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Chhattisgarh politics: नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाते सीएम, सियासी करियर पर लग जाता है ब्रेक!

छत्तीसगढ़ में अबतक कोई भी नेता प्रतिपक्ष सीएम नहीं बन सका है. छत्तीसगढ़ बनने के बाद जितने भी नेता प्रतिपक्ष रहे हैं, वे सीएम की दौड़ में तो थे लेकिन सीएम नहीं बन सके. जब भी मुख्यमंत्री बनाने की बात आती है तो वह पीछे हो जाते हैं और दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है.

becoming Leader of Opposition in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ की सियासत
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Published : Apr 22, 2023, 5:12 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 9:01 PM IST

छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाते सीएम

रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में एक दिलचस्प बात यह है कि यहां का कोई भी नेता प्रतिपक्ष अबतक सीएम नहीं बना है. साल 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री और सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय बने. साल 2003 में विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा सत्ता में आई. लेकिन भाजपा नेता नंदकुमार साय को सीएम नहीं बनाया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2003 : छत्तीसगढ़ में साल 2003 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा सत्ता में लौटी. उस वक्त दिलीप सिंह जूदेव, रमन सिंह, रमेश बैस, नंद कुमार साय, बलिराम कश्यप जैसे दिग्गज भाजपा नेता थे. भाजपा ने सीएम के लिए किसी का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया. बतौर नेता नंदकुमार साय की स्थिति मजबूत थी लेकिन साय की जगह रमन सिंह को सीएम बनाया गया. दरअसल साल 2003 में ही नंद कुमार साय की बेटी कांग्रेस में शामिल हुईं थी. राजनीतिक जानकार शशांक शर्मा कहते हैं ''नंदकुमार साय के सीएम नहीं बनने के पीछे दो वजह है. साय अपनी बेटी के कांग्रेस में शामिल होने की वजह से सीएम की दौड़ में पिछड़ गए. दूसरा वह चुनाव भी हार गए. नंदकुमार साय को मरवाही से अजीत जोगी के खिलाफ चुनाव लड़ा दिया गया था.''

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2008: साल 2003 में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस विपक्ष में बैठी. वरिष्ठ विधायक महेंद्र कर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया लेकिन 2008 में महेंद्र कर्मा चुनाव हार गए और कांग्रेस भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. 2008 में रविंद्र चौबे को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013: साल 2013 में भी कांग्रेस हारी. खुद नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे चुनाव हार गए. राजनीतिक जानकार शशांक शर्मा कहते हैं ''ऐसा छत्तीसगढ़ में होता आया है, जो नेता प्रतिपक्ष हुए हैं, वो चुनाव हार जाते हैं." साल 2013 में कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: साल 2018 के चुनाव में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने खूब मेहनत की. जय वीरू की जोड़ी की मेहनत का ही नतीजा रहा कि 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी. मुख्यमंत्री के लिए रायपुर से दिल्ली तक खूब भागदौड़ चली. आखिरकार भूपेश बघेल को कमान सौंप दी गई. फिर सरकार के ढाई साल पूरे होने पर ढाई ढाई साल का फॉर्मूला भी चर्चा में रहा. सिंहदेव के बयानों से सियासी हलकों में सीएम बदलने की चर्चा भी खूब चली लेकिन सिंहदेव को सीएम नहीं बनाया गया. पॉलिटिकल एक्सपर्ट शशांक शर्मा भी मानते हैं कि ''नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर राजनीतिक करियर हाशिए पर चला जाता है.''

