श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के रामबन में एक अस्पताल में जन्म के तुरंत बाद मृत घोषित कर दी गई एक बच्ची दफनाने के एक घंटे बाद जीवित मिली, लेकिन बुधवार को यहां एक अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सरकार द्वारा संचालित जीबी पंत बाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ नजीर हुसैन चौधरी ने बताया कि नवजात गहन चिकित्सा इकाई में सुबह साढ़े छह बजे बच्ची की मौत हो गई. अपने कब्रिस्तान में दफनाए जाने पर होलन गांव के स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई और परिवार को कब्र खोदने के लिए दबाव डाला. कब्र से निकालने के बाद बच्ची जीवित पाई गई.
चौधरी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बच्ची की सांस चलती देखकर सोमवार को उसे श्रीनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्होंने कहा कि वह समय से पहले ही जन्मी थी और उसे सांस लेने में तकलीफ थी. जन्म के समय उसका वजन कम था और उसे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. बच्ची के माता-पिता बशारत अहमद गुज्जर और शमीमा बेगम थे. शमीमा ने सोमवार को सुबह जम्मू के बनिहाल स्थित उप-जिला अस्पताल में सामान्य प्रसव से बच्ची को जन्म दिया था.
पढ़ें: जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में मृत घोषित नवजात बच्ची कब्र में जिंदा मिली
जन्म के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया, जिसके बाद उसके परिवार ने उसे होलन गांव में दफनाने का फैसला किया. इस घटना को लेकर 'डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों के गैर-पेशेवर रवैये' के खिलाफ अस्पताल परिसर के अंदर परिवार और अन्य लोगों ले विरोध प्रदर्शन किया. बनिहाल प्रखंड की चिकित्सा अधिकारी डॉ. राबिया खान ने कहा कि घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमने स्त्री रोग विभाग में कार्यरत एक जूनियर स्टाफ नर्स और सफाईकर्मी को जांच होने तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
बनिहाल पुलिस थाना के प्रभारी मुनीर अहमद खान ने कहा कि घटना के संबंध में कानून की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि हम सरकार के आदेश अनुसार जांच के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं और उसी के मुताबिक कार्रवाई करेंगे. स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस), जम्मू ने मंगलवार को बनिहाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खिलाफ शिकायत की जांच के लिए चार सदस्यीय पैनल का गठन किया है, जहां नवजात को उसके जन्म के तुरंत बाद गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया था. डीएचएस, जम्मू के सहायक निदेशक (योजनाएं) संजय तुर्की की अध्यक्षता वाली समिति को दो दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.