पटनाः एनडीए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए हामी नहीं भर रहे थे. वे चाहते थे कि इस बार बीजेपी से ही कोई मुख्यमंत्री बने, लेकिन विधायकों ने नीतीश कुमार के नाम पर ही मुहर लगाई. पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी ने बताया कि नीतीश कुमार जेडीयू विधायक की बैठक में भी इस पद के लिए तैयार नहीं हो रहे थे. विधायकों के काफी कहने पर उन्होंने हामी भरी थी.
नीतीश साल 2000 में पहली बार बने थे सीएम
नीतीश कुमार सोमवार को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. जोकि एक रिकॉर्ड भी होने जा रहा है. नीतीश कुमार 2000 में पहली बार आठ दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे. फिर फरवरी 2005 में सीएम पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाए. जिसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. 6 महीने बाद चुनाव हुए, तो अक्टूबर 2005 में पहली बार पूर्णकालीन सीएम बने.
इस बार एनडीए बड़ी पार्टी
बता दें कि इसबार एनडीए को बहुमत मिला है, लेकिन बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. इससे पहले तक जेडीयू को बीजेपी से ज्यादा सीटें आती थीं. इस चुनाव में बीजेपी के खाते में 74 और जेडीयू के खाते में महज 43 सीटें आई हैं. लिहाजा अटकलें लगाई जा रही थी कि इसबार सीएम का चेहरा बीजेपी से ही होगा, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व में चुनाव परिणाम आने के साथ ही सीएम के लिए नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगा दी थी.
एनडीए में सीएम के नाम पर, तो सहमति बन गई, लेकिन डिप्टी सीएम को लेकर बीजेपी की ओर से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है. तारकिशोर सिंह को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है, लिहाजा उनके नामों को लेकर अटकलों का बाजार गरम है.
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