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शिलांग से दलितों को 'निकालने' का मामला : NCSC ने मेघालय सरकार को भेजा नोटिस - शिलांग दलित सिख स्थानांतरण मामला

मेघालय की राजधानी शिलांग के पंजाबी लेन (Punjabi Lane) में रह रहे लोगों को स्थानांतरित किए जाने के निर्णय का विरोध हो रहा है. दलित सिखों के संगठन ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जरूरी ब्योरा देने को कहा है.

भाजपा सांसद विजय सांपला
भाजपा सांसद विजय सांपला
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Published : Oct 11, 2021, 5:00 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने शिलांग के पंजाबी लेन (Punjabi Lane) इलाके से दलित सिखों के स्थानांतरण के मामले पर संज्ञान लेते हुए मेघालय सरकार को नोटिस जारी किया है. एनसीएससी अध्यक्ष और भाजपा सांसद विजय सांपला ने सोमवार को इसकी पुष्टि की.

उन्होंने कहा कि आयोग की मामले पर नजर है. सांपला ने कहा कि मेघालय के शिलांग से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को विस्थापित किया जा रहा है, जहां वे लंबे समय से रह रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार उनकी जमीनों का अधिग्रहण करना चाहती है. हमने इस पर संज्ञान लिया है और सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है. अगर वे उन्हें कहीं और स्थानांतरित करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले स्थान सुनिश्चित करना होगा. राज्य सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.

एनसीएससी अध्यक्ष विजय सांपला का बयान

उन्होंने कहा कि अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, दलित समुदाय के लोगों ने वर्षों से मंदिर और गुरुद्वारे का निर्माण किया है और वर्तमान में लगभग 28,000 लोग वहां रह रहे हैं. हमने मेघालय सरकार से जरूरी ब्योरा देने को कहा है.

उन्होंने कहा कि आयोग की टीम वहां रहने वाले लोगों से भी मुलाकात करेगा. हम संबंधित अधिकारियों से भी बात करेंगे और लोगों को न्याय मिलेगा.

मेघालय में एक उच्च स्तरीय समिति ने हाल ही में शिलांग में पंजाबी लेन से सिखों को कहीं और विस्थापित करने की सिफारिश की थी.

हालांकि, शिलांग में दलित सिखों के संगठन हरिजन पंचायत समिति (Harijan Panchayat Committee) ने इस कदम का विरोध किया और सरकार द्वारा निर्णय को जबरदस्ती लागू करने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है.

लगभग 350 सिख परिवार शिलांग के पंजाबी लेन क्षेत्र में 200 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं. यह स्थान शहर के मध्य में स्थित है. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार की इस प्रमुख स्थान पर सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण करने की योजना है.

विजय सांपला ने कहा कि यदि राज्य सरकार भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है तो उन्हें निवासियों को अच्छा विकल्प देना होगा. यह एक नियम है और वे केवल निवासियों को क्षेत्र खाली करने का आदेश नहीं दे सकते. आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया है और हम शिलांग में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे.

रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में रहने वाले दलित समुदाय अपनी जमीनों को हासिल करने और उन्हें उस जगह से स्थानांतरित करने के लिए सरकार के कदम के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध की योजना बना रहे हैं, जहां वे दशकों से रह रहे हैं.

शिलांग में सिखों को 'निकालने' का मुद्दा गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे : रंधावा

वहीं, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि वह शिलांग में रह रहे सिखों को 'निकालने' के मेघालय सरकार के कथित कदम का मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रंधावा ने कहा कि वह 'शिलांग में रह रहे सिखों को निकालने' के मेघालय सरकार के फैसले का विरोध करते हैं और उन्होंने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री तथा मेघालय के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने का फैसला किया है.

दो साल पहले रंधावा के नेृतत्व में पंजाब सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल शिलांग गया था और वहां रह रहे सिख समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की थी तथा उस समय उन्हें आश्वस्त किया था वह उन्हें हटाने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगे.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सिख दशकों से शिलांग में रह रहे हैं और पंजाब सरकार उन्हें पुन: स्थापित करने के इस फैसले का कड़ा विरोध करती है.

रंधावा ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार देशभर में अल्पसंख्यकों के बीच सुरक्षा और विश्वास की भावना पैदा करने में नाकाम रही है और अल्पसंख्यक 'असुरक्षित महसूस कर रहे हैं जिसके ताजा उदाहरण जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश में देखे जा सकते हैं.'

