हैदराबाद (तेलंगाना): भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में इन दिनों विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. बता दें, ये प्रदर्शन पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) कर रही है. इसके पीछे का कारण उनकी पार्टी प्रमुख साद हुसैन रिजवी की गिरफ्तारी है.
दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले साल नवंबर में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की आजादी बताया था. जिस टीचर ने यह कार्टून बनाया था बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी. इसके बाद मैक्रों ने टीचर का समर्थन किया था. इसके बाद से ही पाकिस्तान में फ्रांस को लेकर नाराजगी है. है. तब से ही टीएलपी पार्टी फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रही है. नवंबर में ही पाकिस्तान सरकार और टीएलपी पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ कि इस मसले को तीन महीने में संसद के जरिए सुलझाया जाएगा.
तहरीक-ए-तब्बैक(टीएलपी) ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार को इसके लिए चेताया था. हालांकि, तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) के नेता साद हुसैन की गिरफ्तारी के विरोध में हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया और टीएलपी के सैकड़ों कार्यकर्ता सड़कों पर निकल आए, जिसके कारण उनके और सेना के बीच झड़पें हुईं. इस घटनाक्रम के बाद पीटीआई सरकार ने टीएलपी पर प्रतिबंध लगा दिया था.
बता दें, रविवार को लाहौर में पुलिस ने टीएलपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी जिसमें 3 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे. नाराज कार्यकर्ताओं ने लाहौर में 12 से अधिक पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया, जिसके बाद सरकार ने उनकी रिहाई के लिए पार्टी के साथ कई दौर की बातचीत की.
बाद में सोमवार को, टीएलपी ने इमरान खान सरकार के साथ पहले दौर की वार्ता के बाद पुलिस बंधकों को रिहा कर दिया. इसके बाद तहरीक-ए-लब्बैक के कई समर्थकों ने रावलपिंडी शहर में देश के संघीय गृह मंत्री शेख राशिद अहमद के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और उनके खिलाफ नारे लगाए. बता दें, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान एक कट्टर धार्मिक समूह है जिसका पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अनुसरण किया जाता है.
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इस समय पाकिस्तान विशेषकर लाहौर शहर में में स्थिति गंभीर है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने घोषणा की थी कि वह टीएलपी के प्रस्तावित मार्च में शामिल होंगे. इसके बाद से ही इस्लामबाद और रावलपिंडी को सील कर दिया गया है. इस्लामाबाद और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 50,000 देवबंदी छात्र हैं और वे हालात को बिगाड़ सकते हैं. हालात को देखते हुए आने वाले दिन प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के लिए महत्वपूर्ण होंगे.