ETV Bharat / bharat

NCERT Books Rationalisation : एनसीईआरटी की किताबों से गांधी, आरएसएस और गुजरात दंगों से जुड़े कुछ 'तथ्य' हटाए गए

एनसीईआरटी की किताबों से कुछ अंश हटा दिए गए हैं. हटाए गए अंश महात्मा गांधी और आरएसएस से जुड़े हुए हैं. इस पर विवाद शुरू हो गया है. विपक्षी दलों ने इसे शिक्षा के भगवाकरण से जोड़ा है, जबकि सरकार ने इसका बचाव किया है. एनसीईआरटी के अधिकारी ने कहा कि बदलाव के पीछे छात्रों पर दबाव करना एकमात्र मंशा है.

NCERT Director Saklani
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी
author img

By

Published : Apr 5, 2023, 1:56 PM IST

नई दिल्ली : एनसीईआरटी की नई किताबों पर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है. विवाद इतिहास की पुस्तकों में हुए बदलाव को लेकर है. बदलाव दूसरे विषयों में भी किए गए हैं. मुगलों से संबंधित कुछ चैप्टर्स को हटा दिए गए हैं. इस पर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साथा है.

एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में पढ़ाया जाता था कि महात्मा गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज की वजह से हिंदू चरमपंथी नाराज हो गए थे. यह भी पढ़ाया जाता था कि गांधी की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध लगा गया था. लेकिन नई किताब में ये दोनों तथ्य गायब हैं. पुस्तक से इन अंशों को हटा दिया गया है.

क्या हटाया गया- महात्मा गांधी उन लोगों को पसंद नहीं करते थे, जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, ठीक उसी तरह से जैसे मुस्लिम नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान में हिंदू रहें. हिंदू मुस्लिम एकता के लिए गांधी के प्रयासों को देखकर ही हिंदू चरमपंथियों ने उनका विरोध किया और उन्होंने उनकी हत्या के कई प्रयास भी किए. ये सभी अंश अब हटा दिए गए हैं.

एनसीईआरटी की किताबों से गुजरात दंगों का संदर्भ भी हटाया जा चुका है. क्लास 11 के समाजशास्त्र में एक चैप्टर है- अंडरस्टैंडिंग सोसाइटी, इसमें गुजरात दंगों का संदर्भ था. इस पैराग्राफ को हटा दिया गया है. इसमें लिखा था कि किस तरह से क्लास, रिलिजिन और जातीयता अक्सर चुनिंदा आवासीय क्षेत्रों को अलग कर देता है. और फिर दंगे के दौरान उसका कितना असर होता है. जैसे 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुआ था. इन अंशों को हटा लिया गया है.

मुगलों से संबंधित कुछ अन्य अध्यायों को भी सिलेबस से निकाल दिया गया है. ये बदलाव सिर्फ 12वीं की किताब में ही नहीं हुए हैं, बल्कि छठी से 12वीं तक की अलग-अलग किताबों में किए गए हैं. 12वीं की पॉलिटिकल साइंस से भी कुछ चैप्टर्स को हटाया गया है. जैसे- पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से दो चैप्टर्स को निकाल दिया गया. ये चैप्टर्स हैं- एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस और राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट. इसी तरह से लोकतंत्र और विविधता और लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियों पर चैप्टर हटा दिए गए हैं. ये सभी डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 में पढ़ाए जाते थे. इन सभी चैप्टर्स में मुख्य रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, स्वतंत्र पार्टी और जनसंघ के बारे में बताया गया था.

10वीं की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से डायवर्सिटी और डेमोक्रेसी, पॉपुलर मूवमेंट और फाइट तथा डेमोक्रेसी के सामने चुनौतियां, ऐसे चैप्टर्स को हटा दिए गए हैं. 12वीं क्लास में गोडसे की जाति के बारे में भी पढ़ाया जाता था. अब इसे हटा दिया गया है. गोडसे को पुणे का ब्राह्मण बताया गया था.

इस बाबत जब एनसीईआरटी से पूछा गया, तो यह बताया गया कि इस तरह की मांगें राज्य शिक्षा बोर्ड से की जा रहीं थीं. इनमें उन्होंने किसी भी जाति का उल्लेख करने से बचने की सलाह दी थी. संसद में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा था कि कोरोना के दौरान शिक्षा का जो भी नुकसान हुआ, उसे कम करने के लिए छात्रों का बोझ कम किया गया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा को और अधिक तर्कसंगत बनाया गया है.

