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हिमाचल: NIT हमीरपुर के छात्र ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बनाया बायोडीजल, प्रति लीटर 45 रुपये की लागत, 65 रुपये में हो सकती है बिक्री

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Published : Mar 30, 2023, 2:12 PM IST

Biodiesel in NIT Hamirpur: एनआईटी हमीरपुर में ऊर्जा अध्ययन केंद्र के विशेषज्ञों ने मैनुअल तरीके से यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने में सफलता हासिल की है. अब NIT हमीरपुर के हॉस्टल के यूज्ड कुकिंग ऑयल से यहां बायोडीजल बनाया जाएगा. जिसका इस्तेमाल बायो डीजल से चलने वाले उपकरणों को संचालित करने के लिए किया जाएगा.

NIT हमीरपुर के छात्र ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बनाया बायोडीजल
NIT हमीरपुर के छात्र ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बनाया बायोडीजल
NIT हमीरपुर के छात्र ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बनाया बायोडीजल.

हमीरपुर: अब जल्द ही एनआईटी हमीरपुर की गाड़ियां बायोडीजल पर दौड़ेंगी. इतना ही नहीं बायोडीजल के इस्तेमाल से संस्थान में चलने वाले जनरेटर और अन्य बायो डीजल से चलने वाले उपकरणों को भी संचालित किया जाएगा. NIT हमीरपुर हॉस्टल के मेस से निकलने वाले यूज्ड कुकिंग ऑयल से यह बायोडीजल बनाया जाएगा. इस कार्य के लिए एनआईटी हमीरपुर में ऊर्जा अध्ययन केंद्र के विशेषज्ञों ने कार्य योजना भी तैयार कर ली है. एनआईटी हमीरपुर के 11 हॉस्टल से यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित कर इसका इस्तेमाल संस्थान की डीजल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा. एनआईटी हमीरपुर के उर्जा अध्ययन केंद्र की इस पहल से संस्थान की हर साल लाखों रुपए की बचत होगी तथा कुकिंग ऑयल के इस्तेमाल को लेकर भी लोग जागरूक होंगे.

दरअसल, एनआईटी हमीरपुर के मैकेनिकल विभाग के एमटेक स्टूडेंट विजय के महतो ने मैनुअल तरीके से यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने में सफलता हासिल की है. विजय पिछले लंबे समय से उर्जा अध्ययन केंद्र के साथ मिलकर इस विषय पर कार्य कर रहे थे. ऊर्जा अध्ययन केंद्र के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ही इस कार्य को किया जा रहा है. वर्तमान में यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने का कार्य ऑटोमेटिक तरीकों से मशीनों के जरिए किया जाता है. इन मशीनों की लागत लाखों रुपए में है और छोटे स्तर पर इस तरह की मशीनें बाजार में उपलब्ध नहीं है. ऑटोमेटिक मशीनों की बजाय मैनुअल तरीके से इस कार्य को अधिक सटीक तरीके से किया जा सकता है.

कैसे तैयार होता है बायोडीजल: यूज्ड कुकिंग ऑयल से बायोडीजल मैनुअल तरीके से डेढ़ से 2 घंटे में तैयार किया जा सकता है. यह कार्य दो चरणों में होता है. पहले चरण में एस्टरीफिकेशन प्रक्रिया को पूरा किया जाता है. 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने के लिए प्रथम चरण की प्रक्रिया एस्टरीफिकेशन में यूज्ड कुकिंग ऑयल को छानने के बाद इसमें 9.8 ग्राम सल्फ्यूरिक एसिड और 320 मिलीलीटर मिथाईल मिलाया जाता है. लगभग 1 घंटे तक मैग्नेटिक स्ट्रर डिवाइस के जरिए इसको नियंत्रित ताप पर गर्म कर मिश्रित किया जाता है. इसके बाद दूसरे चरण में ट्रांस एस्टरीफिकेशन प्रोसेस शुरू होता है. जिसमें बेस (KOH) यानी पोटेशियम हाइड्रोक्साइड 7 ग्राम मिलाया जाता है. इस 2 घंटे के प्रोसेस के बाद 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल से 910 मिलीलीटर बायोडीजल तैयार हो जाएगा.

