नई दिल्ली: भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (Indian Council for Historical Research) ने उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की आधिकारिक सूची से उन 200 नामों को हटाने की योजना बना रहा है, जो मालाबार (केरल) के मोपला विद्रोह का हिस्सा थे. इससे पहले सोमवार को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में कहा गया था कि आईसीएचआर की आम परिषद की बैठक ने मोपला विद्रोह के शहीदों के रूप में सूचीबद्ध लगभग 200 नामों को हटाने के लिए तीन सदस्यीय पैनल की सिफारिश को मंजूरी दी है.
इसपर ईटीवी भारत ने आईसीएचआर के निदेशक (अनुसंधान एवं प्रशासन) ओमजी उपाध्याय से बात की, जिन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है. उन्होंने कहा, 'पहली बात तो मैं कहूंगा कि यह पूरी तरह से निराधार है, इतिहास से कुछ भी नहीं हटाया जा सकता है. यदि आप आईसीएचआर द्वारा प्रकाशित शहीदों के शब्दकोश के बारे में पूछ रहे हैं, तो इसमें 1857 से 1947 के बीच शहीद हुए 13,000 से अधिक शहीदों को कवर करने वाले पांच खंड हैं.'
उन्होंने बताया कि खंड-5 में केरल और इस मोपला घटना सहित दक्षिणी राज्यों को शामिल किया गया है. परिषद के कुछ सदस्यों ने पिछले साल कुछ नामों पर कुछ आपत्तियां उठाई थीं, इसलिए इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए हमारे सक्षम प्राधिकारी ने पूरे खंड की समीक्षा के लिए तीन इतिहासकारों की एक समिति का गठन किया. समिति की तीन बार बैठक हुई और उन्होंने सभी प्राथमिक स्रोतों को देखकर एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
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उन्होंने यह भी बताया कि इस रिपोर्ट को 27 मार्च को परिषद के सामने रखा गया था, लेकिन परिषद ने इस पर चर्चा को टाल दिया, जिसके बाद अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने आगे कहा, 'आईसीएचआर द्वारा इस संबंध में कोई निर्णय लेने वाली रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है. आईसीएचआर की परिषद में देशभर के 18 इतिहासकार सदस्य शामिल हैं. आपत्ति या सिफारिश के संबंध में कोई भी निर्णय परिषद की पूर्ण सहमति से ही लिया जाता है. चूंकि मोपला की घटना और इसके बारे में व्याख्या एक संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए परिषद चर्चा और परामर्श के बिना कोई निर्णय नहीं लेगी.'