यह भी पढ़ें- मेघालय में पंजाबी लेन के 'अवैध तौर पर बसने वालों' को नई जगह बसाने का फैसला किया : मुख्यमंत्री

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने शिलांग के पंजाबी लेन (Punjabi Lane) इलाके से दलित सिखों के स्थानांतरण के मामले पर संज्ञान लेते हुए मेघालय सरकार को नोटिस जारी किया है. एनसीएससी अध्यक्ष और भाजपा सांसद विजय सांपला ने सोमवार को इसकी पुष्टि की.

उन्होंने कहा कि आयोग की मामले पर नजर है. सांपला ने कहा कि मेघालय के शिलांग से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को विस्थापित किया जा रहा है, जहां वे लंबे समय से रह रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार उनकी जमीनों का अधिग्रहण करना चाहती है. हमने इस पर संज्ञान लिया है और सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है. अगर वे उन्हें कहीं और स्थानांतरित करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले स्थान सुनिश्चित करना होगा. राज्य सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.

एनसीएससी अध्यक्ष विजय सांपला का बयान

उन्होंने कहा कि अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, दलित समुदाय के लोगों ने वर्षों से मंदिर और गुरुद्वारे का निर्माण किया है और वर्तमान में लगभग 28,000 लोग वहां रह रहे हैं. हमने मेघालय सरकार से जरूरी ब्योरा देने को कहा है.

उन्होंने कहा कि आयोग की टीम वहां रहने वाले लोगों से भी मुलाकात करेगा. हम संबंधित अधिकारियों से भी बात करेंगे और लोगों को न्याय मिलेगा.

मेघालय में एक उच्च स्तरीय समिति ने हाल ही में शिलांग में पंजाबी लेन से सिखों को कहीं और विस्थापित करने की सिफारिश की थी.

हालांकि, शिलांग में दलित सिखों के संगठन हरिजन पंचायत समिति (Harijan Panchayat Committee) ने इस कदम का विरोध किया और सरकार द्वारा निर्णय को जबरदस्ती लागू करने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है.

लगभग 350 सिख परिवार शिलांग के पंजाबी लेन क्षेत्र में 200 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं. यह स्थान शहर के मध्य में स्थित है. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार की इस प्रमुख स्थान पर सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण करने की योजना है.

विजय सांपला ने कहा कि यदि राज्य सरकार भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है तो उन्हें निवासियों को अच्छा विकल्प देना होगा. यह एक नियम है और वे केवल निवासियों को क्षेत्र खाली करने का आदेश नहीं दे सकते. आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया है और हम शिलांग में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे.

रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में रहने वाले दलित समुदाय अपनी जमीनों को हासिल करने और उन्हें उस जगह से स्थानांतरित करने के लिए सरकार के कदम के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध की योजना बना रहे हैं, जहां वे दशकों से रह रहे हैं.

शिलांग में सिखों को 'निकालने' का मुद्दा गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे : रंधावा

वहीं, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि वह शिलांग में रह रहे सिखों को 'निकालने' के मेघालय सरकार के कथित कदम का मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रंधावा ने कहा कि वह 'शिलांग में रह रहे सिखों को निकालने' के मेघालय सरकार के फैसले का विरोध करते हैं और उन्होंने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री तथा मेघालय के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने का फैसला किया है.

दो साल पहले रंधावा के नेृतत्व में पंजाब सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल शिलांग गया था और वहां रह रहे सिख समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की थी तथा उस समय उन्हें आश्वस्त किया था वह उन्हें हटाने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगे.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सिख दशकों से शिलांग में रह रहे हैं और पंजाब सरकार उन्हें पुन: स्थापित करने के इस फैसले का कड़ा विरोध करती है.

रंधावा ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार देशभर में अल्पसंख्यकों के बीच सुरक्षा और विश्वास की भावना पैदा करने में नाकाम रही है और अल्पसंख्यक 'असुरक्षित महसूस कर रहे हैं जिसके ताजा उदाहरण जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश में देखे जा सकते हैं.'

यह भी पढ़ें- मेघालय में पंजाबी लेन के 'अवैध तौर पर बसने वालों' को नई जगह बसाने का फैसला किया : मुख्यमंत्री

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