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वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक ने किया पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, देने होंगे 25 करोड़ रुपए

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने राजस्थान के भीलवाड़ा में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति (Compensation) देने का आदेश दिया. एनजीटी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का आदेश दिया, जो इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन कर उसे पुनर्स्थापित करने की योजना बनाएगा. इसके अलावा कमेटी इलाके के लोगों और उनके पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का आकलन कर उनमें सुधार के लिए काम करेगा.

National Green Tribunal
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)
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Published : Feb 5, 2022, 7:44 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 6:55 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के भीलवाड़ा में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ रुपये का मुआवजा (compensation) देने का आदेश दिया है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदुस्तान जिंक को तीन महीने के अंदर यह राशि भीलवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है.

एनजीटी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का आदेश दिया जो इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन कर उसे पुनर्स्थापित करने की योजना बनाएगा. इसके अलावा कमेटी इलाके के लोगों और उनके पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का आकलन कर उनमें सुधार के लिए काम करेगा. इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भीलवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल होंगे. एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया कि उसके आदेश की अनुपालन रिपोर्ट 30 अप्रैल तक दाखिल करें.

याचिका भीलवाड़ा जिले के तहसील हुर्द के अगुचा, रामपुरा, बारंतिया, कोटरी, भोजरस, बारला, हुर्दा, भेरुखेड़ा और कोठिया पंचायत के कुछ ग्रामीणों ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि इलाके में करीब 12 सौ हेक्टेयर में फैले हिन्दुस्तान जिंक की खानें हैं जो पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती हैं. इन खानों में हिन्दुस्तान जिंक की ओर से भूमिगत ब्लास्टिंग की जाती है जिससे इलाके के ग्रामीणों को पेयजल में प्रदूषण की समस्या के अलावा दमा और चर्मरोग की समस्या होती है.

ब्लास्टिंग की वजह से उठे धूलकण ग्रामीणों के घरों और खेतों में भर जाते हैं. इन खानों द्वारा जहरीला पानी छोड़ा जाता है. इलाका इतना प्रदूषित हो चुका है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इसे अधिसूचित इलाका घोषित कर दिया है. पूरे इलाके में भूमिगत खाने इतनी हैं कि जमीन पर काफी गढ्ढे दिखाई पड़ते हैं. याचिकाकर्ताओं ने इन गड्ढों के फोटो भी एनजीटी को दिखाए.

ये भी पढ़ें - सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू खनन पर रोक लगाएं राजस्थान के मुख्य सचिव: एनजीटी

18 अगस्त 2020 को एनजीटी ने भीलवाड़ा के कलेक्टर और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त जांच कमेटी का गठन किया था. हिंदुस्तान जिंक ने एनजीटी में याचिका दायर इस जांच कमेटी के आदेश का विरोध किया और एक स्वतंत्र जांच कमेटी के गठन की मांग की. हिंदुस्तान जिंक की मांग पर एनजीटी ने दूसरी कमेटी बनाई और इलाके में हुए नुकसान का आकलन करने को कहा.

जांच कमेटी ने 7 सितंबर 2021 को रिपोर्ट सौंपी. एनजीटी ने रिपोर्ट में पाया कि हिंदुस्तान जिंक के जहरीले पानी और भूमिगत ब्लास्टिंग की वजह से उड़द और मूंग की दालों का उत्पादन पिछले दो सालों में काफी घटा है. कृषि विभाग ने 2016 से 2019 के बीच आसपास के गांवों के पानी की गुणवत्ता की जांच की तो पाया कि उनका पीएच लेवल 7 से 8.7 है. जबकि सोडियम की मात्रा 2.04 से 38.6 तक है.

नई दिल्ली/जयपुर : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के भीलवाड़ा में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 25 करोड़ रुपये का मुआवजा (compensation) देने का आदेश दिया है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदुस्तान जिंक को तीन महीने के अंदर यह राशि भीलवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है.

एनजीटी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का आदेश दिया जो इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन कर उसे पुनर्स्थापित करने की योजना बनाएगा. इसके अलावा कमेटी इलाके के लोगों और उनके पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का आकलन कर उनमें सुधार के लिए काम करेगा. इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भीलवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल होंगे. एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया कि उसके आदेश की अनुपालन रिपोर्ट 30 अप्रैल तक दाखिल करें.

याचिका भीलवाड़ा जिले के तहसील हुर्द के अगुचा, रामपुरा, बारंतिया, कोटरी, भोजरस, बारला, हुर्दा, भेरुखेड़ा और कोठिया पंचायत के कुछ ग्रामीणों ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि इलाके में करीब 12 सौ हेक्टेयर में फैले हिन्दुस्तान जिंक की खानें हैं जो पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती हैं. इन खानों में हिन्दुस्तान जिंक की ओर से भूमिगत ब्लास्टिंग की जाती है जिससे इलाके के ग्रामीणों को पेयजल में प्रदूषण की समस्या के अलावा दमा और चर्मरोग की समस्या होती है.

ब्लास्टिंग की वजह से उठे धूलकण ग्रामीणों के घरों और खेतों में भर जाते हैं. इन खानों द्वारा जहरीला पानी छोड़ा जाता है. इलाका इतना प्रदूषित हो चुका है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इसे अधिसूचित इलाका घोषित कर दिया है. पूरे इलाके में भूमिगत खाने इतनी हैं कि जमीन पर काफी गढ्ढे दिखाई पड़ते हैं. याचिकाकर्ताओं ने इन गड्ढों के फोटो भी एनजीटी को दिखाए.

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18 अगस्त 2020 को एनजीटी ने भीलवाड़ा के कलेक्टर और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त जांच कमेटी का गठन किया था. हिंदुस्तान जिंक ने एनजीटी में याचिका दायर इस जांच कमेटी के आदेश का विरोध किया और एक स्वतंत्र जांच कमेटी के गठन की मांग की. हिंदुस्तान जिंक की मांग पर एनजीटी ने दूसरी कमेटी बनाई और इलाके में हुए नुकसान का आकलन करने को कहा.

जांच कमेटी ने 7 सितंबर 2021 को रिपोर्ट सौंपी. एनजीटी ने रिपोर्ट में पाया कि हिंदुस्तान जिंक के जहरीले पानी और भूमिगत ब्लास्टिंग की वजह से उड़द और मूंग की दालों का उत्पादन पिछले दो सालों में काफी घटा है. कृषि विभाग ने 2016 से 2019 के बीच आसपास के गांवों के पानी की गुणवत्ता की जांच की तो पाया कि उनका पीएच लेवल 7 से 8.7 है. जबकि सोडियम की मात्रा 2.04 से 38.6 तक है.

Last Updated : Feb 7, 2022, 6:55 PM IST

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