नई दिल्ली: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत भर के अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में पुरुषों और महिलाओं में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता बढ़ी है. राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापा 21% से बढ़कर 24% और पुरुषों में 19% से 23% हो गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप (34-46%) में एक तिहाई से अधिक महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्तित हैं.
वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने हाल के दिनों में जनसंख्या नियंत्रण उपायों में उल्लेखनीय प्रगति की है. कुल प्रजनन दर (टीएफआर), प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या, एनएफएचएस- 4 और 5 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से 2.0 तक गिर गई है. भारत में केवल पांच राज्य हैं, जो प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से ऊपर हैं. ऐसे राज्य हैं बिहार-2.98, मेघालय- 2.91, उत्तर प्रदेश- 2.35, झारखंड- 2.26, मणिपुर- 2.17. समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) देश में 54% से बढ़कर 67% हो गई है. लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है. परिवार नियोजन के लक्ष्य के पूरा नहीं होने में गिरावट दर्ज का गई है. पहले हम लक्ष्य से 13% पीछे से जो अब 9% रह गई है. दो बच्चों के बीच के अंतराल के मामले में भी हम अब लक्ष्य से 10% पीछे हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार, पहली तिमाही में प्रसवपूर्व निदानशाला (एएनसी) का दौरा करने वाली गर्भवती महिलाओं का अनुपात एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच 59 से बढ़कर 70% हो गया. नागालैंड में सबसे अधिक 25% की वृद्धि हुई, इसके बाद मध्य प्रदेश और हरियाणा का स्थान रहा. इसके विपरीत, गोवा, सिक्किम, पंजाब और छत्तीसगढ़ में पहली तिमाही में एएनसी के दौरे में मामूली कमी देखी गई. भारत में अस्पतालों में जन्म 79% से बढ़कर 89% हो गया है. यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87% जन्म अस्पतालों में होता है. शहरी क्षेत्रों में यह 94% है. इसमें अरुणाचल प्रदेश में अधिकतम 27% की वृद्धि हुई, इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले 5 वर्षों में 91% से अधिक जिलों में 70% से अधिक जन्म अस्पतालों में हुए हैं.
गौरतलब है कि पिछले चार साल से भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग (हकलाना) का स्तर 38 से 36 फीसदी तक मामूली रूप से कम हुआ है. 2019-21 में शहरी क्षेत्रों 30% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों 37% में बच्चों में हकलाने की समस्या अधिक है. इसमें पुडुचेरी में सबसे कम 20% और मेघालय में उच्चतम 47% है. हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और सिक्किम प्रत्येक में 7% अंक, झारखंड, मध्य प्रदेश और मणिपुर प्रत्येक में 6% अंक, और चंडीगढ़ और बिहार प्रत्येक में 5% अंक में हकलाने में कमी दर्ज की गई है. 12-23 महीने की आयु के बच्चों में एनएफएचएस-5 में, एनएफएचएस-4 के 62% की तुलना में तीन-चौथाई यानी 77% से अधिक बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया. बच्चों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज नागालैंड में 57% से लेकर दादर नगर हवेली और दमन द्विप में 95% तक है. ओडिशा- 91%, तमिलनाडु -89% और पश्चिम बंगाल 88% ने भी अपेक्षाकृत अधिक टीकाकरण कवरेज दिखाया है.
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एनएफएचएस-5 सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सतत विकास लक्ष्य संकेतक में समग्र सुधार दर्शाता है. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार, विवाहित महिलाएं आमतौर पर तीन घरेलू निर्णयों- 1. स्वयं के लिए स्वास्थ्य देखभाल के बारे में; 2. प्रमुख घरेलू खरीदारी करने; 3.अपने परिवार या रिश्तेदारों से मिलने में किस हद तक भाग लेती हैं यह दर्शाता है कि निर्णय लेने में उनकी भागीदारी अधिक है. यह लद्दाख में 80 फीसदी से नागालैंड और मिजोरम में 99 फीसदी. ग्रामीण-77% और शहरी- 81% अंतर मामूली पाया गया है. महिलाओं के पास बैंक या बचत खाता होने का प्रचलन पिछले 4 वर्षों में 53 से बढ़कर 79% हो गया है.
स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन में के इस्तेमाल के मामले में NFHS-4 के 44% के मुकाबले, NFHS-5 में 59% बेहतर हुआ है. इसी तरह स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग क्रमश: 49% के मुकाबले 70% का उपयोग, जिसमें साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधा 60% से 78% तक का सुधार शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने वाले परिवारों के अनुपात में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जिसका श्रेय स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम को दिया जा सकता है.
2019-20 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवे दौर का पहला चरण संचालित किया गया था और उसके परिणामों को दिसंबर 2020 में जारी किया गया. एनएफएचएस में जनसंख्या, परिवार नियोजन, बाल और मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, वयस्क स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा इत्यादि से संबंधित मुख्य संकेतकों का आकलन किया जाता है. पांच वर्ष पहले 2015-16 में एनएफएचएस का चौथा दौर संचालित किया गया था. पांचवें दौर के पहले चरण में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (17 राज्य और 5 केंद्र शासित प्रदेश) के नतीजे प्रस्तुत किए गए हैं. 17 राज्यों में कुल 2,81,429 पारिवारिक इकाइयों, 3,07,422 महिलाओं और 43,945 पुरुषों का सर्वेक्षण किया गया है. इस नोट में हम निम्नलिखित के संबंध में 17 राज्यों के संकेतकों के नतीजे प्रस्तुत कर रहे हैं: (i) जनसंख्या, (ii) स्वास्थ्य एवं पोषण, (iii) इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच, और (iv) जेंडर. एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.37 लाख नमूना घरों में किया गया है. जिसमें 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को अलग-अलग शामिल किया गया है. जिला स्तर तक अनुमान राष्ट्रीय रिपोर्ट सामाजिक-आर्थिक और अन्य पृष्ठभूमि विशेषताओं द्वारा डेटा भी प्रदान करती है; नीति निर्माण और प्रभावी कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए उपयोगी.