ETV Bharat / bharat

अब भी 19 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय की सुविधा नहीं: NFHS रिपोर्ट

author img

By

Published : May 11, 2022, 6:19 PM IST

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के सर्वे में सामने आया है कि 19 फीसदी परिवार किसी शौचालय सुविधा का उपयोग नहीं करते. पढ़िए पूरी खबर...

19 percent households do not have toilet facilities
19 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय की सुविधा नहीं (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली : सरकार ने 2019 में ही भारत को खुले में शौच की प्रवृत्ति से मुक्त (OFD) घोषित कर दिया था, लेकिन 2019-21 में कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के ताजा सर्वे में सामने आया है कि 19 प्रतिशत परिवार किसी शौचालय सुविधा का उपयोग नहीं करते. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुले में शौच के चलन में कमी आई है और 2015-16 में यह 39 प्रतिशत से कम होकर 2019-21 में 19 प्रतिशत हो गया है.

शौचालयों तक पहुंच बिहार में सबसे कम (62 प्रतिशत), उसके बाद झारखंड में (70 प्रतिशत) और ओडिशा में (71 प्रतिशत) है. एनएफएचएस-5 में पता चला कि 69 परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का इस्तेमाल करते हैं जिसे अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं किया जाता, वहीं 8 प्रतिशत परिवार ऐसी सुविधा का इस्तेमाल करते हैं जिसे यदि अन्य किसी से साझा नहीं किया जाए तो उसे उन्नत माना जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, '19 प्रतिशत परिवारों के पास कोई सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ हुआ कि परिवार के सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हैं.' इसमें कहा गया, '83 परिवार शौचालय की सुविधा का उपयोग करते हैं. 69 प्रतिशत भारतीय परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता और लोगों को हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम रहता है.'

सर्वेक्षण में पता चला कि शहरों में रहने वाले 11 प्रतिशत परिवार साझा शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांवों में सात प्रतिशत परिवार ऐसा करते हैं. रिपोर्ट में सुरक्षित पेयजल के बारे में कहा गया है कि 58 प्रतिशत परिवार पीने से पहले पानी का शोधन नहीं करते. इसमें कहा गया, 'जल शोधन शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कम प्रचलन में है. 66 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पेयजल का शोधन नहीं करते, वहीं 44 प्रतिशत शहरी परिवार ऐसा नहीं करते.'

ये भी पढ़ें - भारत में 30% महिलाओं ने 15 की उम्र के बाद से शारीरिक हिंसा का अनुभव किया: NFHS रिपोर्ट

एनएफएचएस के अनुसार पानी को पीने से पहले उबालना और कपड़े से छानना उसे शुद्ध करने के सबसे प्रचलित तरीके हैं. इसमें कहा गया है कि लगभग सभी शहरी परिवारों (99 प्रतिशत) और ग्रामीण परिवारों (95 प्रतिशत) की पहुंच पेयजल के उन्नत स्रोतों तक है. सर्वेक्षण के अनुसार, 'जल का उन्नत स्रोत बाहरी प्रदूषण से बचाता है और पानी पीने के लिए अधिक सुरक्षित रहता है. शहरी और ग्रामीण परिवार पेजयल के अलग-अलग स्रोतों पर निर्भर करते हैं.'

इसमें कहा गया है कि जिन परिवारों या घरों तक पानी नहीं पहुंचता या जल का स्रोत उनके परिसरों में नहीं है, वहां इस बात की अधिक संभावना होती है कि 15 साल या उससे अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं बाहर से पेयजल की व्यवस्था करके लाती हैं. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में 41 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए किसी तरह के ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं जिनमें लकड़ी या गोबर के कंडे शामिल हैं.

एनएफएचएस-5 वर्ष 2019 से 2021 के बीच 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में करीब 6.37 लाख नमूना परिवारों पर किया गया. इसमें 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों की भागीदारी रही.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सरकार ने 2019 में ही भारत को खुले में शौच की प्रवृत्ति से मुक्त (OFD) घोषित कर दिया था, लेकिन 2019-21 में कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के ताजा सर्वे में सामने आया है कि 19 प्रतिशत परिवार किसी शौचालय सुविधा का उपयोग नहीं करते. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुले में शौच के चलन में कमी आई है और 2015-16 में यह 39 प्रतिशत से कम होकर 2019-21 में 19 प्रतिशत हो गया है.

शौचालयों तक पहुंच बिहार में सबसे कम (62 प्रतिशत), उसके बाद झारखंड में (70 प्रतिशत) और ओडिशा में (71 प्रतिशत) है. एनएफएचएस-5 में पता चला कि 69 परिवार उन्नत शौचालय सुविधा का इस्तेमाल करते हैं जिसे अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं किया जाता, वहीं 8 प्रतिशत परिवार ऐसी सुविधा का इस्तेमाल करते हैं जिसे यदि अन्य किसी से साझा नहीं किया जाए तो उसे उन्नत माना जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, '19 प्रतिशत परिवारों के पास कोई सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ हुआ कि परिवार के सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हैं.' इसमें कहा गया, '83 परिवार शौचालय की सुविधा का उपयोग करते हैं. 69 प्रतिशत भारतीय परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता और लोगों को हैजा, टाइफाइड और अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम रहता है.'

सर्वेक्षण में पता चला कि शहरों में रहने वाले 11 प्रतिशत परिवार साझा शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांवों में सात प्रतिशत परिवार ऐसा करते हैं. रिपोर्ट में सुरक्षित पेयजल के बारे में कहा गया है कि 58 प्रतिशत परिवार पीने से पहले पानी का शोधन नहीं करते. इसमें कहा गया, 'जल शोधन शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कम प्रचलन में है. 66 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पेयजल का शोधन नहीं करते, वहीं 44 प्रतिशत शहरी परिवार ऐसा नहीं करते.'

ये भी पढ़ें - भारत में 30% महिलाओं ने 15 की उम्र के बाद से शारीरिक हिंसा का अनुभव किया: NFHS रिपोर्ट

एनएफएचएस के अनुसार पानी को पीने से पहले उबालना और कपड़े से छानना उसे शुद्ध करने के सबसे प्रचलित तरीके हैं. इसमें कहा गया है कि लगभग सभी शहरी परिवारों (99 प्रतिशत) और ग्रामीण परिवारों (95 प्रतिशत) की पहुंच पेयजल के उन्नत स्रोतों तक है. सर्वेक्षण के अनुसार, 'जल का उन्नत स्रोत बाहरी प्रदूषण से बचाता है और पानी पीने के लिए अधिक सुरक्षित रहता है. शहरी और ग्रामीण परिवार पेजयल के अलग-अलग स्रोतों पर निर्भर करते हैं.'

इसमें कहा गया है कि जिन परिवारों या घरों तक पानी नहीं पहुंचता या जल का स्रोत उनके परिसरों में नहीं है, वहां इस बात की अधिक संभावना होती है कि 15 साल या उससे अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं बाहर से पेयजल की व्यवस्था करके लाती हैं. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में 41 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए किसी तरह के ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं जिनमें लकड़ी या गोबर के कंडे शामिल हैं.

एनएफएचएस-5 वर्ष 2019 से 2021 के बीच 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में करीब 6.37 लाख नमूना परिवारों पर किया गया. इसमें 7,24,115 महिलाएं और 1,01,839 पुरुषों की भागीदारी रही.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.