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अगर 'सीधा संपर्क' नहीं हुआ है तो यह यौन हमला नहीं है : उच्च न्यायालय - Bombay hc order on rape

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने एक आदेश में कहा कि यौन हमले का कृत्य माने जाने के लिए 'यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना' जरूरी है. उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है.

बॉम्बे हाईकोर्ट
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Published : Jan 24, 2021, 9:39 PM IST

मुंबई : किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि इस तरह का कृत्य पोक्सो एक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता.

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि यौन हमले का कृत्य माने जाने के लिए 'यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना' जरूरी है.

उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है.

न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया, जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी.

अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश, नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया.

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की.

यह भी पढ़ें- जिससे भी मांगी मदद, उसी ने किया दुष्कर्म, सात गिरफ्तार

उच्च न्यायालय ने कहा, चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके सीने को छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है और यह आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला के शील को भंग करने का अपराध है.

धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन वर्ष कारावास है.

मुंबई : किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि इस तरह का कृत्य पोक्सो एक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता.

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि यौन हमले का कृत्य माने जाने के लिए 'यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना' जरूरी है.

उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है.

न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया, जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी.

अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश, नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया.

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की.

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उच्च न्यायालय ने कहा, चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके सीने को छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है और यह आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला के शील को भंग करने का अपराध है.

धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन वर्ष कारावास है.

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