1L से तैयार होगा 910 MM बायोडीजल: स्टूडेंट विजय के महतो का कहना है कि 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल से 910 मिलीलीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है. इससे पूरे प्रोसेस को डेढ़ से 2 घंटे में पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि 1 लीटर से लेकर 50 लीटर और इससे अधिक यूज्ड कुकिंग ऑयल को मैनुअल तरीके से बायोडीजल में परिवर्तित करने के लिए भी इतना ही समय लगेगा. हालांकि इसके लिए बड़े उपकरणों की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि एनआईटी हमीरपुर के हॉस्टल से निशुल्क यूज्ड कुकिंग ऑयल मिलेगा तो 40 से 45 रुपये की लागत में 1 लीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है.

बायोडीजल के इस्तेमाल से कम प्रदूषण करेंगी गाड़ियां: विजय का कहना है कि यदि गाड़ियों में डीजल का इस्तेमाल किया जाता है तो पर्यावरण प्रदूषण अधिक होता है. जबकि बायोडीजल के इस्तेमाल से यह कम होगा. गाड़ियों में डीजल के इस्तेमाल से कार्बन मोनोऑक्साइड ज्यादा रिलीज होता है. बायोडीजल के इस्तेमाल से गाड़ी 70% कम कार्बन मोनोऑक्साइड रिलीज करेगी. उन्होंने कहा कि गाड़ी के इंजन को बायोडीजल इस्तेमाल करने से कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि गाड़ियों का जो ऑयल फिल्टर 6 महीने में बदलना पड़ता है, उसे 3 महीने में बदलना पड़ेगा. वर्तमान में बायोडीजल और डीजल को ब्लेन्ड करके 50% के अनुपात में इस्तेमाल किया जा सकता है.

लोगों को सेहत के प्रति जागरूक करना मुख्य लक्ष्य: एनआईटी हमीरपुर के ऊर्जा अध्ययन केंद्र की इंचार्ज डॉ. ममता अवस्थी का कहना है कि ऊर्जा अध्ययन केंद्र का यह प्रयास है कि एनआईटी हमीरपुर की डीजल की खपत को बायोडीजल से पूरा किया जा सके. संस्थान का यह मुख्य लक्ष्य है कि यूज्ड कुकिंग ऑयल के घातक नतीजों से समाज को जागरूक किया जाए. उन्होंने कहा कि संस्थान में मैनुअल तरीके से बायोडीजल तैयार करके एक उदाहरण पेश करने का कार्य किया जा रहा है. इस स्टडी के दौरान एनआईटी हमीरपुर के परिसर को फोकस में रखा गया है. संस्थान में मैनुअल तरीके से इस कार्य को किया जाएगा ताकि डीजल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति भी उन्हें जागरूक किया जा सके.

तेल का लगातार इस्तेमाल बन सकता है कैंसर का कारण: डॉक्टर ममता अवस्थी का कहना है कि लगातार तेल का बार-बार इस्तेमाल किया जाना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है. यह कैंसर का कारण भी बन सकता है. उन्होंने कहा कि तेल को दो से तीन दफा इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना होता है कि तेल लंबे समय तक स्टोर न किया जाए. जबकि आधे अथवा 1 घंटे के ब्रेक में तेल को दो से तीन दफा इस्तेमाल किया जा सकता है. इस दौरान यह विशेष ध्यान रखना होगा कि तेल अधिक गर्म न हो और तेल के इस्तेमाल के दौरान उसके स्मोक पर निगरानी होनी चाहिए. 1 दिन इस्तेमाल करने के बाद दूसरे दिन इस तेल को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

यूज्ड कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल कई बीमारियों का कारण: मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉ. आरके अग्निहोत्री का कहना है कि जब तेल अथवा घी को इस्तेमाल किया जाता है तो आधे घंटे के भीतर ही उसमें बदलाव आना शुरु हो जाते हैं. रीयूज्ड ऑयल बेहद ही घातक होता है और इसके इस्तेमाल के कारण बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक बढ़ जाती है. इस तेल के इस्तेमाल से तैयार किए गए खाद्य पदार्थों को खाने से हृदय की धमनियों के जाम होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक भी आ सकता है. यह गंभीर किडनी रोग का भी कारण बन सकता है.

