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सीने पर 21 कलश : 9 दिन का निर्जला उपवास, हठयोग के सामने मेडिकल साइंस भी हैरान - नौलखा मंदिर में दुर्गा पूजा

हर भक्त मां दुर्गा की उपासना अपने तरीके से करते हैं. पटना में एक ऐसे भक्त हैं जो सीने पर 21 कलश को लेकर पूरे नवरात्र में निर्जला रहते हैं. डॉक्टर भी इस प्रक्रिया से हैरान दिखते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

सीने पर कलश की स्थापना
सीने पर कलश की स्थापना
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Published : Sep 27, 2022, 7:37 AM IST

पटना : मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा (maa shailputri puja vidhi) के साथ ही आज से नवरात्र की शुरुआत (Navratri 1st day puja) हो गई है. नवरात्रि के इस पावन पर्व में देवी भक्त विभिन्न प्रकार से पूजा-पाठ और हठयोग करते हुए आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना करते हैं. ऐसे ही एक हठयोगी हैं बाबा नागेश्वर दास. बाबा नागेश्वर दास इस बार लगातार 26वें साल पटना के न्यू सचिवालय के पास स्थित नौलखा दुर्गा मंदिर में अपने सीने पर 21 कलश की स्थापना किए हुए (Naulakha Mandir Nageshwar Baba) हैं. बाबा पूरे नवरात्र में निर्जला उपवास रखते हैं, यानी कि ना अन्न का ग्रहण करते हैं ना ही जल का ग्रहण करते हैं. बाबा बताते हैं कि उन्हें यह शक्ति मां दुर्गा की आराधना करने से मिलती है.

ये भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2022: आज नवरात्रि का पहला दिन, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

निर्जला उपवास 12 से 13 दिन का होता है : अपनी तपस्या पर बताते हुए बाबा नागेश्वर दास ने कहा कि यह लगातार हठयोग का 26 वां साल है. उन्हें मां का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि पुत्र कपुत्र हो सकता है माता कुमाता नहीं होती. नवरात्रि के समय बिना अन्न जल के वह 9 दिनों तक अपने सीने पर कलश की स्थापना करते हैं और इसके लिए तैयारी कुछ दिनों पूर्व से शुरू हो जाती है. परहेज का खान पान के साथ नवरात्र शुरू होने के 2 दिन पूर्व से वह अन्न और जल का त्याग कर देते हैं. नवरात्र की समाप्ति के बाद भी 2 दिन के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं. निर्जला उपवास 12 से 13 दिन का हो जाता है. यह उपवास उन्हें अंदर से काफी शक्ति प्रदान करता है.

''यह तपस्या हठयोग है और बहुत कठिन है. लेकिन जिसे माता का आशीर्वाद प्राप्त है उसे क्या हो सकता है और लोगों को लगता है कि वह 21 कलश का भार अपने सीने पर उठाए हुए हैं लेकिन वह समझते हैं कि वह मांग की गोद में लेटे हुए हैं और सारा बोझ माता के गोद पर है और उन्हें मात्र एक अड़हुल की कली जितना बोझ महसूस होता है.''- बाबा नागेश्वर दास, पुजारी

'इस बार मां दुर्गा देशवासियों को खुशी देंगी' : ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बाबा नागेश्वर दास ने बताया कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर चढ़कर आ रही हैं और हाथी पर चढ़कर ही विदा होंगी. ऐसे में इस बार जो संयोग बना है, उससे मां दुर्गा खुशी से भक्तों की झोली भरेंगी. कोरोना के कारण पिछला 2 साल देशवासियों के लिए कष्टप्रद रहा है लेकिन इस बार मां दुर्गा देशवासियों को खुशी देंगी.



'सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता' : लगातार नौ दिनों तक बिना अन्न जल के कोई कैसे रह सकता है. इस पर मेडिकल साइंस क्या कहता है, इसकी भी तहकीकात की ईटीवी भारत की टीम ने की. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पटना के प्रख्यात फिजीशियन डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि कोई भी सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है और इसके लिए पहले उसे साधना और तपस्या करके अपने इंद्रियों को कंट्रोल करना सीखना होगा. यही वजह है कि हिमालय कि पहाड़ों पर कई तपस्वी विषम परिस्थितियों में तपस्या करते हुए नजर आ जाते हैं.

''मेडिकल साइंस में ऐसी कुछ स्टडीज हैं जिनमें कुछ योगी और तपस्वी अपनी योग और तपस्या से एक्सट्रीम लेवल पर अपने शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल कर लेते हैं. अपने मेटाबॉलिक एक्टिविटी को इतना कम कर लेते हैं कि एनर्जी की रिक्वायरमेंट मिनिमम हो जाती है. यह लगभग शून्य के बराबर हो जाती है. जिसमें शरीर सिर्फ हल्की सांस लेता है और छोड़ता है. इसके लिए बहुत करी साधना की आवश्यकता होती है और इसमें एकाग्रता बेहद महत्वपूर्ण होता है.'' - डॉ दिवाकर तेजस्वी, फिजीशियन

कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं : डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई निर्जला है और अधिक बातचीत करता है तो उसे प्यास लगना स्वाभाविक है. लेकिन सामान्य योगी और तपस्वी 9 दिनों तक निर्जला उपवास रखता है तो उसके शरीर में कई मेटाबॉलिक चेंजेज आने शुरू हो जाएंगे. शरीर का फैट गलने लगेगा और शरीर अपनी एनर्जी का रिक्वायरमेंट उस फै से पूरा करने लगेगा. ब्रेन को भी ग्लूकोज चाहिए होता है, किडनी का फंक्शन लेवल इफेक्ट करेगा. ऐसे में उपवास करने वाले लोगों के फिजिकल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और हेल्थ काफी डाउन होगा. पेट में एसिड फॉर्म करेगा और यह गैस की बीमारी लाएगा. इसी प्रकार कई अन्य शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं.

