लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पुलिस की पिटाई से कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता (manish gupta murder case) की मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मनीष गुप्ता की हत्या के मामले को गंभीरता से लिया है. गुरुवार को आयोग ने रामपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट के पत्र का संज्ञान लेते हुए गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन टांडा और थानाध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.
रामपुर के नादरबाग मढ़ैया निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है कि गोरखपुर के इस चर्चित प्रकरण में पुलिस हीलाहवाली की कोशिश कर रही है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, प्रॉपर्टी डीलर मनीष की मौत पीटने से हुई है. मनीष के पूरी शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं. कोहनी, सिर और मांसपेशियों में गहरी चोट लगी है. मनीष के सिर के अगले हिस्से पर तेज प्रहार किया गया, जिससे उनके नाक के पास से खून बह रहा था. मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उसकी झूठी कहानी की पोल खोलकर रख दी है. हालांकि, पुलिस ने घटना के बाद अपने पहले बयान में इसे हादसे में हुई मौत बताया था. उन्होंने डीएम, एसएसपी और संबंधित थाना पुलिस पर कार्रवाई की मांग की. दानिश के इस प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने केस दर्ज कर लिया है.
ये है पूरा मामला
कानपुर के बर्रा निवासी मनीष गुप्ता अपने दोस्त प्रदीप सिंह और हरवीर सिंह के साथ गोरखपुर घूमने आया था. सिकरीगंज का चंदन सैनी से तीनों की पुरानी दोस्ती थी. उसने ही कृष्णा पैलेस में अपने नाम पर कमरा बुक कराया था. बीते सोमवार की रात पुलिस चेकिंग करने के लिए पहुंची थी. इस दौरान एक कमरे में तीन लोगों के मौजूद होने पर पुलिस ने चेकिंग की. आरोप है कि इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मनीष गुप्ता की जमकर पिटाई कर दी, जिससे मनीष गंभीर रूप से जख्मी हो गया. इसके बाद पुलिस ने मनीष को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. हालत नाजुक होने पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज लेकर गई, जहां पर उसकी मौत हो गई. घटना के संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसपी गोरखपुर द्वारा प्रभारी निरीक्षक रामगढ़ताल सहित 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था. अब इस प्रकरण में इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
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अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने दावा किया कि कारोबारी मनीष गुप्ता ने होटल में निरीक्षण के दौरान पूछताछ में पुलिस का सहयोग नहीं किया था. उन्होंने कहा गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सभी जगह चेकिंग के आदेश दिए थे. उस संबंध में एक होटल में चेकिंग की गई जहां एक कमरे में तीन लोग थे. दो व्यक्तियों के पास पहचान पत्र था. एक के पास नहीं था. जब पूछताछ की गई उन्होंने (मनीष) पूछताछ में सहयोग नहीं किया और उन्होंने निकलकर भागने की कोशिश की. एडीजी ने दावा किया कि भागने के दौरान गिरने से मनीष को चोट आई और उसे जब उपचार के लिए ले जाया गया तो उसकी मृत्यु हो गई. गौरतलब है कि गत सोमवार देर रात गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल इलाके में पुलिस ने एक होटल में तलाशी ली थी.
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