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बेंगलुरु हिंसा : एनआईए ने कोर्ट में पेश की सात हजार पन्नों की चार्जशीट - बेंगलुरु हिंसा

एनआईए ने बेंगलुरु हिंसा मामले में यूएपीए, आईपीसी की धारा 120 बी इत्यादि के तहत 247 व्यक्तियों के खिलाफ 7,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है. चार्जशीट में नामांकित 47 लोग कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़े पाए गए हैं.

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Published : Feb 23, 2021, 8:39 PM IST

बेंगलुरु : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बेंगलुरु हिंसा मामले की जांच की और 7000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की. जांच एजेंसी ने यूएपीए, आईपीसी की धारा 120 बी आदि के तहत 247 लोगों के खिलाफ 7000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है.

चार्जशीट में नामांकित 47 लोगों को कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़ा पाया गया है. इनमें फिरोज पाशा, मोहम्मद शरीफ और मुजामिल पाशा मामले के मुख्य आरोपी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी की चार्जशीट अगस्त 2020 के बेंगलुरु हिंसा के मामले में दायर की गई है. जिसमें कहा गया था कि हिंसा एकाएक नहीं हुई थी और इसके पीछे नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध शामिल था.

बेंगलुरु हिंसा की एनआईए जांच में पता चला है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लोगों के बीच हिंसा फैलाने के लिए किया गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ही बेंगलुरु के केजी हल्ली पुलिस स्टेशन पर इकट्ठा होने और हमला करने के लिए भीड़ जुटाने का काम किया गया था.

11 अगस्त, 2020 को बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में हिंसा हुई थी.

यह भी पढ़ें- भाजपा का जलवा, कांग्रेस का नहीं हुआ 'हार्दिक' स्वागत, आप ने चौंकाया

चार्जशीट में एनआईए ने कहा है कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन ने फेसबुक पोस्ट किया था. कुछ ही देर में भारी भीड़ जमा हो गई और विधायक के घर और पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया.

बेंगलुरु : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बेंगलुरु हिंसा मामले की जांच की और 7000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की. जांच एजेंसी ने यूएपीए, आईपीसी की धारा 120 बी आदि के तहत 247 लोगों के खिलाफ 7000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है.

चार्जशीट में नामांकित 47 लोगों को कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़ा पाया गया है. इनमें फिरोज पाशा, मोहम्मद शरीफ और मुजामिल पाशा मामले के मुख्य आरोपी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी की चार्जशीट अगस्त 2020 के बेंगलुरु हिंसा के मामले में दायर की गई है. जिसमें कहा गया था कि हिंसा एकाएक नहीं हुई थी और इसके पीछे नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध शामिल था.

बेंगलुरु हिंसा की एनआईए जांच में पता चला है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लोगों के बीच हिंसा फैलाने के लिए किया गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ही बेंगलुरु के केजी हल्ली पुलिस स्टेशन पर इकट्ठा होने और हमला करने के लिए भीड़ जुटाने का काम किया गया था.

11 अगस्त, 2020 को बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में हिंसा हुई थी.

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चार्जशीट में एनआईए ने कहा है कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन ने फेसबुक पोस्ट किया था. कुछ ही देर में भारी भीड़ जमा हो गई और विधायक के घर और पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया.

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