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कोलकाता में दुर्गा पूजा में दिखेगी प्रकृति और सांप्रदायिक सद्भाव की झलक

उत्तरी कोलकाता में काशी बोस लेन पूजा समिति की ओर से पूजा के पंडाल और अंदरूनी हिस्से पृथ्वी पर आधारित होंगे. समिति के महासचिव सोमेन दत्ता ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस साल पंडाल पिछले दो वर्षों की तुलना में बड़े बनाए जाएंगे ताकि हजारों लोग इसमें आ सकें.

कोलकाता
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Published : Aug 27, 2022, 4:55 PM IST

कोलकाता : दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल के कोलकाता (west bengal durga puja) में इस साल धरती मां और सांप्रदायिक सौहार्द पर आधारित पंडाल सड़कों पर (theme based pandals in kolkata) सजाए जाएंगे. पश्चिम बंगाल में हर साल, कई पूजा आयोजक किसी एक विषय वस्तु का चुनाव करते हैं और उनके पंडाल, मूर्तियां और सजावट इसे दर्शाती हैं. उत्तरी कोलकाता में काशी बोस लेन पूजा समिति द्वारा आयोजित पूजा के पंडाल और उसके अंदरूनी हिस्से 'माटी' (पृथ्वी) पर आधारित होंगे. समिति के महासचिव सोमेन दत्ता ने बताया कि धरती मां हमारे अस्तित्व में अंतर्निहित है और यह वही स्थान है जहां हम मृत्यु के बाद लौटते हैं. यह सृष्टि का भी प्रतीक है क्योंकि पृथ्वी पर पेड़-पौधे उगते हैं. उन्होंने बताया कि इस साल पंडाल पिछले दो वर्षों की तुलना में बड़े बनाए जाएंगे ताकि हजारों लोग इसमें आ सकें.

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020 और 2021 में त्योहार के दौरान प्रतिबंध लागू थे. शहर में दुर्गा पूजा आयोजकों के मंच 'फोरम फॉर दुर्गोत्सव' के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी दत्ता ने कहा कि पूजा समिति के सदस्य भी एक सितंबर को यूनेस्को के सम्मान में एक रैली में भाग लेंगे. पिछले साल 15 दिसंबर को यूनेस्को ने 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया था.

आयोजकों ने बताया कि महानगर के बल्लीगंज इलाके में बड़े टिकट पूजाओं में से एक समाज सेबी संघ में 1946 में पहली बार की गई सामुदायिक पूजा की झलक को दर्शाने की तैयारियां चल रही हैं. पूजा समिति के सचिव अरिजीत मैत्रा ने बताया कि पंडाल की सजावट सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द पर आधारित होगी, क्योंकि 1946 में उत्सव के दौरान शहर भर में सांप्रदायिक झड़पें चल रही थीं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सप्ताह राज्य के 40,000 से अधिक दुर्गा पूजा-आयोजन क्लबों में से प्रत्येक के लिए वित्तीय सहायता को पिछले साल के 50,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया. इसके अलावा बिजली के बिल पर 60 प्रतिशत छूट की घोषणा की है.

पूजा समिति प्रवक्ता बिकाश मजूमदार ने कहा, उत्तरी कोलकाता में भीड़-खींचने वाली कॉलेज स्क्वायर पूजा समिति उत्तर प्रदेश के वृंदावन में राधा कृष्ण मंदिर जैसा एक बड़ा पंडाल बनाने की योजना पर काम कर रही है, जो महामारी से पहले के दिनों की तरह लाखों आगंतुकों के लिए सुलभ होगा. मजूमदार ने कहा कि यह भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के साथ कॉलेज स्क्वायर पूजा का 75वां वर्ष है. पंडाल के सामने विशाल झील पर हमारी रोशनी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को उजागर करेगी.

कोलकाता : दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल के कोलकाता (west bengal durga puja) में इस साल धरती मां और सांप्रदायिक सौहार्द पर आधारित पंडाल सड़कों पर (theme based pandals in kolkata) सजाए जाएंगे. पश्चिम बंगाल में हर साल, कई पूजा आयोजक किसी एक विषय वस्तु का चुनाव करते हैं और उनके पंडाल, मूर्तियां और सजावट इसे दर्शाती हैं. उत्तरी कोलकाता में काशी बोस लेन पूजा समिति द्वारा आयोजित पूजा के पंडाल और उसके अंदरूनी हिस्से 'माटी' (पृथ्वी) पर आधारित होंगे. समिति के महासचिव सोमेन दत्ता ने बताया कि धरती मां हमारे अस्तित्व में अंतर्निहित है और यह वही स्थान है जहां हम मृत्यु के बाद लौटते हैं. यह सृष्टि का भी प्रतीक है क्योंकि पृथ्वी पर पेड़-पौधे उगते हैं. उन्होंने बताया कि इस साल पंडाल पिछले दो वर्षों की तुलना में बड़े बनाए जाएंगे ताकि हजारों लोग इसमें आ सकें.

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020 और 2021 में त्योहार के दौरान प्रतिबंध लागू थे. शहर में दुर्गा पूजा आयोजकों के मंच 'फोरम फॉर दुर्गोत्सव' के एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी दत्ता ने कहा कि पूजा समिति के सदस्य भी एक सितंबर को यूनेस्को के सम्मान में एक रैली में भाग लेंगे. पिछले साल 15 दिसंबर को यूनेस्को ने 'कोलकाता में दुर्गा पूजा' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया था.

आयोजकों ने बताया कि महानगर के बल्लीगंज इलाके में बड़े टिकट पूजाओं में से एक समाज सेबी संघ में 1946 में पहली बार की गई सामुदायिक पूजा की झलक को दर्शाने की तैयारियां चल रही हैं. पूजा समिति के सचिव अरिजीत मैत्रा ने बताया कि पंडाल की सजावट सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द पर आधारित होगी, क्योंकि 1946 में उत्सव के दौरान शहर भर में सांप्रदायिक झड़पें चल रही थीं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सप्ताह राज्य के 40,000 से अधिक दुर्गा पूजा-आयोजन क्लबों में से प्रत्येक के लिए वित्तीय सहायता को पिछले साल के 50,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया. इसके अलावा बिजली के बिल पर 60 प्रतिशत छूट की घोषणा की है.

पूजा समिति प्रवक्ता बिकाश मजूमदार ने कहा, उत्तरी कोलकाता में भीड़-खींचने वाली कॉलेज स्क्वायर पूजा समिति उत्तर प्रदेश के वृंदावन में राधा कृष्ण मंदिर जैसा एक बड़ा पंडाल बनाने की योजना पर काम कर रही है, जो महामारी से पहले के दिनों की तरह लाखों आगंतुकों के लिए सुलभ होगा. मजूमदार ने कहा कि यह भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के साथ कॉलेज स्क्वायर पूजा का 75वां वर्ष है. पंडाल के सामने विशाल झील पर हमारी रोशनी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को उजागर करेगी.

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