श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ईद-उल-अजहा के मौके पर गायों और ऊंटों को अवैध रूप से मारने पर रोक लगाने वाले आदेश को लेकर शुक्रवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में गोवंश के पशुओं के वध पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है. यह आदेश पशु वध से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के क्रियान्वयन के लिए जीव जंतु कल्याण बोर्ड की ओर से जारी किया गया था और प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है.
प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड प्रत्येक वर्ष कानूनों और नियमों का पालन करते हुए पशु वध के संबंध में परामर्श जारी करता है. इस साल भी यही परामर्श जारी किया गया है और संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है.
ईद पर होती है कुर्बानी
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पशु-भेड़पालन एवं मत्स्य पालन विभाग ने इस संबंध में जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के संभागीय आयुक्तों और आईजीपी (पुलिस महानिरीक्षक) को पत्र लिखकर बकरीद के अवसर पर गायों, बछड़ों और ऊंटों को मारने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया. बता दें कि ईद के अवसर पर भेड़, गाय, बछड़ों और ऊंटों की कुर्बानी दी जाती है.
जम्मू-कश्मीर पशु-भेड़पालन और मत्स्य पालन विभाग के निदेशक (योजना) ने भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा जीव जंतु कल्याण बोर्ड के 25 जून को लिखे गए एक आधिकारिक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि 21-23 जुलाई, 2021 तक बकरीद (ईद-उल-अजहा) के दौरान केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में बलि के रूप में जानवरों का वध किए जाने की संभावना है.
ऊंटों का वध नहीं
पत्र के मुताबिक भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने पशु कल्याण के मद्देनजर पशु कल्याण कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए सभी एहतियाती उपायों को लागू करने का अनुरोध किया है. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, पशु कल्याण नियम, 1978, पशुओं का परिवहन (संशोधन) नियम, 2001, कसाईखाना नियम, 2001 के तहत त्योहार के दौरान जानवरों (जिसके तहत ऊंटों का वध नहीं किया जा सकता) के वध के लिए भारतीय नगरपालिका कानून और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के निर्देश जारी किए गए हैं.
निदेशक ने कहा कि उन्हें पशु कल्याण कानूनों के क्रियान्वयन के लिए ऊपर उल्लिखित अधिनियमों और नियमों के प्रावधानों के अनुसार सभी निवारक उपाय करने, जानवरों की अवैध हत्या को रोकने तथा पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश मिलते हैं.
राजनीतिक संगठनों ने कड़ा विरोध किया
इस पत्र की प्रतियां भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष, सभी जिलाधिकारी, आयुक्त, एसएमसी/जेएमसी; निदेशक, पशुपालन विभाग, जम्मू कश्मीर, निदेशक, भेड़पालन विभाग, जम्मू कश्मीर, निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय, जम्मू कश्मीर; और सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को सूचना के लिए भेजी गई थीं. जम्मू-कश्मीर के विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने इस पत्र का कड़ा विरोध किया है.
प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ईद-उल-अजहा के अवसर पर गायों और ऊंटों की अवैध हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले पत्र का कड़ा विरोध करते हुए इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी.
इसे भी पढ़े : उत्तर प्रदेश : बकरीद को लेकर दिशा-निर्देश जारी, ड्रोन से होगी निगरानी
जम्मू-कश्मीर में कई धार्मिक संगठनों के समूह मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने प्रतिबंध के खिलाफ शुक्रवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का सीधा-सीधा उल्लंघन है.
राजस्थान में है ऊटों के वध पर सजा का प्रावधान
राजस्थान सरकार ने रेगिस्तानी जहाज कहे जाने वाले ऊंट को राजकीय पशु घोषित किया है. राजस्थान के कानून के अनुसार ऊंटों को अस्थायी रूप से भी राजस्थान राज्य की सीमा से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध है. यही नहीं कोई ऊंट का वध करता है तो सजा का भी प्रावधान किया गया है. बता दें कि पूरे देश में ऊंट सिर्फ राजस्थान में पाए जाते हैं. राजस्थान केमल एक्ट 2015 के तहत ऊंट को अस्थायी तौर पर भी राज्य से बाहर ले जाना प्रतिबंधित है. कोई यदि ऐसा करता है तो वह कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएगा. केमल एक्ट सिर्फ राजस्थान राज्य में है. इस कारण, अन्य सभी राज्यों में यही एक्ट लागू होता है. न सिर्फ वध करना बल्कि राज्य से बाहर ले जाना भी अपराध है.
11 राज्यों में प्रतिबंध
भारत की 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी हिंदू है, जिनमें ज्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में 'बीफ' का सबसे ज्यादा निर्यात करने वाले देशों में से एक भारत है. गौ-हत्या पर पूरे प्रतिबंध के मायने हैं कि गाय, बछड़ा, बैल और सांड की हत्या पर रोक. ये रोक 11 राज्यों - भारत प्रशासित कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और दो केन्द्र प्रशासित राज्यों - दिल्ली, चंडीगढ़ में लागू है. गौ-हत्या कानून के उल्लंघन पर सबसे कड़ी सजा भी इन्हीं राज्यों में तय की गई है. हरियाणा में सबसे ज्यादा एक लाख रुपए का जुर्माना और 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. वहीं महाराष्ट्र में गौ-हत्या पर 10,000 रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल की सजा है.
हालांकि छत्तीसगढ़ के अलावा इन सभी राज्यों में भैंस के काटे जाने पर कोई रोक नहीं है. आंशिक प्रतिबंध आठ राज्यों - बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और चार केंद्र शासित राज्यों - दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह में लागू है.
दस राज्यों - केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गौ-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है. यहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस का मांस खुले तौर पर बाजार में बिकता है और खाया जाता है. आठ राज्यों और लक्षद्वीप में तो गौ-हत्या पर किसी तरह को कोई कानून ही नहीं है. असम और पश्चिम बंगाल में जो कानून है उसके तहत उन्हीं पशुओं को काटा जा सकता है, जिन्हें 'फिट फॉर स्लॉटर सर्टिफिकेट' मिला हो.
(पीटीआई-भाषा)