पटना: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) का आज दूसरा दिन यानी खरना है. आज ही से छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा. छठ पूजा करने के लिए न केवल देश के कई हिस्सों से लोग बिहार आ रहे हैं बल्कि विदेशों में भी रहने वाले वैसे बिहारी अपने घर आ रहे हैं जो दूर देश रहते हुए भी अपनी जड़ों को नहीं भूलते हैं. पूरे साल यह लोग बिहार आए या न आए लेकिन छठ पूजा में अपने घर जरूर आते हैं. विदेशों (NRI Coming Bihar For Chhath Puja) से बिहार आ रहे कुछ लोगों ने अपना लाइव वीडियो भेजा है. जिसमें वो कह रहे हैं कि छठी मईया के आशीर्वाद से वो लोग छठ मनाने के लिए बिहार आ रहे हैं और इसे लेकर वो बहुत खुश हैं. साथ ही उन्होंने बिहार और देशवासियों को छठ की शुभकामना भी दी है.
ये भी पढ़ेंः भारत-नेपाल सीमा के झीम नदी घाट पर छठ का अद्भुत नजारा, हजारों श्रद्धालु देते हैं भगवान भास्कर को अर्घ्य
तंजानिया से आ रहे राजीवः तंजानिया के दारुस्सलाम में रहने वाले समस्तीपुर के राजीव कुमार भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो छठ पूजा में घर आते हैं. दारुस्सलाम से भेजे अपने संदेश में राजीव बताते हैं कि वह पिछले 20 साल से तंजानिया में रह रहे हैं. अब तक उनकी वाइफ अमृता छठ मनाने अपने पैतृक घर समस्तीपुर हर साल जाती थी, लेकिन काफी वक्त के बाद यह पहला मौका है, जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ छठ पूजा में घर जा रहे हैं. राजीव की वाइफ अमृता बताती हैं कि हम दोनों करते हैं. इस बार सौभाग्य की बात है कि हम चारों एक साथ अपने घर जा रहे हैं.
"इस वक्त हम तंजानिया के दारुस्सलाम एयरपोर्ट पर खड़े हैं, छठ करने बिहार जा रहे हैं. मैं बीस साल से तंजानिया के दारुस्सलाम में नौकरी कर रहा हूं. मेरी वाइफ अमृता तो हर साल ही छठ पूजा करने घर जाती हैं, लेकिन इस बार छठी मईया के आशीर्वाद से हम सब लोग अपने घर जा रहे हैं, काफी अच्छा लग रहा है. छठी मईया सबकी मनोकामना पूरी करें. सभी लोगों को छठ की ढेर सारी शुभकामनाएं"- राजीव कुमार, अप्रवासी बिहारी
बहरीन से अपर्णा आ रहीं बिहारः बहरीन में रहने वाली अपर्णा मिश्रा ने बहरीन से भेजे अपने संदेश में कहा है कि इस बारे छठ पूजा में वह अपने घर बिहार जा रही हैं और काफी उत्साहित हैं. हालांकि अपर्णा इस बात को लेकर भी थोड़ी मायूस हैं कि व्यस्तता की वजह से उनके पति छठ में घर नहीं आ पा रहे हैं. लेकिन वह अपने बच्चों के साथ बिहार जा रही हैं और हर साल जाती हैं.
बर्लिन से अनमोल ने भेजा संदेशः जर्मनी की राजधानी बर्लिन से भेजे हुए अपने संदेश में बिहार के निवासी अनमोल बताते हैं कि पिछले 3 सालों से वह बर्लिन में रह रहे हैं. अनमोल बताते हैं कि जहां वह जॉब करते हैं वहां साल में एक बार 1 महीने की छुट्टी मिलती है. उस छुट्टी को उन्होंने कहीं भी वेस्ट नहीं किया है. सारी छुट्टियों को वह छठ पूजा के लिए बचा कर रखते हैं. अनमोल बताते हैं कि जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा था तब भी वह बिहार में छठ पूजा पर अपने घर में थे. उनकी मां घर में छठ पूजा करती है, जिसमें शामिल होकर उन्हें काफी अच्छा लगता है.
"2019 से बर्लिन में जॉब कर रहे हैं, हर साल छठ पर अपने घर बिहार जाते हैं. इसके लिए खास कर छुट्टी बचाकर रखता हूं, ताकि छठ घर पर कर सकूं. बहुत अच्छा लगता है अपने घर पर छठ करना इसलिए हमारी कोशिश होती है कि छुट्टी इधर उधर बर्बाद ना हो और छठ पूजा पर छुट्टी ले संकू"- अनमोल, अप्रवासी बिहारी
बड़ी संख्या में हर साल बिहार आते हैं लोगः दरअसल छठ पूजा पर बिहार से बाहर रहने वाले लोग हर साल बिहार जरूर आते हैं. हर किसी के मन में ये इच्छा होती कि छठ की पूजा अपने घर जाकर ही मनाएं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो किसी कारणवश अपने घर, अपने गांव नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे लोगों को घर की छठ खूब याद आती, लेकिन जो लोग छठ पूजा पर अपने घर आ जाते हैं वो खुद को भाग्यशाली मानते हैं और ये कहते हैं कि छठी मईया ने उन्हें अपना अशीर्वाद दिया है, जिससे उन्हें घर पर छठ करने का मौका मिला. हर साल की इस साल भी बड़ी संख्या में लोग छठ करने घर पहुंच रहे हैं. कुछ लोग किसी भी तरह ट्रेन में लदकर बिहार पहुंच रहे हैं. हालांकि भारतीय रेलवे त्यौहार के सीजन पर स्पेशल ट्रेन भी चला रही है. लेकिन यात्रियों की भीड़ के मुकाबले ट्रेनों में सीटें उपलब्ध नहीं हैं और इन ट्रेनों में तिल रखने तक की जगह नहीं है.
क्या है छठ पूजा का महत्वः आपको बता दें कि छठ पर्व श्रद्धा और आस्था से जुड़ा पर्व है, जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता हैं उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव की उपासना का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली छठी मईया सूर्य देव की बहन हैं. इस व्रत में सूर्य की आराधना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन किया जाएगा, छठी मैया उतना ही प्रसन्न होंगी. छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाया जाता हैं.
ये भी पढ़ेंः छठ पूजा 2022ः आज से होगी 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत, छठ के दूसरे दिन जानें खरना की पूरी विधि
छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.