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बोर्ड ने विकसित किया अत्याधुनिक स्पर्म, अब होगी बछिया ही पैदा - राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड

डेयरी क्षेत्र में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को बड़ी सफलता मिली है. बोर्ड की सहायक इकाई एनडीडीबी डेयरी सेवा ने सिर्फ बछिया को जन्म देने वाली तकनीक का विकास किया है.

sperm technology
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Nov 12, 2020, 5:34 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक इकाई एनडीडीबी डेयरी सेवा ने कहा कि उसने बेंगलूरु के एक अनुसंधान संगठन के साथ मिल कर सिर्फ बछिया के जन्म में सहाक वीर्य के प्रसंस्करण की तकनीक का विकास किया है.

एनडीडीबी डेयरी सेवा ने एक बयान में बताया कि इस तकनीक के परीक्षण उत्साहजनक हैं और लिंग विशेष को जन्म देने वाली खुराक पहली बछिया का जन्म अक्टूबर 2020 में चेन्नई के पास अलामाधी वीर्य केंद्र (तमिलनाडु) में हुआ.

बयान में कहा गया कि लिंग विशेष को जन्म देने वाली वीर्य तकनीक चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास है, जो डेयरी किसानों के लिए बहुत महंगी है. नई तकनीक से सिर्फ बछिया के पैदा होने के भरोसे से डेयरी किसानों को काफी आर्थिक लाभ होगा.

पढ़ें-बछड़े-बछिया का प्रेम देख ग्रामीणों ने करा दी शादी, निभाई गई सारी रस्में

बयान में एनडीडीबी के चेयरमैन दिलीप रथ के हवाले से कहा गया कि लिंग विशेष को जन्म देने में सहायक वीर्य के अंश को स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से तैयार किया गया है और यह उद्योग के गुणवत्ता और उत्पादन मानकों के अनुरूप है. ऐसे में इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो सकेगा.

उन्होंने कहा कि एनडीडीबी डेयरी सर्विस ने कुछ साल पहले इस परियोजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य लिंग विशेष को जन्म देने वाले वीर्य की खुराक की लागत कम करना था. उन्होंने कहा कि नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम तथा 'आत्मनिर्भर भारत' के अनुरूप है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक इकाई एनडीडीबी डेयरी सेवा ने कहा कि उसने बेंगलूरु के एक अनुसंधान संगठन के साथ मिल कर सिर्फ बछिया के जन्म में सहाक वीर्य के प्रसंस्करण की तकनीक का विकास किया है.

एनडीडीबी डेयरी सेवा ने एक बयान में बताया कि इस तकनीक के परीक्षण उत्साहजनक हैं और लिंग विशेष को जन्म देने वाली खुराक पहली बछिया का जन्म अक्टूबर 2020 में चेन्नई के पास अलामाधी वीर्य केंद्र (तमिलनाडु) में हुआ.

बयान में कहा गया कि लिंग विशेष को जन्म देने वाली वीर्य तकनीक चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास है, जो डेयरी किसानों के लिए बहुत महंगी है. नई तकनीक से सिर्फ बछिया के पैदा होने के भरोसे से डेयरी किसानों को काफी आर्थिक लाभ होगा.

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बयान में एनडीडीबी के चेयरमैन दिलीप रथ के हवाले से कहा गया कि लिंग विशेष को जन्म देने में सहायक वीर्य के अंश को स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से तैयार किया गया है और यह उद्योग के गुणवत्ता और उत्पादन मानकों के अनुरूप है. ऐसे में इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो सकेगा.

उन्होंने कहा कि एनडीडीबी डेयरी सर्विस ने कुछ साल पहले इस परियोजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य लिंग विशेष को जन्म देने वाले वीर्य की खुराक की लागत कम करना था. उन्होंने कहा कि नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम तथा 'आत्मनिर्भर भारत' के अनुरूप है.

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