चंडीगढ़: देश भर में किसी ना किसी तरह के बंद (Bharat bandh) होता रहता है. इसका लोगों के जीवन पर भी व्यापक असर देखने को मिलता है.
हमेशा लोगों को इस तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ता है. इसके साथ ही आर्थिक तौर पर भी सरकारों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है जहां पर देश के अलग-अलग हिस्सों की तरह बंद का इतना व्यापक असर देखने को नहीं मिलता है, आइए जानते हैं इसकी वजह...
केंद्र के हाथों में है सुरक्षा व्यवस्था- चंडीगढ़ शहर की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र के पास है क्याेंकि यह केंद्र शासित है. इसकी वजह से यहां पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हमेशा बने रहते हैं और जब कभी किसी भी तरह की बंद की कॉल किसी भी ऑर्गनाइजेशन द्वारा की जाती है तो यहां पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम कर दिए जाते हैं. इसका असर शहर के अंदर के हालातों पर नहीं हो पाता है.
चंडीगढ़ पुलिस के पास साढ़े सात हजार जवान- चंडीगढ़ पुलिस में करीब साढ़े सात हजार जवान कार्यरत हैं. जबकि इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी देश के कई छोटे राज्यों के पास भी नहीं है. इन जवानों के कंधे पर 114 स्क्वेयर किलोमीटर के दायरे में फैले इस शहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. इसके साथ ही होमगार्ड के जवान भी सुरक्षा में तैनात रहते हैं यानी चंडीगढ़ की सुरक्षा में इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती होने की वजह से यहां पर किसी भी तरह के बंद के असर या उपद्रव की संभावनाएं कम रहती है. इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के होने की वजह से प्रशासन को चंडीगढ़ के बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है.
व्यवस्थित शहर होने की वजह से भी कम होता है बंद का असर- चंडीगढ़ एक संयोजित तरीके से बनाया गया शहर है. इसकी बनावट की वजह से यहां पर सुरक्षाकर्मियों को शहर की व्यवस्था बनाए रखने में किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है. सड़कें चौड़ी हैं और गालियां भी चौड़ी हैं. इसके साथ ही शहर के अंदर दाखिल होने वाली अन्य राज्यों से आने वाली सड़कों पर भी निगरानी रखना यहां पर आसान है.
राम रहीम को सजा सुनाए जाने बाद हुआ उपद्रव सबसे बड़ा उदाहरण- गुरमीत राम रहीम को साल 2017 में पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने जब सजा सुनाई थी, तो उस वक्त चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में जोरदार हंगामा हुआ था, आगजनी हुई थी. जिसके बाद सुरक्षाबलों की गोलीबारी में कई लोग मारे गए थे. बावजूद इसके चंडीगढ़ में इसका इतना असर नहीं हुआ. क्योंकि चंडीगढ़ पुलिस ने अपनी सीमाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया था.
क्या कहते हैं जानकार?- वरिष्ठ पत्रकार और पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर गुरमीत सिंह भी मानते हैं कि चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी होने की वजह से ज्यादातर प्रदर्शनों और बंद से अछूती रहती है, क्योंकि यहां पर सामान्य तौर पर राज्यों की तरह राजनीतिक गतिविधियां नहीं होती. इसलिए यहां पर ज्यादा असर दिखाई नहीं देता. इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी अच्छी है, क्योंकि यहां पर वीआईपी मूवमेंट भी ज्यादा रहती है. इसको देखते हुए यहां सारी व्यवस्था बनाई गई है.
इस बार भी भारत बंद रहा बेअसर- आज भी यानी 27 सितंबर को किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) का जहां हर तरफ असर देखने को मिला. वहीं चंडीगढ़ (Chandigarh) सेक्टर-17 मार्केट में दुकानें खुली हैं. हालांकि दुकानों पर ग्राहकों की ज्यादा भीड़ नहीं देखी गई. वहीं चंडीगढ़ की पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से सटी सीमाओं पर पुलिस के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. गाड़ियों की भी लगातार चेकिंग हो रही है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इस बार भी भारत बंद का चंडीगढ़ शहर में कोई असर देखने को नहीं मिला.