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि समाज और राष्ट्र के प्रति हमारी जवाबदेही है, इसलिए इस तरह के बदलाव कर हम छात्रों को तनावमुक्त कर रहे हैं. उन्होंने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया कि बदलाव एक खास विचारधारा के तहत किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जितने भी बदलाव किए गए हैं, ये सारे फैसले पिछली बार ही लिए गए थे. सकलानी ने कहा कि यह रेशनलाइजेशन है, इसे डिलीशन कहना उचित नहीं होगा.

ये भी पढ़ें : प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा- मुगलों के 200 साल के इतिहास को खारिज नहीं कर सकते

नई दिल्ली : एनसीईआरटी की नई किताबों पर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है. विवाद इतिहास की पुस्तकों में हुए बदलाव को लेकर है. बदलाव दूसरे विषयों में भी किए गए हैं. मुगलों से संबंधित कुछ चैप्टर्स को हटा दिए गए हैं. इस पर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साथा है.

एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में पढ़ाया जाता था कि महात्मा गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज की वजह से हिंदू चरमपंथी नाराज हो गए थे. यह भी पढ़ाया जाता था कि गांधी की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध लगा गया था. लेकिन नई किताब में ये दोनों तथ्य गायब हैं. पुस्तक से इन अंशों को हटा दिया गया है.

क्या हटाया गया- महात्मा गांधी उन लोगों को पसंद नहीं करते थे, जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, ठीक उसी तरह से जैसे मुस्लिम नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान में हिंदू रहें. हिंदू मुस्लिम एकता के लिए गांधी के प्रयासों को देखकर ही हिंदू चरमपंथियों ने उनका विरोध किया और उन्होंने उनकी हत्या के कई प्रयास भी किए. ये सभी अंश अब हटा दिए गए हैं.

एनसीईआरटी की किताबों से गुजरात दंगों का संदर्भ भी हटाया जा चुका है. क्लास 11 के समाजशास्त्र में एक चैप्टर है- अंडरस्टैंडिंग सोसाइटी, इसमें गुजरात दंगों का संदर्भ था. इस पैराग्राफ को हटा दिया गया है. इसमें लिखा था कि किस तरह से क्लास, रिलिजिन और जातीयता अक्सर चुनिंदा आवासीय क्षेत्रों को अलग कर देता है. और फिर दंगे के दौरान उसका कितना असर होता है. जैसे 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुआ था. इन अंशों को हटा लिया गया है.

मुगलों से संबंधित कुछ अन्य अध्यायों को भी सिलेबस से निकाल दिया गया है. ये बदलाव सिर्फ 12वीं की किताब में ही नहीं हुए हैं, बल्कि छठी से 12वीं तक की अलग-अलग किताबों में किए गए हैं. 12वीं की पॉलिटिकल साइंस से भी कुछ चैप्टर्स को हटाया गया है. जैसे- पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से दो चैप्टर्स को निकाल दिया गया. ये चैप्टर्स हैं- एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस और राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट. इसी तरह से लोकतंत्र और विविधता और लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियों पर चैप्टर हटा दिए गए हैं. ये सभी डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 में पढ़ाए जाते थे. इन सभी चैप्टर्स में मुख्य रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस, स्वतंत्र पार्टी और जनसंघ के बारे में बताया गया था.

10वीं की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से डायवर्सिटी और डेमोक्रेसी, पॉपुलर मूवमेंट और फाइट तथा डेमोक्रेसी के सामने चुनौतियां, ऐसे चैप्टर्स को हटा दिए गए हैं. 12वीं क्लास में गोडसे की जाति के बारे में भी पढ़ाया जाता था. अब इसे हटा दिया गया है. गोडसे को पुणे का ब्राह्मण बताया गया था.

इस बाबत जब एनसीईआरटी से पूछा गया, तो यह बताया गया कि इस तरह की मांगें राज्य शिक्षा बोर्ड से की जा रहीं थीं. इनमें उन्होंने किसी भी जाति का उल्लेख करने से बचने की सलाह दी थी. संसद में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा था कि कोरोना के दौरान शिक्षा का जो भी नुकसान हुआ, उसे कम करने के लिए छात्रों का बोझ कम किया गया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा को और अधिक तर्कसंगत बनाया गया है.

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि समाज और राष्ट्र के प्रति हमारी जवाबदेही है, इसलिए इस तरह के बदलाव कर हम छात्रों को तनावमुक्त कर रहे हैं. उन्होंने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया कि बदलाव एक खास विचारधारा के तहत किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जितने भी बदलाव किए गए हैं, ये सारे फैसले पिछली बार ही लिए गए थे. सकलानी ने कहा कि यह रेशनलाइजेशन है, इसे डिलीशन कहना उचित नहीं होगा.

ये भी पढ़ें : प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा- मुगलों के 200 साल के इतिहास को खारिज नहीं कर सकते

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.