नई दिल्ली/देहरादून : कोरोना महामारी और उसके कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण 2020 में चोरी, डकैती और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा जैसे अपराध कम दर्ज किए गए. हालांकि 2020 के दौरान हत्या के मामले बढ़े. सरकारी आदेशों की अवज्ञा के मामलों में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी देखी गई. ये मुख्यत: कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के जुड़े हैं.
भारत में अपराध-2020’ पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान 23 मार्च से 31 मई, 2020 तक पूर्ण लॉकडाउन था जिसके चलते सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही बहुत सीमित थी. लॉकडाउन के कारण 2020 में चोरी, डकैती और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा जैसे अपराध कम दर्ज किए गए.
हत्या के मामले बढ़े
2020 के दौरान हत्या के मामले बढ़े. हत्या के कुल 29,193 मामले दर्ज किए गए. भारत में 2020 में प्रतिदिन औसतन 80 हत्याएं हुईं और कुल 29,193 लोगों का कत्ल किया गया. इस मामले में राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश अव्वल स्थान पर है. आंकड़ों के अनुसार, 2019 की तुलना में हत्या के मामलों में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 2019 में प्रतिदिन औसतन 79 हत्याएं हुई थी और कुल 28,915 कत्ल हुए थे.
साइबर क्राइम के मामले भी बढ़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, देश में साइबर अपराध की दर (प्रति एक लाख की आबादी पर घटनाएं) 2019 में 3.3 फीसदी से बढ़कर 2020 में 3.7 फीसदी हो गईं. आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2019 में साइबर अपराध के मामलों की संख्या 44,735 थी, जबकि 2018 में यह संख्या 27,248 थी.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4047 मामले, ओटीपी धोखाधड़ी के 1093 मामले, क्रेडिट/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के 1194 मामले जबकि एटीएम से जुड़े 2160 मामले दर्ज किए गए.
इसमें बताया गया कि सोशल मीडिया पर फर्जी सूचना के 578 मामले, ऑनलाइन परेशान करने या महिलाओं एवं बच्चों को साइबर धमकी से जुड़े 972 मामले सामने आए, जबकि फर्जी प्रोफाइल के 149 और आंकड़ों की चोरी के 98 मामले सामने आए.
गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी ने बताया कि 2020 में दर्ज साइबर अपराधों में से 60.2 फीसदी साइबर अपराध फर्जीवाड़ा (50,035 में से 30,142 मामले) से जुड़े हुए थे.
आंकड़ों के मुताबिक, यौन उत्पीड़न के 6.6 फीसदी (3293 मामले) और उगाही के 4.9 फीसदी (2440 मामले) दर्ज किए गए. इसमें बताया गया कि साइबर अपराध के सर्वाधिक 11,097 मामले उत्तर प्रदेश में, 10,741 कर्नाटक में, 5496 महाराष्ट्र में, 5024 तेलंगाना में और 3530 मामले असम में दर्ज किए गए.
बहरहाल, अपराध की दर सबसे अधिक कर्नाटक में 16.2 फीसदी थी, जिसके बाद तेलंगाना में 13.4 फीसदी, असम में 10.1 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 4.8 फीसदी और महाराष्ट्र में यह दर 4.4 फीसदी थी.
पर्यावरण संबंधी अपराध
पर्यावरण संबंधी अपराध श्रेणी के तहत वर्ष 2020 के दौरान, वर्ष 2019 में 34,676 मामलों की तुलना में कुल 61,767 मामले दर्ज किए गए, जो 78.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. अपराध शीर्ष-वार मामलों से पता चला कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) के तहत 80.5 प्रतिशत (49,710 मामले) के साथ दर्ज मामले सबसे अधिक थे, इसके बाद 11.8 प्रतिशत (7,318 मामले) के साथ ध्वनि प्रदूषण अधिनियम (राज्य / केंद्र) थे.
पहाड़ी राज्यों में हत्या के मामलों में उत्तराखंड पहले नंबर पर
पहाड़ी राज्यों में हत्या के मामलों में उत्तराखंड पहले नंबर पर है. उत्तराखंड में साल 2019 में 199 हत्या के मामले दर्ज हुए थे. वहीं, साल 2020 में हत्या के 160 मामले सामने आए. इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर जम्मू कश्मीर और तीसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB के मुताबिक वर्ष 2018 से 2020 तक आईपीसी के तहत होने वाले अपराध इस प्रकार हैं. वर्ष 2018 में उत्तराखंड में 14,739 आईपीसी धाराओं के तहत अपराध के मुकदमे दर्ज किए गए. साल 2019 में 12,081 मुकदमे आईपीसी में दर्ज किए गए. जबकि 2020 में 13,812 अपराध आईपीसी के तहत दर्ज हुए. इन आंकड़ों के मुताबिक 2018 के मुकाबले भले ही राज्य में अपराध दर्ज कम हुए हैं. लेकिन 2019 की तुलना कोविड-19 काल 2020 में अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं.
लक्षद्वीप में पिछले 3 सालों में सबसे कम संख्या में आईपीसी के तहत मुकदमे दर्ज हुए हैं. यहां वर्ष 2018 में 48 आईपीसी के तहत दर मुकदमे दर्ज हुए. जबकि 2019 में 123 और 2020 में केवल 107 मुकदमे आईपीसी के तहत दर्ज हुए हैं.
वहीं, Special and local lows (SLL) क्राइम की बात करें तो उत्तराखंड में एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में SLL के क्राइम 19,976 संख्या दर्ज हुए हैं. जबकि 2019 में 16,187 और 2020 में 43,520 क्राइम दर्ज हुए हैं. ऐसे में एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में स्पेशल एंड लोकल लॉज के तहत वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2020 में SLL के मामले अधिक दर्ज देखे गए हैं.
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