उन्होंने कहा कि दिमाग की धमनिया प्रभावित होने से यह ब्रेन स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है. इस तरह से तैयार किए गए खाद्य पदार्थों का यदि इस्तेमाल किया जाता है तो यह पूरे शरीर के लिए ही हानिकारक है. उन्होंने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि इस तरह से तैयार की गई चीजों से अधिकतर परहेज ही करना चाहिए. इस मामले में लोगों को अधिक जागरूक होने की जरूरत है. कानून की बाध्यता अलग चीज है, लेकिन अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर ही इस तरह की बीमारियों के खतरो से बचा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में दुकानों से ₹30 प्रति लीटर खरीदा जाएगा यूज्ड कुकिंग ऑयल, बनाया जाएगा बायोडीजल

NIT हमीरपुर के छात्र ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बनाया बायोडीजल.

हमीरपुर: अब जल्द ही एनआईटी हमीरपुर की गाड़ियां बायोडीजल पर दौड़ेंगी. इतना ही नहीं बायोडीजल के इस्तेमाल से संस्थान में चलने वाले जनरेटर और अन्य बायो डीजल से चलने वाले उपकरणों को भी संचालित किया जाएगा. NIT हमीरपुर हॉस्टल के मेस से निकलने वाले यूज्ड कुकिंग ऑयल से यह बायोडीजल बनाया जाएगा. इस कार्य के लिए एनआईटी हमीरपुर में ऊर्जा अध्ययन केंद्र के विशेषज्ञों ने कार्य योजना भी तैयार कर ली है. एनआईटी हमीरपुर के 11 हॉस्टल से यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित कर इसका इस्तेमाल संस्थान की डीजल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा. एनआईटी हमीरपुर के उर्जा अध्ययन केंद्र की इस पहल से संस्थान की हर साल लाखों रुपए की बचत होगी तथा कुकिंग ऑयल के इस्तेमाल को लेकर भी लोग जागरूक होंगे.

दरअसल, एनआईटी हमीरपुर के मैकेनिकल विभाग के एमटेक स्टूडेंट विजय के महतो ने मैनुअल तरीके से यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने में सफलता हासिल की है. विजय पिछले लंबे समय से उर्जा अध्ययन केंद्र के साथ मिलकर इस विषय पर कार्य कर रहे थे. ऊर्जा अध्ययन केंद्र के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ही इस कार्य को किया जा रहा है. वर्तमान में यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने का कार्य ऑटोमेटिक तरीकों से मशीनों के जरिए किया जाता है. इन मशीनों की लागत लाखों रुपए में है और छोटे स्तर पर इस तरह की मशीनें बाजार में उपलब्ध नहीं है. ऑटोमेटिक मशीनों की बजाय मैनुअल तरीके से इस कार्य को अधिक सटीक तरीके से किया जा सकता है.

कैसे तैयार होता है बायोडीजल: यूज्ड कुकिंग ऑयल से बायोडीजल मैनुअल तरीके से डेढ़ से 2 घंटे में तैयार किया जा सकता है. यह कार्य दो चरणों में होता है. पहले चरण में एस्टरीफिकेशन प्रक्रिया को पूरा किया जाता है. 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल को बायोडीजल में परिवर्तित करने के लिए प्रथम चरण की प्रक्रिया एस्टरीफिकेशन में यूज्ड कुकिंग ऑयल को छानने के बाद इसमें 9.8 ग्राम सल्फ्यूरिक एसिड और 320 मिलीलीटर मिथाईल मिलाया जाता है. लगभग 1 घंटे तक मैग्नेटिक स्ट्रर डिवाइस के जरिए इसको नियंत्रित ताप पर गर्म कर मिश्रित किया जाता है. इसके बाद दूसरे चरण में ट्रांस एस्टरीफिकेशन प्रोसेस शुरू होता है. जिसमें बेस (KOH) यानी पोटेशियम हाइड्रोक्साइड 7 ग्राम मिलाया जाता है. इस 2 घंटे के प्रोसेस के बाद 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल से 910 मिलीलीटर बायोडीजल तैयार हो जाएगा.

1L से तैयार होगा 910 MM बायोडीजल: स्टूडेंट विजय के महतो का कहना है कि 1 लीटर यूज्ड कुकिंग ऑयल से 910 मिलीलीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है. इससे पूरे प्रोसेस को डेढ़ से 2 घंटे में पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि 1 लीटर से लेकर 50 लीटर और इससे अधिक यूज्ड कुकिंग ऑयल को मैनुअल तरीके से बायोडीजल में परिवर्तित करने के लिए भी इतना ही समय लगेगा. हालांकि इसके लिए बड़े उपकरणों की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि एनआईटी हमीरपुर के हॉस्टल से निशुल्क यूज्ड कुकिंग ऑयल मिलेगा तो 40 से 45 रुपये की लागत में 1 लीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है.

