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राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल, RSS पर संस्तुति का आरोप

लखनऊ खंडपीठ में वकालत करने वाले 3 अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी राज्य विधि अधिकारियों की सूची को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. गौरतलब है कि मामले में जनहित याचिका दाखिल कर 1 अगस्त को जारी सूची रद्द करने की मांग की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 23, 2022, 10:07 AM IST

Updated : Aug 23, 2022, 1:21 PM IST

प्रयागराज: राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी राज्य विधि अधिकारियों की सूची को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. लखनऊ खंडपीठ में वकालत करने वाले 3 अधिवक्ताओं ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल कर 1 अगस्त को जारी सूची रद्द करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति आरएसएस व कुछ न्यायिक अधिकारियों की संस्तुति पर की गई है. सूची में तमाम ऐसे नाम हैं जो राजनीतिक लोगों या न्यायिक अधिकारियों के रिश्तेदार हैं. याचिका में मांग की गई कि सिविल व क्रिमिनल साइड के लिए जारी 220 राज्य विधि अधिकारी व वाद धारकों के पैनल को रद्द किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि सूची में कई नाम ऐसे हैं जो लखनऊ व इलाहाबाद में नियुक्त अपर महाधिवक्ता के रिश्तेदार व उनके समर्थक है. याचिका में आरोप है कि राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए न तो कोई कमेटी बनाई गई और न ही कोई सूचना जारी की गई. तमाम ऐसे लोगों को इस सूची में शामिल किया गया है जिनके पास वकालत में 5 वर्ष का भी अनुभव नहीं है जो कि अवैधानिक व मनमाना है. याचिका प्रारंभिक रिपोर्टिंग के समस्याओं को दूर करने के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गई है.

प्रयागराज: राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी राज्य विधि अधिकारियों की सूची को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. लखनऊ खंडपीठ में वकालत करने वाले 3 अधिवक्ताओं ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल कर 1 अगस्त को जारी सूची रद्द करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति आरएसएस व कुछ न्यायिक अधिकारियों की संस्तुति पर की गई है. सूची में तमाम ऐसे नाम हैं जो राजनीतिक लोगों या न्यायिक अधिकारियों के रिश्तेदार हैं. याचिका में मांग की गई कि सिविल व क्रिमिनल साइड के लिए जारी 220 राज्य विधि अधिकारी व वाद धारकों के पैनल को रद्द किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि सूची में कई नाम ऐसे हैं जो लखनऊ व इलाहाबाद में नियुक्त अपर महाधिवक्ता के रिश्तेदार व उनके समर्थक है. याचिका में आरोप है कि राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए न तो कोई कमेटी बनाई गई और न ही कोई सूचना जारी की गई. तमाम ऐसे लोगों को इस सूची में शामिल किया गया है जिनके पास वकालत में 5 वर्ष का भी अनुभव नहीं है जो कि अवैधानिक व मनमाना है. याचिका प्रारंभिक रिपोर्टिंग के समस्याओं को दूर करने के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गई है.

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Last Updated : Aug 23, 2022, 1:21 PM IST
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