नई दिल्ली : उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन को अधिसूचित करते हुए, मंत्रालय ने यह भी कहा कि भाग लेने वाली कंपनियों को प्रसंस्करण और संचालन गतिविधियां अपने कारखाने के परिसर में करनी होंगी.
इसमें कहा गया है कि प्रोत्साहन हासिल करने के लिए दावों पर ध्यान देते समय ट्रेडिंग और ऑउटसोर्स के जरिए कराए गए काम से जुड़े कारोबार का संज्ञान नहीं लिया जाएगा.
योजना के तहत पंजीकृत कंपनी द्वारा निर्मित सामान केवल प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे, और अन्य विनिर्माताओं या उसी व्यापार समूह की दूसरी कंपनियों द्वारा निर्मित सामान को वृद्धिशील कारोबार की गणना में शामिल नहीं किया जाएगा.
अधिसूचना में कहा गया है, 'केवल भारत में पंजीकृत विनिर्माण कंपनियां ही इस योजना के तहत भाग लेने के लिए पात्र होंगी.'
योजना के तहत प्रोत्साहन 2024-25 से 2028-29 के बीच प्राप्त वृद्धिशील कारोबार पर 2025-26 से 2029-30 के दौरान पांच वर्षों के लिए उपलब्ध होगा. इसके लिए बजट में 10,683 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
हालांकि कोई कंपनी एक साल पहले निवेश और प्रदर्शन के लक्ष्यों को हासिल कर लेती है तो वह 2024-25 से 2028-29 तक एक साल पहले ही पीएलआई योजना के लिए पात्र हो जाएगी. इस योजना में एमएमएफ (मानव निर्मित फाइबर) परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और तकनीकी वस्त्र उत्पादों के 10 खंडों को प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव है.
इसके अलावा, एक समूह की केवल एक कंपनी को कपड़ा के लिए पीएलआई के वास्ते पंजीकृत होने की मंजूरी दी जाएगी तथा समूह की कोई और कंपनी इस योजना में दूसरे भागीदार के रूप में हिस्सा लेने के लिए पात्र नहीं होगी.
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