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अफसर ने विशेषाधिकारों का बेशर्मी से किया दुरुपयोग : मप्र हाई काेर्ट

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Published : Jul 6, 2021, 10:09 PM IST

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh high court) ने राज्य के कुख्यात हनी ट्रैप कांड के शिकायतकर्ता अफसर की यह कहते हुए खिंचाई की है कि उसने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और खुद को अनैतिक लोगों का आसान निशाना बनने दिया.

अफसर
अफसर

इंदौर : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh high court) की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने हनी ट्रैप कांड (honey trap scandal) की तीन महिला आरोपियों की जमानत याचिकाएं मंजूर करते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की है. ये आरोपी पिछले 22 महीनों से न्यायिक हिरासत के तहत स्थानीय जेल में बंद हैं.

अदालत ने इनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसकी प्रति आरोपियों के वकीलों को मंगलवार (छह जुलाई) को प्राप्त हुई. इसमें एकल पीठ ने मामले के गुण-दोषों पर टिप्पणी किए बगैर तीनों महिला आरोपियों को 50,000-50,000 रुपये की जमानत और इतनी ही रकम के मुचलके पर जेल से रिहा किए जाने को कहा है.

बहरहाल, अदालत ने हनी ट्रैप कांड में इंदौर के पलासिया पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह (61) के बारे में कहा कि इस अदालत का सुविचारित मत है कि शिकायतकर्ता हरभजन सिंह (Complainant Harbhajan Singh) ने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और उन्होंने खुद को अनैतिक व्यक्तियों का आसान निशाना बनने दिया.

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने महिला आरोपियों के साथ लम्पटता से बात की तथा वह उनका अंतरंग साथ पाने को तैयार हो गया और जब चीजें उसके नियंत्रण से बाहर होने लगीं, तो उसने मदद के लिए झूठी चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी.

बता दें कि पुलिस ने सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था. तब सिंह इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधीक्षण इंजीनियर के रूप में पदस्थ थे. हालांकि, बाद में उन्हें अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.

इसे भी पढ़ें : धमकी को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है : एमपी हाई कोर्ट

आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि हनी ट्रैप गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किए गए थे.
(पीटीआई-भाषा)

इंदौर : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh high court) की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने हनी ट्रैप कांड (honey trap scandal) की तीन महिला आरोपियों की जमानत याचिकाएं मंजूर करते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की है. ये आरोपी पिछले 22 महीनों से न्यायिक हिरासत के तहत स्थानीय जेल में बंद हैं.

अदालत ने इनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसकी प्रति आरोपियों के वकीलों को मंगलवार (छह जुलाई) को प्राप्त हुई. इसमें एकल पीठ ने मामले के गुण-दोषों पर टिप्पणी किए बगैर तीनों महिला आरोपियों को 50,000-50,000 रुपये की जमानत और इतनी ही रकम के मुचलके पर जेल से रिहा किए जाने को कहा है.

बहरहाल, अदालत ने हनी ट्रैप कांड में इंदौर के पलासिया पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह (61) के बारे में कहा कि इस अदालत का सुविचारित मत है कि शिकायतकर्ता हरभजन सिंह (Complainant Harbhajan Singh) ने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और उन्होंने खुद को अनैतिक व्यक्तियों का आसान निशाना बनने दिया.

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने महिला आरोपियों के साथ लम्पटता से बात की तथा वह उनका अंतरंग साथ पाने को तैयार हो गया और जब चीजें उसके नियंत्रण से बाहर होने लगीं, तो उसने मदद के लिए झूठी चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी.

बता दें कि पुलिस ने सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था. तब सिंह इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधीक्षण इंजीनियर के रूप में पदस्थ थे. हालांकि, बाद में उन्हें अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.

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आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि हनी ट्रैप गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किए गए थे.
(पीटीआई-भाषा)

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