पटना : मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा (maa shailputri puja vidhi) के साथ ही आज से नवरात्र की शुरुआत (Navratri 1st day puja) हो गई है. नवरात्रि के इस पावन पर्व में देवी भक्त विभिन्न प्रकार से पूजा-पाठ और हठयोग करते हुए आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना करते हैं. ऐसे ही एक हठयोगी हैं बाबा नागेश्वर दास. बाबा नागेश्वर दास इस बार लगातार 26वें साल पटना के न्यू सचिवालय के पास स्थित नौलखा दुर्गा मंदिर में अपने सीने पर 21 कलश की स्थापना किए हुए (Naulakha Mandir Nageshwar Baba) हैं. बाबा पूरे नवरात्र में निर्जला उपवास रखते हैं, यानी कि ना अन्न का ग्रहण करते हैं ना ही जल का ग्रहण करते हैं. बाबा बताते हैं कि उन्हें यह शक्ति मां दुर्गा की आराधना करने से मिलती है.

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निर्जला उपवास 12 से 13 दिन का होता है : अपनी तपस्या पर बताते हुए बाबा नागेश्वर दास ने कहा कि यह लगातार हठयोग का 26 वां साल है. उन्हें मां का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि पुत्र कपुत्र हो सकता है माता कुमाता नहीं होती. नवरात्रि के समय बिना अन्न जल के वह 9 दिनों तक अपने सीने पर कलश की स्थापना करते हैं और इसके लिए तैयारी कुछ दिनों पूर्व से शुरू हो जाती है. परहेज का खान पान के साथ नवरात्र शुरू होने के 2 दिन पूर्व से वह अन्न और जल का त्याग कर देते हैं. नवरात्र की समाप्ति के बाद भी 2 दिन के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं. निर्जला उपवास 12 से 13 दिन का हो जाता है. यह उपवास उन्हें अंदर से काफी शक्ति प्रदान करता है.

''यह तपस्या हठयोग है और बहुत कठिन है. लेकिन जिसे माता का आशीर्वाद प्राप्त है उसे क्या हो सकता है और लोगों को लगता है कि वह 21 कलश का भार अपने सीने पर उठाए हुए हैं लेकिन वह समझते हैं कि वह मांग की गोद में लेटे हुए हैं और सारा बोझ माता के गोद पर है और उन्हें मात्र एक अड़हुल की कली जितना बोझ महसूस होता है.''- बाबा नागेश्वर दास, पुजारी

'इस बार मां दुर्गा देशवासियों को खुशी देंगी' : ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बाबा नागेश्वर दास ने बताया कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर चढ़कर आ रही हैं और हाथी पर चढ़कर ही विदा होंगी. ऐसे में इस बार जो संयोग बना है, उससे मां दुर्गा खुशी से भक्तों की झोली भरेंगी. कोरोना के कारण पिछला 2 साल देशवासियों के लिए कष्टप्रद रहा है लेकिन इस बार मां दुर्गा देशवासियों को खुशी देंगी.



'सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता' : लगातार नौ दिनों तक बिना अन्न जल के कोई कैसे रह सकता है. इस पर मेडिकल साइंस क्या कहता है, इसकी भी तहकीकात की ईटीवी भारत की टीम ने की. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पटना के प्रख्यात फिजीशियन डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि कोई भी सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है और इसके लिए पहले उसे साधना और तपस्या करके अपने इंद्रियों को कंट्रोल करना सीखना होगा. यही वजह है कि हिमालय कि पहाड़ों पर कई तपस्वी विषम परिस्थितियों में तपस्या करते हुए नजर आ जाते हैं.

''मेडिकल साइंस में ऐसी कुछ स्टडीज हैं जिनमें कुछ योगी और तपस्वी अपनी योग और तपस्या से एक्सट्रीम लेवल पर अपने शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल कर लेते हैं. अपने मेटाबॉलिक एक्टिविटी को इतना कम कर लेते हैं कि एनर्जी की रिक्वायरमेंट मिनिमम हो जाती है. यह लगभग शून्य के बराबर हो जाती है. जिसमें शरीर सिर्फ हल्की सांस लेता है और छोड़ता है. इसके लिए बहुत करी साधना की आवश्यकता होती है और इसमें एकाग्रता बेहद महत्वपूर्ण होता है.'' - डॉ दिवाकर तेजस्वी, फिजीशियन

कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं : डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई निर्जला है और अधिक बातचीत करता है तो उसे प्यास लगना स्वाभाविक है. लेकिन सामान्य योगी और तपस्वी 9 दिनों तक निर्जला उपवास रखता है तो उसके शरीर में कई मेटाबॉलिक चेंजेज आने शुरू हो जाएंगे. शरीर का फैट गलने लगेगा और शरीर अपनी एनर्जी का रिक्वायरमेंट उस फै से पूरा करने लगेगा. ब्रेन को भी ग्लूकोज चाहिए होता है, किडनी का फंक्शन लेवल इफेक्ट करेगा. ऐसे में उपवास करने वाले लोगों के फिजिकल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और हेल्थ काफी डाउन होगा. पेट में एसिड फॉर्म करेगा और यह गैस की बीमारी लाएगा. इसी प्रकार कई अन्य शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं.

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