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क्यों जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक नुकसान को जोड़ा जाना चाहिए

प्रकृति के नुकसान और जलवायु परिवर्तन यह दोहरे संकट एक दूसरे से अटूट रूप से जुड़े हुए है. हालांकि जैव विविधता को होने वाले नुकसान और जलवायु परिवर्तन में संतुलन बनाने को लेकर एक रिसर्च किया गया, जिसमें कई महत्वपूर्ण बातें सामने आईं. हम निम्न उपाय करके पर्यावरण को बचाने में अमूल्य योगदान दे सकते हैं. पढ़ें विस्तार से...

जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक नुकसान
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक नुकसान
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Published : Jun 22, 2021, 8:16 AM IST

Updated : Jun 22, 2021, 8:52 AM IST

हैदराबाद : कोविड 19 महामारी ने हमें पर्यावरण के साथ मानवता के संबंधों को फिर से स्थापित करने का एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान किया है. एक रिसर्च में ऐसा पता चलता है कि प्रकृति में निवेश 2030 तक 395 मिलियन रोजगार प्रदान कर सकता है.

नई रिपोर्ट में बताया गया है कि क्यों जलवायु परिवर्तन से प्रकृति के नुकसान को आपस में जोड़ा जाना चाहिए. यह रिपोर्ट इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change) और इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services) की ओर से दी गई है.

यह रिपोर्ट प्रकृति-आधारित समाधान खोजने के लिए रास्ता प्रदान करता हैं.

रिसर्च के प्रमुख बिंदु

  • अनुसंधान से पता चलता है कि प्रकृति में निवेश 2030 तक 395 मिलियन रोजगार प्रदान कर सकता है.
  • COVID-19 महामारी ने हमें पर्यावरण के साथ मानव संबंधों को फिर से स्थापित करने का मौका दिया है.
  • जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को बताने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक 1 डॉलर से 7 डॉलर का रिटर्न मिल सकता है.
  • मानव गतिविधि जैसे कृषि और खनन से हमारी भूमि, वायु और वन्य जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
  • ये सभी कारण जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को बढ़ाने में योगदान देते हैं.
  • जैसे-जैसे ये संकट बढ़ते हैं, ये एक-दूसरे को मजबूत करते हैं.

समाधान

  • जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को रोकने के लिए, हमें उन उपायों के साथ उत्सर्जन में कमी लाने की आवश्यकता है, जैसे की प्रकृति-आधारित समाधान (Nature-based Solutions) किया जा सकता है.
  • जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट और कार्बन युक्त पारिस्थितिक तंत्र जैसे वर्षावन, पीट भूमि और मैंग्रोव में वनों की कटाई को रोकना चाहिए.
  • रिपोर्ट के अनुसार, हम पृथ्वी की 50 प्रतिशत से अधिक भूमि का उपयोग भोजन और लकड़ी के उत्पादन के लिए करते हैं.
  • प्रकृति-आधारित समाधान उत्सर्जन को कम करने और भविष्य में होने वाली समस्याओं प्रति हमारे लचीलेपन को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
  • 2030 तक 37 प्रतिशत कार्बन शमन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रकृति-आधारित समाधान खोजने की जरूरत है.

हैदराबाद : कोविड 19 महामारी ने हमें पर्यावरण के साथ मानवता के संबंधों को फिर से स्थापित करने का एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान किया है. एक रिसर्च में ऐसा पता चलता है कि प्रकृति में निवेश 2030 तक 395 मिलियन रोजगार प्रदान कर सकता है.

नई रिपोर्ट में बताया गया है कि क्यों जलवायु परिवर्तन से प्रकृति के नुकसान को आपस में जोड़ा जाना चाहिए. यह रिपोर्ट इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change) और इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services) की ओर से दी गई है.

यह रिपोर्ट प्रकृति-आधारित समाधान खोजने के लिए रास्ता प्रदान करता हैं.

रिसर्च के प्रमुख बिंदु

  • अनुसंधान से पता चलता है कि प्रकृति में निवेश 2030 तक 395 मिलियन रोजगार प्रदान कर सकता है.
  • COVID-19 महामारी ने हमें पर्यावरण के साथ मानव संबंधों को फिर से स्थापित करने का मौका दिया है.
  • जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को बताने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक 1 डॉलर से 7 डॉलर का रिटर्न मिल सकता है.
  • मानव गतिविधि जैसे कृषि और खनन से हमारी भूमि, वायु और वन्य जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
  • ये सभी कारण जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को बढ़ाने में योगदान देते हैं.
  • जैसे-जैसे ये संकट बढ़ते हैं, ये एक-दूसरे को मजबूत करते हैं.

समाधान

  • जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को रोकने के लिए, हमें उन उपायों के साथ उत्सर्जन में कमी लाने की आवश्यकता है, जैसे की प्रकृति-आधारित समाधान (Nature-based Solutions) किया जा सकता है.
  • जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट और कार्बन युक्त पारिस्थितिक तंत्र जैसे वर्षावन, पीट भूमि और मैंग्रोव में वनों की कटाई को रोकना चाहिए.
  • रिपोर्ट के अनुसार, हम पृथ्वी की 50 प्रतिशत से अधिक भूमि का उपयोग भोजन और लकड़ी के उत्पादन के लिए करते हैं.
  • प्रकृति-आधारित समाधान उत्सर्जन को कम करने और भविष्य में होने वाली समस्याओं प्रति हमारे लचीलेपन को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
  • 2030 तक 37 प्रतिशत कार्बन शमन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रकृति-आधारित समाधान खोजने की जरूरत है.
Last Updated : Jun 22, 2021, 8:52 AM IST
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