बायोडीजल के इस्तेमाल से कम प्रदूषण करेंगी गाड़ियां: विजय का कहना है कि यदि गाड़ियों में डीजल का इस्तेमाल किया जाता है तो पर्यावरण प्रदूषण अधिक होता है. जबकि बायोडीजल के इस्तेमाल से यह कम होगा. गाड़ियों में डीजल के इस्तेमाल से कार्बन मोनोऑक्साइड ज्यादा रिलीज होता है. बायोडीजल के इस्तेमाल से गाड़ी 70% कम कार्बन मोनोऑक्साइड रिलीज करेगी. उन्होंने कहा कि गाड़ी के इंजन को बायोडीजल इस्तेमाल करने से कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि गाड़ियों का जो ऑयल फिल्टर 6 महीने में बदलना पड़ता है, उसे 3 महीने में बदलना पड़ेगा. वर्तमान में बायोडीजल और डीजल को ब्लेन्ड करके 50% के अनुपात में इस्तेमाल किया जा सकता है.

लोगों को सेहत के प्रति जागरूक करना मुख्य लक्ष्य: एनआईटी हमीरपुर के ऊर्जा अध्ययन केंद्र की इंचार्ज डॉ. ममता अवस्थी का कहना है कि ऊर्जा अध्ययन केंद्र का यह प्रयास है कि एनआईटी हमीरपुर की डीजल की खपत को बायोडीजल से पूरा किया जा सके. संस्थान का यह मुख्य लक्ष्य है कि यूज्ड कुकिंग ऑयल के घातक नतीजों से समाज को जागरूक किया जाए. उन्होंने कहा कि संस्थान में मैनुअल तरीके से बायोडीजल तैयार करके एक उदाहरण पेश करने का कार्य किया जा रहा है. इस स्टडी के दौरान एनआईटी हमीरपुर के परिसर को फोकस में रखा गया है. संस्थान में मैनुअल तरीके से इस कार्य को किया जाएगा ताकि डीजल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति भी उन्हें जागरूक किया जा सके.

तेल का लगातार इस्तेमाल बन सकता है कैंसर का कारण: डॉक्टर ममता अवस्थी का कहना है कि लगातार तेल का बार-बार इस्तेमाल किया जाना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है. यह कैंसर का कारण भी बन सकता है. उन्होंने कहा कि तेल को दो से तीन दफा इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना होता है कि तेल लंबे समय तक स्टोर न किया जाए. जबकि आधे अथवा 1 घंटे के ब्रेक में तेल को दो से तीन दफा इस्तेमाल किया जा सकता है. इस दौरान यह विशेष ध्यान रखना होगा कि तेल अधिक गर्म न हो और तेल के इस्तेमाल के दौरान उसके स्मोक पर निगरानी होनी चाहिए. 1 दिन इस्तेमाल करने के बाद दूसरे दिन इस तेल को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

यूज्ड कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल कई बीमारियों का कारण: मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉ. आरके अग्निहोत्री का कहना है कि जब तेल अथवा घी को इस्तेमाल किया जाता है तो आधे घंटे के भीतर ही उसमें बदलाव आना शुरु हो जाते हैं. रीयूज्ड ऑयल बेहद ही घातक होता है और इसके इस्तेमाल के कारण बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक बढ़ जाती है. इस तेल के इस्तेमाल से तैयार किए गए खाद्य पदार्थों को खाने से हृदय की धमनियों के जाम होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक भी आ सकता है. यह गंभीर किडनी रोग का भी कारण बन सकता है.

उन्होंने कहा कि दिमाग की धमनिया प्रभावित होने से यह ब्रेन स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है. इस तरह से तैयार किए गए खाद्य पदार्थों का यदि इस्तेमाल किया जाता है तो यह पूरे शरीर के लिए ही हानिकारक है. उन्होंने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि इस तरह से तैयार की गई चीजों से अधिकतर परहेज ही करना चाहिए. इस मामले में लोगों को अधिक जागरूक होने की जरूरत है. कानून की बाध्यता अलग चीज है, लेकिन अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर ही इस तरह की बीमारियों के खतरो से बचा जा सकता है.

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