चित्तूर: आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में एक घटना सामने आई, जिसमें एक बूढ़ी महिला सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए गई और उसकी मौत हो गई. इस घटना से सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही की पोल एक बार फिर से खोल दी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यादमारी मंडल के दलावाइपल्ली की पुष्पम्मा (62) पिछले साल 31 दिसंबर को घर में फिसलकर गिर गई थीं.
इस महीने की चौथी तारीख को परिवार के लोग उन्हें चित्तूर के सरकारी अस्पताल ले गए, क्योंकि उन्हें जांघ की हड्डी में गहरी चोट आई थी. डॉक्टरों ने जांच की और पुष्टि की कि पैर की हड्डी टूट गई है. इसके बाद उनके बीपी और शुगर की जांच कराई गई और कुछ दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में रहने की सलाह दी गई. डॉक्टरों ने बुजुर्ग महिला की टूटी हुई हड्डी की हालत जानने के लिए उन्हें एक निजी एक्स-रे प्लांट को रेफर कर दिया.
जब महिला का एक्स-रे डॉक्टरों के पास लाया गया, तो उन्होंने ऑपरेशन करने की बात कही और ऑपरेशन के लिए एक तारीख भी बता दी. ऑपरेशन की तय तारीख को बुजुर्ग महिला को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, जहां उस बुजुर्ग महिला का ऑपरेशन शुरू हो गया. लेकिन डॉक्टरों ने कुछ कारणों का हवाला देते हुए महिला की सर्जरी को बीच में ही रोक दिया. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों ने टांके लगा दिए.
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इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि इनका इलाज स्थानीय स्तर पर करना संभव नहीं है और उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाने की सलाह दे दी. महिला के परिजनों ने अस्पताल के अधीक्षक अरुण कुमार से जब इसकी शिकायत की, तो डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि महिला की हड्डियां मजबूत नहीं हैं. परिजनों की अधीक्षक से बात की, जिन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में डॉक्टरों से बात करेंगे, तब तक महिला को अस्पताल के वार्ड में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई.