नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड-19 महामारी के संदर्भ में महिलाओं के अधिकारों पर अपनी सलाह को संशोधित किया है.
7 अक्टूबर, 2020 को संबंधित मंत्रालयों को जारी किए गए दिशानिर्देश में यौन कर्मियों को 'पंजीकृत', 'अनौपचारिक कर्मी' और 'प्रवासी यौनकर्मियों' के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसकी आलोचना होने के बाद इसे संशोधित किया गया.
आयोग ने मंत्रालयों से कहा है कि वह यौनकर्मियों के लिए अस्थाई दस्तावेज जारी करें, जिससे वह सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का फायदा उठा सकें.
मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि उसका मुख्य उद्देश्य कोरोना से फैली महामारी के दौरान यौनकर्मियों के अधिकारों को सुरक्षित कर गरिमा के साथ जीवन और आजिविका के अधिकार को सुरक्षित करना है.
मानवाधिकार आयोग ने यौनकर्मियों के वर्गीकरण के लिए कई संशोधन किए हैं. इसके तहत यौनकर्मियों को मानवता के आधार पर वह सभी सुविधाएं मिलेंगी जो एक अनौपचारिक कर्मी को कोरोना काल में मिल रही हैं.
पढ़ें-लॉकडाउन के कारण कर्ज में डूबीं सोनागाछी की यौन कर्मी : सर्वेक्षण
इसी तरह 'प्रवासी यौनकर्मियों' को संशोधित कर 'यौनकर्मी' कर दिया गया है. यह वह लोग हैं, जिन्हें लॉकडाउन के कारण वापस लौटना पड़ा और उन्हें वह सभी सुविधाएं मिलेंगी जो एक प्रवासी मजदूर को मिल रही हैं.
आयोग ने कोविड-19 महामारी के मानवाधिकारों पर प्रभाव और भविष्य में उसपर प्रतिक्रिया के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. इस समिति में नागरिक समाज संगठनों, संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों और स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल थे.
इन प्रतिनिधियों ने समाज के कमजोर वर्गों, जैसे महिलाओं और उनके अधिकारों पर महामारी के प्रभाव का आकलन किया, जिसके आधार पर दिशानिर्देश जारी किए गए थे.