पटना: बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में आठवीं बार शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को पहली कैबिनेट बैठक बुलाई है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) के साथ बैठक में, नीतीश कुमार ने अपना बहुमत साबित करने के लिए 24 अगस्त को विधानसभा का विशेष सत्र और 25 अगस्त को विधान परिषद बुलाने का प्रस्ताव पारित किया. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को प्रस्ताव से अवगत करा दिया गया है और उनकी मंजूरी का इंतजार है.
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स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव: महागठबंधन के नेताओं ने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया. चूंकि उनके पास अपनी ही पार्टी के सिर्फ 77 विधायकों का समर्थन है, इसलिए इस बात की सबसे अधिक संभावना है कि वह प्रस्ताव से पहले पद से इस्तीफा दे देंगे. आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. 25 अगस्त को विधान परिषद नए अध्यक्ष का भी चुनाव करेगी.
जदयू को पुराने 12 मंत्री पद मिलना तयः एनडीए सरकार में 127 विधायक थे. विधान परिषद के सदस्य भी एनडीए के 50 से अधिक थे और उसमें से 30 मंत्री बनाए गए थे. बीजेपी के 16 जदयू के 12 और हम से एक और एक निर्दलीय मंत्री थे. अब महागठबंधन की सरकार में 164 विधायकों का समर्थन है आरजेडी 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और इसलिए 18 मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है. यह संख्या 20 तक भी बढ़ सकती है. जदयू के पुराने 12 मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है. इसमें से कुछ मंत्री बदले भी जा सकते हैं लेकिन अधिकांश पुराने ही रिपीट होने की संभावना है. कांग्रेस के खाते में तीन मंत्री पद जाएगा. ऐसे सूत्र के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कांग्रेस कोटे से एक उप मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन उसके लिए तेजस्वी यादव तैयार नहीं हुए.
विधानसभा के अध्यक्ष की कुर्सी पर सबकी नजरः वहीं, निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह जिन्होंने जदयू का समर्थन कर रखा है, इनका भी मंत्री बनना तय है. साथ ही जीतन राम मांझी के बेटे सुमन मांझी का भी मंत्री पद तय है. बात वामपंथी दलों की करें तो वामपंथी दल के नेताओं के अनुसार अभी तक उनके केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला नहीं लिया है. लेकिन माले के तैयार होने पर माले को एक मंत्री पद मिलेगा. लेकिन सबकी नजर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष की कुर्सी पर लगाी है. जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी पहले भी बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं यदि मंत्री नहीं बनाए जाते हैं और आरजेडी तैयार हो जाती है तो विजय चौधरी विधानसभा अध्यक्ष बन सकते हैं. लेकिन आरजेडी की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की डिमांड की गई है. ऐसे में अवध बिहारी चौधरी का नाम चर्चा में है यानी विधानसभा की कुर्सी पर चौधरी का ही कब्जा होना तय माना जा रहा है.
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