कोलकाता: नई दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम, प्रतिमा पर नया विवाद शुरू हो गया है. नेताजी की होलोग्राम, प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी, 2022 को राष्ट्र के महान शहीद की 125वीं जयंती के अवसर पर किया था. उस होलोग्राम, प्रतिमा में नेताजी की सलामी मुद्रा पर एक नया विवाद शुरू हो गया है. प्रतिमा की मुद्रा को लेकर नेताजी के परिजनों की ओर से आपत्ति जतायी गयी है.
नेताजी के पोते, चंद्र कुमार बोस ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके परिवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर होलोग्राम की सलामी मुद्रा पर आपत्ति जताई है. बोस ने ईटीवी भारत से कहा, ' हम इस होलोग्राम, प्रतिमा को स्थापित करने का स्वागत करते हैं. हालांकि 24 घंटे 365 दिन तक किसी के लिए भी प्रणाम की मुद्रा में रहना असंभव है. दूसरे, प्रतिमा में नेताजी की भूमिका सिर्फ एक सैनिक के रूप में है. वह निश्चित रूप से एक सैनिक थे, लेकिन वह एक महान विचारक भी थे. इसलिए, हमें इस प्रतिमा की मुद्रा पर आपत्ति है.'
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को 15 अगस्त के बजाय 21 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित करना चाहिए. नेताजी ने 21 अक्टूबर को, ब्रिटिश शासित भारत की धरती पर देश के स्वतंत्र होने की घोषणा की थी. इसलिए 21 अक्टूबर 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए. दूसरी ओर, भारत का विभाजन 15 अगस्त को हुआ था. पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद नेताजी को अविभाजित भारत का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया है. इसलिए, मांग है कि 21 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस घोषित किया जाए.
इतिहासकार और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, आशीष कुमार दास ने कहा कि यह बेहतर होता अगर होलोग्राम की मूर्ति में नेताजी को सलामी मुद्रा में चित्रित नहीं किया जाता.