नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा को ड्रग्स तस्करी के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचान की है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के इन राज्यों से ड्रग तस्कर देशभर में नशे की तस्करी कर रहे हैं. 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए, एनसीबी के उप महानिदेशक (संचालन) संजय कुमार सिंह ने कहा कि इन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. सिंह ने कहा, 'असम सभी मादक पदार्थों के तस्करों के लिए बड़ा जरिया है. मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा से आने वाले नशीले पदार्थ असम के रास्ते देश के अन्य हिस्सों में जाते हैं जबकि बांग्लादेश की ओर जाने वाले फार्मा ड्रग्स गुवाहाटी के माध्यम से तस्करी होते हैं.'
एनसीबी ने हाल ही में असम से एक अवैध ड्रग स्टॉकिस्ट को गिरफ्तार किया. एजेंसी को डार्कनेट के माध्यम से चल रहे ड्रग के अवैध कारोबार का भी पता चला. एनसीबी ने 11 राज्यों में एक साथ छापेमारी कर डार्कनेट सिंडिकेट के 22 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. ये लोग 15 से 35 साल के बीच के युवाओं को निशाना बनाते थे. नशा तस्कर गुवाहाटी के अलावा, शिलांग, आइजोल, इंफाल, कोहिमा सहित पूर्वोत्तर के प्रमुख राजधानी शहरों में भी युवाओं को निशाना बनाते हैं. गौरतलब है कि एनसीबी ने हाल ही में ड्रग सरगना पाखी मियां के बेटे अताउर रहमान को 14 करोड़ रुपये की मॉर्फिन की खेप के साथ गुवाहाटी से गिरफ्तार किया है.
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गौरतलब है कि भारत की सीमा की बात करें तो देश कई ऐसे पड़ोसी मुल्कों से जुड़ा है जहां से बड़े पैमाने पर ड्रग की तस्करी होती है. उत्तर-पश्चिम में दक्षिण एशिया गोल्डन क्रिसेंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) और उत्तर पूर्व में कुख्यात गोल्डन ट्राएंगल (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) से अवैध दवाओं के दो सबसे बड़े स्रोत है.
उत्तर-पश्चिम से ड्रग्स जम्मू-कश्मीर, पंजाब से होते हुए देशभर में पहुंचते हैं, जबकि पूर्वोत्तर में मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड के माध्यम से इसे इंजेक्ट किया जा रहा है और फिर गुवाहाटी (असम) के माध्यम से देश के अन्य राज्यों में सप्लाई किया जा रहा है. इस क्षेत्र में नशीली दवाओं की जिस तरह से तस्करी की जा रही है, उसने ड्रग्स पर शिकंजा कसने वाली एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट ये भी है कि भूमिगत उग्रवादी भी धन और हथियार प्राप्त करने के लिए नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल हैं.
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