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अफ्रीका में भारतीय सेना के साहसी मिशन की अनकही दास्तां बयां करेगी नई किताब

अफ्रीका के जंगलों में भारतीय सेना के शांति अभियान ऑपरेशन खुकरी की कुछ अनकही दास्तां लेखक मेजर जनरल राजपाल पूनिया अपनी किताब के जरिये बयां करेंगे. इस पुस्तक का लोकार्पण 15 जुलाई को होगा.

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Published : Jul 3, 2021, 9:03 PM IST

नई दिल्ली : पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित ऑपरेशन खुकरी, विदेश में भारतीय सेना के सबसे साहसी शांति मिशन की अनकही कहानी, भारतीय सेना के सफल बचाव अभियान की कहानी है. जिसमें 2000 से अधिक भारतीय शांति सैनिक शामिल हुए थे.

इन्हें संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में सिएरा लियोन में विद्रोही समूह रिवोल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट (आरयूएफ) से निपटने में वहां की सरकार की मदद करने के लिए भेजा था. 13 जुलाई को अभियान की 21वीं वर्षगांठ है. किताब को मेजर जनरल पूनिया और उनकी बेटी दामिनी पूनिया ने लिखा है. पूनिया उस समय 58वीं गोरखा राइफल्स के सीओ थे और उन्होंने अभियान का नेतृत्व किया था. वे जंगल में दो बार चले लंबे युद्ध में आरयूएफ के हमले से बच गए और सभी 233 सैनिकों के साथ वापस लौटे.

पूनिया ने बताया कि आपरेशन खुकरी मातृभूमि के लिए अस्तित्व, साहस और अपार प्रेम की कहानी है. ऑपरेशन खुकरी नामक पुस्तक उन सैनिकों के प्रति मेरे कर्तव्य का प्रतीक है. जिनका नेतृत्व मैंने एक दूर देश में एक अज्ञात दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में किया था. पूनिया को 2002 में युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया था. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आपको बताएगी कि एक सैनिक का जीवन कैसे होता है, सैनिक किस तरह से संघर्षों का सामना करते हैं.

यह भी पढ़ें-ये बीजेपी का स्टाइल है: जो तीन में ना 13 में, वो बनता है मुख्यमंत्री

गौरतलब है कि पश्चिम अफ्रीका का सिएरा लियोन कई वर्षों तक गृहयुद्ध से तबाह रहा. तब साल 2000 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसमें हस्तक्षेप किया और भारतीय सेना की दो कंपनियों को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कैलाहुन में तैनात किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित ऑपरेशन खुकरी, विदेश में भारतीय सेना के सबसे साहसी शांति मिशन की अनकही कहानी, भारतीय सेना के सफल बचाव अभियान की कहानी है. जिसमें 2000 से अधिक भारतीय शांति सैनिक शामिल हुए थे.

इन्हें संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में सिएरा लियोन में विद्रोही समूह रिवोल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट (आरयूएफ) से निपटने में वहां की सरकार की मदद करने के लिए भेजा था. 13 जुलाई को अभियान की 21वीं वर्षगांठ है. किताब को मेजर जनरल पूनिया और उनकी बेटी दामिनी पूनिया ने लिखा है. पूनिया उस समय 58वीं गोरखा राइफल्स के सीओ थे और उन्होंने अभियान का नेतृत्व किया था. वे जंगल में दो बार चले लंबे युद्ध में आरयूएफ के हमले से बच गए और सभी 233 सैनिकों के साथ वापस लौटे.

पूनिया ने बताया कि आपरेशन खुकरी मातृभूमि के लिए अस्तित्व, साहस और अपार प्रेम की कहानी है. ऑपरेशन खुकरी नामक पुस्तक उन सैनिकों के प्रति मेरे कर्तव्य का प्रतीक है. जिनका नेतृत्व मैंने एक दूर देश में एक अज्ञात दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में किया था. पूनिया को 2002 में युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया था. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक आपको बताएगी कि एक सैनिक का जीवन कैसे होता है, सैनिक किस तरह से संघर्षों का सामना करते हैं.

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गौरतलब है कि पश्चिम अफ्रीका का सिएरा लियोन कई वर्षों तक गृहयुद्ध से तबाह रहा. तब साल 2000 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसमें हस्तक्षेप किया और भारतीय सेना की दो कंपनियों को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कैलाहुन में तैनात किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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