नई दिल्ली: राम मंदिर का न्योता ठुकराना हिंदू धर्म के प्रति कांग्रेस के विरोध को उजागर करता है. भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले को तूल दे दिया है. पार्टी अब इसे हिंदू धर्म और सनातन का विरोध बता रही है. अंदरखाने सूत्रों की माने तो पार्टी इस मामले को लोकसभा चुनाव में भी खासकर हिंदी बहुल राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ एजेंडा के रूप में इस्तेमाल करेगी. बीजेपी उन कार्यक्रमों की सूची भी गिना रही है, जिन मौके पर कांग्रेस ने जनभावनाओं के उलट ऐसे निर्णय लिए.
बीजेपी ये दावा कर रही है कि राम मंदिर का न्योता ठुकराना हिंदू धर्म के प्रति कांग्रेस के विरोध को उजागर करता है. भाजपा अब चुनावी मैदान में कांग्रेस से ये भी सवाल करेगी कि क्या कांग्रेस अभी भी उस मस्जिद के समर्थन में है, जिसे 1992 में कारसेवकों ने गिरा दिया था. आखिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस.
भाजपा अब उन मुद्दों को सूचीबद्ध कर चुनाव में लोगों तक पहुंचाएगी कि किन-किन मौकों पर कांग्रेस ने विरोध किया है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री जवारलाल नेहरू ने सोमनाथ के पुनर्निर्माण और विकास के बाद अपने ही सहयोगी राजेंद्र प्रसाद के जाने और सहयोग देने का विरोध किया था.
यही नहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण का विरोध, इंडिया को भारत बुलाने का विरोध, वंदे मातरम का विरोध, इन तमाम विरोधों की सूची तैयार कर भाजपा इसे लोकतंत्र के खिलाफ बता रही है और उनका कहना है कि ये कांग्रेस गांधी की विचारधारा नहीं, बल्कि वामपंथियों की विचारधारा पर चल रही है, क्योंकि पहले निमंत्रण को उन्होंने ठुकराया.
एक तरफ प्रधानमंत्री 11 दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं और पूरे देश में महोत्सव का माहौल है, वहीं कांग्रेस के इस निर्णय का विरोध ना सिर्फ बीजेपी बल्कि उन्हीं की पार्टी के अंदर शुरू हो चुका है. जैसे कांग्रेस के गुजरात अध्यक्ष अमरीश देर ने इसे जनभावना के खिलाफ बताया, वहीं कई नेता भी दबी जुबान में राम को आदर्श बता रहे हैं.
इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रवक्ता आरपी सिंह ने ईटीवी भारत से कहा कि कांग्रेस पार्टी प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार कर ये संदेश देना चाहती है कि वो इसके विरोध में है, लेकिन देश में सभी धर्म के लोग इसे उत्शाहपूर्वक समारोह की तरह देख रहे और उस दिन क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सिख, ईसाई सभी उस दिन उत्सव मनाएंगे.
उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार देश भर के 500 मस्जिदों में दिए जलाए जाएंगे और दिल्ली में लगभग 36 मस्जिदों में दिए जलाए जाएंगे. इसी तरह अन्य धार्मिक स्थानों पर भी दिए जलाए जाएंगे. मगर कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति से बाहर नहीं आ पा रही है.