पुणे : विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने गुरुवार को पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी देश अपनी समस्याओं से बाहर नहीं निकल सकता और समृद्ध नहीं हो सकता अगर उसका 'बुनियादी उद्योग' आतंकवाद है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत मुसीबतों का सामना कर रहे अपने पड़ोसी देश की मदद करेगा, जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों का मूलभूत मुद्दा है, जिससे कोई बच नहीं सकता है और 'हम मूलभूत समस्याओं से इनकार नहीं कर सकते हैं.'
विदेश मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित एशिया आर्थिक संवाद में उन्होंने कहा, 'कोई भी देश कभी भी मुश्किल स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता और एक समृद्ध शक्ति नहीं बन सकता, अगर उसका मूल उद्योग आतंकवाद है.' उन्होंने आगे कहा, '...अगर मुझे कोई बड़ा फैसला लेना है, तो मैं यह भी देखूंगा कि जनता की भावना क्या है. मैं सबसे पहले नब्ज टटोलूंगा कि मेरे लोग इसके बारे में क्या महसूस करते हैं.और मुझे लगता है कि आपको इसका जवाब पता है.'
आज भारत की छवि ऐसे देश की है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार- सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स' को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आज भारत की छवि ऐसे देश की बन गई है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार है. विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश की अपनी चुनौतियां हैं और कोई चुनौती राष्ट्रीय सुरक्षा से समान महत्व वाली नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसे न तो बाहर धकेला जा सकता है और न ही वह एक हद से अधिक सीमा को लांघने देगा.
उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में हमारी पश्चिमी सीमा पर लंबे समय से परीक्षा ली जा रही है. मैं समझता हूं कि चीजें इस बार थोड़ी अलग हैं और सभी लोग इस बात से सहमत होंगे. कुछ चीजें वर्ष 2016 और 2019 के बीच हुईं.' उन्होंने कहा, 'हमें उत्तरी सीमा पर भी परखा जा रहा है और भारत किस प्रकार से इस परीक्षा से बाहर आएगा, यह मुकाबला करने की हमारी ताकत को प्रदर्शित करेगा.' विदेश मंत्री ने कहा, 'आज हमारी छवि एक ऐसे देश की है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संरक्षण के लिए सबकुछ करने को तैयार है. यह (भारत) काफी संयम रखने वाला देश है और यह ऐसा देश नहीं है जो दूसरों से लड़ता रहता है लेकिन यह ऐसा देश भी नहीं है जिसे बाहर धकेला जा सकता है. यह ऐसा देश है जो एक हद से अधिक सीमा को किसी को लांघने नहीं देगा.'
उन्होंने कहा कि चूंकि यह ध्रुवों में विभाजित दुनिया है, ऐसे में देश आपको प्रभावित करने का प्रयास करेंगे, अपना आग्रह रखेंगे, कई बार कड़े शब्दों का प्रयोग करेंगे और ऐसे में आप किस प्रकार से अपने हितों को रखते हैं, ऐसे देशों के हितों को रखते हैं जिनकी ऐसी क्षमता नहीं है, जो आपकी है...यह आज देखा जा सकता है. यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'इस संघर्ष के कारण जिस प्रकार के दबाव आए, ऐसे क्षण भी आए जब हमारे स्वतंत्र भाव और विश्वास को परखने का प्रयास किया गया.' उन्होंने कहा, 'हमें एक स्वतंत्र और दूसरे के अधिकारों के लिये खड़े होने वाले के रूप में देखा जा रहा है और इसके साथ ही हम वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बन रहे हैं.'
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(पीटीआई-भाषा)