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लंबे समय तक पति को यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि लंबे समय तक पति को यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता (Allahabad High Court on Physical relationship) है.

Allahabad High Court Order Allahabad High Court on Physical relationship पति को यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना इलाहाबाद हाईकोर्ट पति पत्नी के यौन संबंध पर इलाहबाद हाईकोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट का ऑर्डर
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Published : May 26, 2023, 6:57 AM IST

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि बिना किसी आधार के जीवनसाथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता (Allahabad High Court on Physical relationship) है. कोर्ट ने इसे आधार मानते हुए वाराणसी के एक दंपती के विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वाराणसी के रविंद्र प्रताप यादव की अपील को स्वीकार करते हुए गुरुवार को दिया.

पति पत्नी के यौन संबंध पर इलाहबाद हाईकोर्ट में मामले के तथ्यों के अनुसार वाराणसी पारिवारिक न्यायालय ने अपीलार्थी पति की विवाह विच्छेद की अर्जी खारिज कर दी थी. अपीलार्थी ने इस आदेश को अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. अपील के मुताबिक याची का विवाह 1979 में हुआ था. विवाह के कुछ समय बाद पत्नी का व्यवहार और आचरण बदल गया. उसने पत्नी के रूप में रहने से इनकार कर दिया. आग्रह के बावजूद वह पति से दूर रही. शारीरिक संबध नहीं बने, जबकि दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे. कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई.

अपीलार्थी ने उसे घर चलने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं तैयार हुई. इसके बाद वर्ष 1994 में गांव की पंचायत में 22 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के बाद दोनों में अलगाव हो गया. बाद में पत्नी ने दूसरी शादी कर ली. पति ने तलाक देने की मांग की, लेकिन वह अदालत नहीं गई. पारिवारिक न्यायालय वाराणसी ने पति की तलाक अर्जी खारिज कर दी.

अपील पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि शादी के बाद लंबे समय से पति-पत्नी अलग रहते थे. पत्नी के लिए वैवाहिक बंधन का कोई सम्मान नहीं था. उसने अपने दायित्वों का निर्वहन करने से भी इनकार कर दिया. इससे यह साबित हो गया कि दोनों की शादी टूट चुकी है. इसी के साथ खंडपीठ ने अपील को स्वीकार कर विवाह विच्छेद का आदेश दिया.

ये भी पढ़ें- "तीसरी आंख" ने खोली महिला अधिकारी की पोल, ड्यूटी से गायब और रजिस्टर में रहती थी उपस्थित

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि बिना किसी आधार के जीवनसाथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता (Allahabad High Court on Physical relationship) है. कोर्ट ने इसे आधार मानते हुए वाराणसी के एक दंपती के विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वाराणसी के रविंद्र प्रताप यादव की अपील को स्वीकार करते हुए गुरुवार को दिया.

पति पत्नी के यौन संबंध पर इलाहबाद हाईकोर्ट में मामले के तथ्यों के अनुसार वाराणसी पारिवारिक न्यायालय ने अपीलार्थी पति की विवाह विच्छेद की अर्जी खारिज कर दी थी. अपीलार्थी ने इस आदेश को अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. अपील के मुताबिक याची का विवाह 1979 में हुआ था. विवाह के कुछ समय बाद पत्नी का व्यवहार और आचरण बदल गया. उसने पत्नी के रूप में रहने से इनकार कर दिया. आग्रह के बावजूद वह पति से दूर रही. शारीरिक संबध नहीं बने, जबकि दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे. कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई.

अपीलार्थी ने उसे घर चलने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं तैयार हुई. इसके बाद वर्ष 1994 में गांव की पंचायत में 22 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के बाद दोनों में अलगाव हो गया. बाद में पत्नी ने दूसरी शादी कर ली. पति ने तलाक देने की मांग की, लेकिन वह अदालत नहीं गई. पारिवारिक न्यायालय वाराणसी ने पति की तलाक अर्जी खारिज कर दी.

अपील पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि शादी के बाद लंबे समय से पति-पत्नी अलग रहते थे. पत्नी के लिए वैवाहिक बंधन का कोई सम्मान नहीं था. उसने अपने दायित्वों का निर्वहन करने से भी इनकार कर दिया. इससे यह साबित हो गया कि दोनों की शादी टूट चुकी है. इसी के साथ खंडपीठ ने अपील को स्वीकार कर विवाह विच्छेद का आदेश दिया.

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