नई दिल्ली : आईबीबीआई के अध्यक्ष एम एस साहू ने दिवाला कानून के कामकाज का आकलन करने के लिए एक व्यापक और निष्पक्ष संरचना के निर्माण पर जोर दिया, ताकि इसे लेकर तत्काल सुधार किया जा सके. उनकी टिप्पणी 2016 में लागू की गई दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के व्यापक प्रभाव को लेकर व्यक्त किए जा रहे अलग-अलग तरह के विचारों की पृष्ठभूमि में आई है.
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) आईबीसी को लागू करने वाला प्रमुख संस्थान है, जो संकटग्रस्त हस्तियों के लिए बाजार संबद्ध और समयबद्ध समाधान प्रदान करता है. उन्होंने कहा, हमें (आईबीसी के) एक व्यापक और निष्पक्ष आकलन के लिए एक संरचना की जरूरत है. जो इसके सही दिशा में बढ़ते रहने, प्रदर्शन का आकलन करने और त्वरित सुधार करने में मदद करे.
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साहू ने आईबीसी के पांच साल पूरे होने पर उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में ये बातें कहीं. आईबीसी में पांच साल से भी कम समय में छह संशोधन किए गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)