार का अड्डा

हाल ही में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने जैक थॉमस के नेतृत्व में नगर निकाय चुनावों में अच्छी पकड़ बना ली. जबकि स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान पिछली बार कांग्रेस के नेता चांडी को अपने ही पंचायत क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा. निकाय चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए वामदल ये उम्मीद कर रही है कि विधान सभा चुनाव में भी यही रिजल्ट होगा. पुथुपल्ली से भाजपा ने बीजेपी राज्य समिति के सदस्य, एन. हरि को अपना उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने भी इस बार के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

क्या है पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास

पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अट्टालकुन्नम, अयान कुणम, कूरोपाड़ा, मनारकौड, मीनादाम, पंबड़ी, और कोट्टायम तालुक के पुट्टुप्पल्ली पंचायत और चंगनास्सेरी तालुक में वाक्थनम पंचायत क्षेत्र हैं. 2018 में निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना से पहले अयुतकुन्नम, कूरोप्पदा, मीनादाम, पंबडी, पुथुपल्ली, पल्लिक्कथोडु और पंचिकाडु पंचायत पुथुपल्ली निर्वाचन क्षेत्र में थे. पुथुपल्ली में वर्तमान समय में कुल 17599 मतदाता हैं, जिनमें 89914 महिलाएं, 86042 पुरुष और 3 ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

1957 में कांग्रेस उम्मीदवार पीसी चेरियन पुथुपल्ली से पहले विधायक के रूप में चुने गए थे. दूसरी बार 1960 के चुनाव में पीसी चेरियन ने फिर से जीत हासिल की. फिर 1967 में पहली बार माकपा के उम्मीदवार ईएम जॉर्ज को लोगों ने अपना उम्मीदवार चुना. जॉर्ज पुथुपल्ली से अब तक चुने गए एकमात्र वाम विधायक बने.

27 साल की उम्र में ओमान चांडी पहली बार पुथुपल्ली से विधानसभा सदस्य चुने गए थे. यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चांडी ने जॉर्ज को 7288 मतों के बहुमत से हराया था. लगभग 27 साल की उम्र में ओमान चांडी ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की थी और तब से वो अबतक हर विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करते आए हैं, जो लगभग लगातार 50 साल से बरकरार है.

पढ़ें : केरल में बोले राहुल, सरकार बनने के बाद लागू करेंगे 'न्याय योजना'

1987 का चुनाव एकमात्र ऐसा चुनाव था, जिसमें चांडी का बहुमत अपने पहले चुनावों के बाद से 10000 अंकों से नीचे चला गया था.

2016 के चुनावों में केरल में वामपंथी लहर ने भी पुथुपल्ली में ओमन चांडी के प्रभाव को कम नहीं कर पाया. वामदल स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के युवा नेता उम्मीदवार जैक सी. थॉमस को चांडी ने 27092 मतों के भारी बहुमत से हराया था. और यह सीट एक बार फिर यूडीएफ के पास रही. जहां चांडी को 53.42 वोट मिला, वहीं जैक को केवल 33.2 फीसदी वोट मिले. वही इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार का वोट शेयर पुथुपल्ली में पहली बार 10 प्रतिशत से अधिक हो गया.

2020 के निकाय चुनाव में लेफ्ट ने दिखाया दम

हाल ही में नगर निकाय चुनावों में डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 2020 पुथुपल्ली पंचायत में अच्छी पकड़ बना ली, इस चुनाव में यूडीएफ, चांडी के वार्ड में भी काफी पीछड़ गया, जोकि यूडीएफ के लिए एक बड़ा झटका था. पंचायत चुनावों का नेतृत्व खुद एक लंबा अनुभव रखने वाले कांगेस के सबसे बुजुर्ग नेताओं में से एक ओमन चांडी ने किया था.

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एलडीएफ ने आठ में से 6 पंचायतों में जीत दर्ज की थी. अकालकुन्नम, मनारकौड, पंबडी, वकथनम, कुरुप्पदा और चांडी का पुथुपल्ली सीट लेफ्ट फ्रंट की ओर झुक गया. इस बीच, यूडीएफ केवल अयारककुन्नम और मीनादाम में ही जीत हासिल कर पाई.

अप्रैल में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुथुपल्ली के ओमन चांडी एक बार फिर जीत हासिल कर पायेंगे या नहीं. अगर वह इस बार भी चुनाव जीत गए तो वह सबसे ज्यादा सीट जीतने वाले स्वर्गीय केएम मणि की बराबरी कर लेंगे.

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