नई दिल्ली : केंद्र और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की अहम वार्ता से एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और इस वर्तमान संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों के अनुसार तोमर ने सिंह के साथ इस संकट के समाधान के लिए 'बीच का रास्ता' ढूंढने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की.
पिछली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रहे राजनाथ सिंह एक अहम संकटमोचक के रूप में उभरे हैं और वह इस मुद्दे पर अधिकतर पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं.
पिछले 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर ठिठुरती ठंड और अब बारिश के बाद भी टिके प्रदर्शनकारी किसानों ने धमकी दी है कि यदि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है, तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे.
शनिवार रात से वर्षा होने से प्रदर्शन स्थलों पर पानी जमा हो गया है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा है, 'जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती है तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे.'
पांच दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में सरकार और 40 किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि एवं पराली जलाने पर जुर्माने पर प्रदर्शनकारी किसानों की चिंताओं के समाधान पर बात बनी थी, लेकिन तीन कृषि कानूनों एवं एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के विषय पर दोनों पक्षों में गतिरोध कायम है.
एक जनवरी को तोमर ने मीडिया से कहा था कि सरकार चार जनवरी को किसान संगठनों के साथ अगले दौर की बैठक में सकारात्मक नतीजे आने को लेकर आशान्वित है, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया कि क्या सातवां दौर वार्ता का आखिरी दौर होगा.
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जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद है कि चार जनवरी की बैठक आखिरी दौर होगा, तो उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा पक्के तौर पर नहीं कह सकता, मै कोई ज्योतिषी नहीं हूं. मैं आशान्वित हूं कि (बैठक में) जो भी निर्णय होगा, वह देश और किसानों के हित में होगा.'
पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारी किसानों ने अल्टीमेटम जारी किया था कि यदि अगली दौर की वार्ता में उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के साथ प्रवेश करेंगे.