बस्तर/बीजापुर: अगवा जवान शंकर कुड़ियम को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. नक्सलियों ने जवान को सर्वआदिवासी समाज के संगठन को सौंपा. जवान समेत पूरी टीम रात 9 बजे भैरमगढ़ पहुंची.
बीते 29 सितंबर को जवान शंकर कुड़ियम बीजापुर के भैरमगढ़ ब्लॉक के उसपरी गांव पहुंचा था. वहीं से नक्सलियों की एक टीम ने जवान को अगवा कर लिया था. 8 दिन बाद नक्सलियों ने जवान को रिहा किया. रिहा जवान शंकर कुड़ियम ने बताया कि नक्सलियों ने उससे पूछताछ की. इस दौरान नक्सली आपस में शंकर को जान से मार देने की भी बात कहने लगे. लेकिन परिवार और सर्वआदिवासी समाज की अपील के बाद उसे रिहा कर दिया.
कौन है बोलकर अपहरण किया. मेरी गलती ना होने पर मार दिया जाए ऐसा फैसला सुनाया. फिर मेरी बात, गांव के पंचायत की बात पर रिहा किया. अपहरण के बाद किसी तरह की मारपीट नहीं की. साथियों की तरह रखा -शंकर कुड़ियम, रिहा जवान
आदिवासी समाज समेत परिजनों ने की थी रिहाई की अपील: बस्तर फाइटर्स के जवान शंकर कुड़ियम को अगवा किए जाने के बाद से लगातार उनके परिजन तनाव में थे. चार अक्टूबर को शंकर कुड़ियम के परिजन और सर्व आदिवासी समाज ने वीडियो संदेश के जरिए नक्सलियों से मार्मिक अपील की थी. जिसके बाद बीजापुर एसपी ने भी जवान शंकर कुड़ियम को रिहा करने की अपील की थी. लगातार जारी हो रहे अपील के बाद नक्सलियों ने 6 अक्टूबर को जवान शंकर कुड़ियम को रिहा कर दिया है.
नक्सलियों ने ली थी जवान के अपहरण की जिम्मेदारी: इस पूरे मामले में पांच अक्टूबर को नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी किया था. नक्सलियों ने इस नोट के माध्यम से यह खुलासा किया था कि उन्होंने ही जवान का अपहरण किया है. इससे पहले परिजन और सर्व आदिवासी समाज के लोग आशंका जता रहे थे कि जवान को नक्सलियों ने अगवा किया है. परिजन काफी परेशान थे. जिसके बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर किडनैपिंग की बात स्वीकारी थी.
जानिए कैसे अगवा हुआ था जवान ?: सितंबर महीने के अंतिम सप्ताह में 27 तारीख को जवान शंकर कुड़ियम अपने गांव भैरमगढ़ की ओर गया था. वह भैरमगढ़ के उसपरी गांव में गया था. इस दौरान ही वह लापता हो गया. 27 और 29 तारीख के बीच उसके लापता होने की खबर आई. फिर पांच अक्टूबर को नक्सलियों ने उसके किडनैपिंग की जिम्मेदारी ली. 27 तारीख के बाद से जवान ड्यूटी पर भी नहीं गया था. बताया जा रहा है कि जवान पहले शिक्षा मित्र था.इसी साल वह बस्तर फाइटर्स में शामिल हो गया. जिससे नक्सली नाराज थे.