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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद युवा डॉक्टरों को राहत, नहीं बदलेगा परीक्षा प्रारूप

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Published : Oct 6, 2021, 12:00 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 9:15 PM IST

पोस्ट ग्रेजुएट नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-सुपर स्पेशियलिटी (NEET-SS) 2021 पुराने पैटर्न के तहत ही आयोजित किया जाएगा. केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी. केंद्र ने कहा कि अगले साल से नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षाओं में बदलाव लागू करेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में कहा था कि युवा डॉक्टर फुटबॉल नहीं हैं, इनका इस्तेमाल सत्ता के खेल में नहीं किया जाए.

NEET-SS 2021
NEET-SS 2021

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद युवा डॉक्टरों को राहत मिली है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को बताया कि विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए, यह तय किया गया है कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलाव अकादमिक सत्र 2022-23 से लागू किए जाएंगे. बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.

बुधवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एश्वर्या भाटी की दलीलों को रिकॉर्ड में रखा और उन विद्यार्थियों की याचिकाओं का निपटान किया, जिन्होंने इस वर्ष से नीट-सुपर स्पेशियलिटी के परीक्षा पैटर्न में बदलावों को लागू करने के केंद्र के पहले के फैसले को चुनौती दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलावों की वैधता के सवाल पर वह कुछ नहीं कह रही है.

एश्वर्या भाटी ने कहा, 'छात्रों के हित में, जिन्होंने पुरानी व्यवस्था के अनुसार तैयारी की है, सरकार ने दो विशेषज्ञ इकाइयों (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के साथ विमर्श कर निर्णय किया है कि नीट-सुपरस्पेशलिटी की संशोधित योजना 2022 से क्रियान्वित की जाएगी.'

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान भाटी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत द्वारा मंगलवार को व्यक्त की गई आशंका को दूर करना चाहती हैं. पीठ ने इस पर भाटी से कहा कि वह यह मुद्दा उस पर छोड़ दें. भाटी ने कहा कि अधिकारियों को नवंबर में होने वाली परीक्षा को कुछ महीने के लिए टालने की जरूरत हो सकती है क्योंकि अब समूची प्रक्रिया को बदले जाने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा कि सरकार ने बहुत अच्छी तरह काम किया है और परीक्षा कब कराई जाए, यह अधिकारियों पर निर्भर है, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल.

इससे पहले मंगलवार को, शीर्ष अदालत ने केंद्र को 'अपने तरीके में सुधार' लाने का और नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 में किए गए बदलावों को वापस लेने पर निर्णय लेने का केंद्र को एक आखिरी मौका दिया था.

नाराज शीर्ष अदालत ने कहा था कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है, और अब, चिकित्सा शिक्षा का नियमन भी उस तरह से हो गया है जो देश की त्रासदी है.

जुलाई में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा दी गई दलील से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं थी.

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने परीक्षा में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की खिंचाई की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि युवा डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता. उनके साथ फुटबॉल की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- NEET-SS Exam Pattern : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- युवा डॉक्टर फुटबॉल नहीं, सत्ता के खेल में इस्तेमाल न करें

न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा - अति विशिष्टता (नीट-एसएस) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किये गये बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा.

शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 13 और 14 नवंबर को होने वाली परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम क्षणों में किए गए बदलाव को 23 जुलाई को चुनौती दी थी.

यह भी पढ़ें- उच्चतम न्यायालय ने नीट यूजी परीक्षा रद्द करने के लिए दायर याचिका खारिज की

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद युवा डॉक्टरों को राहत मिली है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को बताया कि विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए, यह तय किया गया है कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलाव अकादमिक सत्र 2022-23 से लागू किए जाएंगे. बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.

बुधवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एश्वर्या भाटी की दलीलों को रिकॉर्ड में रखा और उन विद्यार्थियों की याचिकाओं का निपटान किया, जिन्होंने इस वर्ष से नीट-सुपर स्पेशियलिटी के परीक्षा पैटर्न में बदलावों को लागू करने के केंद्र के पहले के फैसले को चुनौती दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलावों की वैधता के सवाल पर वह कुछ नहीं कह रही है.

एश्वर्या भाटी ने कहा, 'छात्रों के हित में, जिन्होंने पुरानी व्यवस्था के अनुसार तैयारी की है, सरकार ने दो विशेषज्ञ इकाइयों (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के साथ विमर्श कर निर्णय किया है कि नीट-सुपरस्पेशलिटी की संशोधित योजना 2022 से क्रियान्वित की जाएगी.'

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान भाटी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत द्वारा मंगलवार को व्यक्त की गई आशंका को दूर करना चाहती हैं. पीठ ने इस पर भाटी से कहा कि वह यह मुद्दा उस पर छोड़ दें. भाटी ने कहा कि अधिकारियों को नवंबर में होने वाली परीक्षा को कुछ महीने के लिए टालने की जरूरत हो सकती है क्योंकि अब समूची प्रक्रिया को बदले जाने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा कि सरकार ने बहुत अच्छी तरह काम किया है और परीक्षा कब कराई जाए, यह अधिकारियों पर निर्भर है, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल.

इससे पहले मंगलवार को, शीर्ष अदालत ने केंद्र को 'अपने तरीके में सुधार' लाने का और नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 में किए गए बदलावों को वापस लेने पर निर्णय लेने का केंद्र को एक आखिरी मौका दिया था.

नाराज शीर्ष अदालत ने कहा था कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है, और अब, चिकित्सा शिक्षा का नियमन भी उस तरह से हो गया है जो देश की त्रासदी है.

जुलाई में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा दी गई दलील से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं थी.

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने परीक्षा में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की खिंचाई की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि युवा डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता. उनके साथ फुटबॉल की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- NEET-SS Exam Pattern : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- युवा डॉक्टर फुटबॉल नहीं, सत्ता के खेल में इस्तेमाल न करें

न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा - अति विशिष्टता (नीट-एसएस) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किये गये बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा.

शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 13 और 14 नवंबर को होने वाली परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम क्षणों में किए गए बदलाव को 23 जुलाई को चुनौती दी थी.

यह भी पढ़ें- उच्चतम न्यायालय ने नीट यूजी परीक्षा रद्द करने के लिए दायर याचिका खारिज की

Last Updated : Oct 6, 2021, 9:15 PM IST
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