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सिद्धू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 34 साल पुराना रोड रेज का मामला

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि रोड रेज मामले में उनके खिलाफ दायर रिव्यू याचिका खारिज की जाए. 34 साल पुराने इस केस में सिद्धू की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकती है.

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Published : Feb 25, 2022, 2:09 PM IST

Updated : Feb 25, 2022, 8:45 PM IST

sidhu
नवजोत सिंह सिद्धू

चंडीगढ़ : 1988 के रोड रेज केस में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुसीबतें बढ़ सकतीं हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सिद्धू की पैरवी वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम कर रहे हैं. बता दें कि 34 साल पहले हुए सिद्धू से जुड़े रोड रेज मामले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी. हाईकोर्ट ने रोड रेज केस में सिद्धू को दोषी ठहराया था. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू पर जुर्माना लगाया था.

जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि लगभग 32 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में उनकी सजा केवल जानबूझ कर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए कम नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट 1988 के रोड रेज मामले में क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को मई 2018 में दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है.

  • Congress leader Navjot Singh Sidhu urges Supreme Court to dismiss review petition in the road rage case against him. Sidhu, in reply to review petition, says the review petition is not maintainable and the incident happened 33 years ago. pic.twitter.com/jNn4o8SYUj

    — ANI (@ANI) February 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

न्यायालय ने सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को 'जानबूझ कर चोट पहुंचाने' का दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाई और सिर्फ 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. बाद में सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की और नोटिस जारी किया. जस्टिस ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया.

एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने एक आवेदन दायर कर नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि एक स्पष्ट निश्चय है कि जो व्यक्ति मौत का कारण बनता है उसे चोट की श्रेणी में अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में, दोषसिद्धि को घटाकर 323 (आईपीसी की धारा 323) करने और जुर्माना लगाने की कृपा की गई है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने योग्य है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाने की सजा) के तहत दोषी को अधिकतम एक साल कैद, 1,000 रुपये का जुर्माना या दोनों, की सजा सुनाई जा सकती है. कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर अदालत द्वारा जारी नोटिस केवल सजा की मात्रा तक ही सीमित है. चिदंबरम ने कहा, 'मेरे दोस्त आज समीक्षा का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और वह फैसले के गुण-दोष की आलोचना कर रहे हैं.'

पीठ ने कहा कि पूरे मामले की फिर से सुनवाई की जरूरत नहीं है, लेकिन उसे याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर विचार करना होगा. पीठ ने आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई, 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कांग्रेस नेता को वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी पाया था.

चंडीगढ़ : 1988 के रोड रेज केस में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुसीबतें बढ़ सकतीं हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सिद्धू की पैरवी वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम कर रहे हैं. बता दें कि 34 साल पहले हुए सिद्धू से जुड़े रोड रेज मामले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी. हाईकोर्ट ने रोड रेज केस में सिद्धू को दोषी ठहराया था. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू पर जुर्माना लगाया था.

जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि लगभग 32 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में उनकी सजा केवल जानबूझ कर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए कम नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट 1988 के रोड रेज मामले में क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को मई 2018 में दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है.

  • Congress leader Navjot Singh Sidhu urges Supreme Court to dismiss review petition in the road rage case against him. Sidhu, in reply to review petition, says the review petition is not maintainable and the incident happened 33 years ago. pic.twitter.com/jNn4o8SYUj

    — ANI (@ANI) February 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

न्यायालय ने सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को 'जानबूझ कर चोट पहुंचाने' का दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाई और सिर्फ 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. बाद में सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका की जांच करने के लिए सहमति व्यक्त की और नोटिस जारी किया. जस्टिस ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया.

एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने एक आवेदन दायर कर नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि एक स्पष्ट निश्चय है कि जो व्यक्ति मौत का कारण बनता है उसे चोट की श्रेणी में अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में, दोषसिद्धि को घटाकर 323 (आईपीसी की धारा 323) करने और जुर्माना लगाने की कृपा की गई है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने योग्य है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाने की सजा) के तहत दोषी को अधिकतम एक साल कैद, 1,000 रुपये का जुर्माना या दोनों, की सजा सुनाई जा सकती है. कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर अदालत द्वारा जारी नोटिस केवल सजा की मात्रा तक ही सीमित है. चिदंबरम ने कहा, 'मेरे दोस्त आज समीक्षा का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और वह फैसले के गुण-दोष की आलोचना कर रहे हैं.'

पीठ ने कहा कि पूरे मामले की फिर से सुनवाई की जरूरत नहीं है, लेकिन उसे याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर विचार करना होगा. पीठ ने आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई, 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कांग्रेस नेता को वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी पाया था.

Last Updated : Feb 25, 2022, 8:45 PM IST
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