यह भी पढ़ें: Priyanka Gandhi Bastar Visit बस्तर दौरे से प्रियंका ने किया चुनावी शंखनाद, जानिए क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट

कैबिनेट मंत्री का प्राप्त होता है दर्जा: पॉलिटिकल एक्सपर्ट शशांक शर्मा कहते हैं, "नेता प्रतिपक्ष के सीएम न बनने के पीछे एक और बड़ी वजह है. जो नेता प्रतिपक्ष होते हैं, उसको कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है. नेता प्रतिपक्ष सरकारी आभामंडल में रहता है. इस सरकारी आभामंडल के कारण उसका कनेक्शन जनता से कम होता है.'' नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद धीरे धीरे सरकार से भी नजदीकियां बढ़ने लगती है. धीरे धीरे वह जनता से कटने लग जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाते सीएम

रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में एक दिलचस्प बात यह है कि यहां का कोई भी नेता प्रतिपक्ष अबतक सीएम नहीं बना है. साल 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री और सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय बने. साल 2003 में विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा सत्ता में आई. लेकिन भाजपा नेता नंदकुमार साय को सीएम नहीं बनाया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2003 : छत्तीसगढ़ में साल 2003 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा सत्ता में लौटी. उस वक्त दिलीप सिंह जूदेव, रमन सिंह, रमेश बैस, नंद कुमार साय, बलिराम कश्यप जैसे दिग्गज भाजपा नेता थे. भाजपा ने सीएम के लिए किसी का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया. बतौर नेता नंदकुमार साय की स्थिति मजबूत थी लेकिन साय की जगह रमन सिंह को सीएम बनाया गया. दरअसल साल 2003 में ही नंद कुमार साय की बेटी कांग्रेस में शामिल हुईं थी. राजनीतिक जानकार शशांक शर्मा कहते हैं ''नंदकुमार साय के सीएम नहीं बनने के पीछे दो वजह है. साय अपनी बेटी के कांग्रेस में शामिल होने की वजह से सीएम की दौड़ में पिछड़ गए. दूसरा वह चुनाव भी हार गए. नंदकुमार साय को मरवाही से अजीत जोगी के खिलाफ चुनाव लड़ा दिया गया था.''

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2008: साल 2003 में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस विपक्ष में बैठी. वरिष्ठ विधायक महेंद्र कर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया लेकिन 2008 में महेंद्र कर्मा चुनाव हार गए और कांग्रेस भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. 2008 में रविंद्र चौबे को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013: साल 2013 में भी कांग्रेस हारी. खुद नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे चुनाव हार गए. राजनीतिक जानकार शशांक शर्मा कहते हैं ''ऐसा छत्तीसगढ़ में होता आया है, जो नेता प्रतिपक्ष हुए हैं, वो चुनाव हार जाते हैं." साल 2013 में कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: साल 2018 के चुनाव में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने खूब मेहनत की. जय वीरू की जोड़ी की मेहनत का ही नतीजा रहा कि 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी. मुख्यमंत्री के लिए रायपुर से दिल्ली तक खूब भागदौड़ चली. आखिरकार भूपेश बघेल को कमान सौंप दी गई. फिर सरकार के ढाई साल पूरे होने पर ढाई ढाई साल का फॉर्मूला भी चर्चा में रहा. सिंहदेव के बयानों से सियासी हलकों में सीएम बदलने की चर्चा भी खूब चली लेकिन सिंहदेव को सीएम नहीं बनाया गया. पॉलिटिकल एक्सपर्ट शशांक शर्मा भी मानते हैं कि ''नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर राजनीतिक करियर हाशिए पर चला जाता है.''

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कैबिनेट मंत्री का प्राप्त होता है दर्जा: पॉलिटिकल एक्सपर्ट शशांक शर्मा कहते हैं, "नेता प्रतिपक्ष के सीएम न बनने के पीछे एक और बड़ी वजह है. जो नेता प्रतिपक्ष होते हैं, उसको कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है. नेता प्रतिपक्ष सरकारी आभामंडल में रहता है. इस सरकारी आभामंडल के कारण उसका कनेक्शन जनता से कम होता है.'' नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद धीरे धीरे सरकार से भी नजदीकियां बढ़ने लगती है. धीरे धीरे वह जनता से कटने लग जाते हैं.

Last Updated : Apr 22, 2023, 9:01 PM IST
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