हुगली (पश्चिम बंगाल): हुगली के चिनसुराह निवासी एक स्कूल शिक्षक किशोर चट्टोपाध्याय को शिक्षा विभाग से एक कारण बताओ पत्र मिला है, जिसमें पूछा गया है कि जिस दिन सरकारी कर्मचारी महंगाई भत्ते (डीए वृद्धि) की मांग को लेकर हड़ताल पर गए थे, उस दिन वह ड्यूटी से अनुपस्थित क्यों थे? आपको बता दें कि किशोर चट्टोपाध्याय साल 2016 में एक स्कूल शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
चट्टोपाध्याय हुगली के आदि सप्तग्राम हाई स्कूल के ऐसे कई अन्य पूर्व शिक्षकों में से हैं, जिन्हें विभाग द्वारा कारण बताओ पत्र (show cause letter) दिया गया है. इसी तरह का कारण बताओ नोटिस उसी स्कूल के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के परिवार को भी दिया गया है, जिनकी 2019 में मृत्यु हो गई थी. ऐसे में पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं?
वहीं, चट्टोपाध्याय ने कहा कि सेवानिवृत्ति के इतने साल बाद नोटिस मिलने से वह हैरान हैं, वह 36 साल तक स्कूल में शारीरिक शिक्षा शिक्षक थे. चट्टोपाध्याय ने कहा कि डीए की मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों की सूची में मेरा नाम शामिल किया गया है. मैंने सुना है कि कई अन्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ-साथ मरने वालों को भी इसी तरह का कारण बताओ नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद कारण बताओ नोटिस प्राप्त करना हास्यास्पद है. उन्होंने कहा कि क्या विभाग के पास हम जैसे सेवानिवृत्त शिक्षकों का कोई रिकॉर्ड नहीं है?
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ऑल बंगाल टीचर एसोसिएशन (ABTA) हुगली के जिला सचिव प्रियरंजन घटक ने कहा कि ऐसी घटनाएं साबित करती हैं कि प्रशासन ठप हो गया है. बोर्ड ने हाल ही में 300 से अधिक स्कूल शिक्षकों को 10 मार्च को अनुपस्थित रहने के लिए नोटिस जारी किया था, जब सरकारी कर्मचारियों ने हड़ताल की थी. इससे पहले, राज्य के वित्त विभाग ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए सभी प्रकार के अवकाश रद्द करने और एक दिन का वेतन काटने के साथ-साथ काम पर रिपोर्ट न करने पर ब्रेक-इन-सर्विस की धमकी दी गई थी. आपको बता दें कि पिछले महीने सरकार ने कर्मचारियों, पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों को 1 मार्च से प्रभावी मूल वेतन के छह प्रतिशत की दर से डीए दिया.